अजमेर. आंखें हमारे शरीर में सबसे नाजुक और खास होती हैं. इनसे हम इस खूबसूरत दुनिया को देख पाते हैं. इन आंखों का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है. मौसम में बदलाव से आंखों में एलर्जी की समस्या होती है. खासकर बच्चों में एलर्जी की समस्या अधिक रहती है. वहीं, इन दिनों काला पानी की बीमारी से ग्रसित रोगियों की संख्या काफी बढ़ रही है. आंखों की इन समस्याओं और उनका कैसे ख्याल रखें इस पर ईटीवी भारत से जेएलएन अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ राकेश पोरवाल ने खास बातचीत की. चलिए जानते हैं आंखों की सुरक्षा के लिए हेल्थ टिप्स.
एलर्जी के लक्षण और बचाव : डॉक्टर पोरवाल ने कहा कि मौसम में बदलाव की वजह से फरवरी-मार्च के महीने में आंखों में एलर्जी संबंधी समस्या ज्यादा होती है. उन्होंने बताया कि वर्नल कंजक्टिवाइटिस (वीकेसी) में आंखों में खुजली होना, लाल आंखें होना और आंखों से पानी आना ये इसके लक्षण है. डॉक्टर पोरवाल ने कहा कि फरवरी महीने में मोयला मच्छर भी काफी होते हैं जो आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं. उन्होंने बताया कि एलर्जी से बचने के लिए प्रोटेक्टिव गोगल्स का प्रयोग करना जरूरी है. इसके अलावा धूल मिट्टी, पेड़ पौधे, भवन निर्माण कार्यों में उड़ने वाली धूल से दूर रहने की आवश्यकता है. डॉ. पोरवाल ने कहा कि प्रतिदिन दिन दो बार आंखों को ठंडे पानी से धोना आवश्यक है. आंखों में खुजली होने पर आंखों को मसलना नहीं चाहिए. उन्होंने बताया कि लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेनी चाहिए. ऐसा नहीं करने पर आंखों में दाने हो जाते हैं और घाव होने की भी संभावना बनी रहती है.
काला पानी होने पर रखें विशेष सावधानी : डॉ. पोरवाल बताते हैं कि बहुत से लोगों की आंखें काले पानी से ग्रसित होती हैं. उन्होंने बताया कि काला पानी रोग होने पर आंखों में मौजूद नसों पर जोर पड़ता है. 35 साल के बाद से ही आंखों की नियमित जांच करवाना जरूरी है. उन्होंने काला पानी बीमारी के लक्षण बताते हुए कहा कि इस बीमारी में रोशनी के माहौल में सिर दर्द, आंखें लाल हो जाती है, साइड की रोशनी कई बार अचानक चली जाती है. कई बार नजर एकदम खत्म हो जाती है. डॉ. पोरवाल बताते हैं कि डायबिटीज के मरीजों को काला पानी होने की संभावना ज्यादा रहती है.
स्क्रीन पर घंटों वक्त बिताने वाले संभाल जाए : उन्होंने कहा कि छोटी और बड़ी स्क्रीन पर घंटों वक्त गुजारने वाले लोगों की आंखों में कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (सीवीसी) की परेशानियां काफी बढ़ रही है. डॉक्टर राकेश पोरवाल ने बताया कि प्रतिदिन आवश्यक हो तो मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर का इस्तेमाल करें. एक से 2 घंटे स्क्रीन पर काम कर सकते हैं, लेकिन इस बीच भी 15-15 मिनट का गैप हर आधे घंटे में रखे. उन्होंने बताया कि सीबीसी की समस्या छोटे बच्चों में भी काफी आ रही है. बच्चे मोबाइल स्क्रीन पर गेम खेलते हैं यह उनके लिए ठीक नहीं है. उन्होंने बताया कि बच्चों को आउटडोर गेम जरूर खेलना चाहिए. डॉ. पोरवाल ने कहा कि मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल करने वाले लोग ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग करें.