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Mushroom farming in Udaipur: मैकेनिकल इंजीनियर की व्हाइट कॉलर जॉब छोड़ शुरू किया स्टार्ट अप, मशरूम की खेती कर लाखों कमा रहे अर्चित

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Published : Jun 25, 2022, 7:48 PM IST

इन दिनों युवा इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई करने के बाद खेती-किसानी में भी अपने करिअर को नया आयाम दे रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में मशरूम की खेती की ओर इनकी दिलचस्पी बढ़ी है. उदयपुर के अर्चित दशोरा ने भी मैकेनिकल इंजीनियरिंग (mechanical engineer archit making profit from mushroom farming) के बाद एमएनसी की नौकरी छोड़ मशरूम की खेती शुरू की और आज अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

mechanical engineer archit making profit from mushroom farming
इंजीनियरिंग के बाद मशरूम की खेती

उदयपुर. पिछले कुछ वर्षों से मशरूम की खेती के प्रति किसानों के साथ-साथ युवाओं की रुचि भी बढ़ी है. ऐसे में अब इंजीनियरिंग और एमबीए किए हुए युवा भी बड़ी-बड़ी कंपनियों की नौकरी छोड़कर मशरूम की खेती (mushroom farming in udaipur) में हो रहे मुनाफे को देखते हुए इस ओर आकर्षित हो रहे हैं. राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले अर्चित ने भी कुछ ऐसा ही किया. मैकेनिकल इंजीनियर की व्हाइट कॉलर जॉब छोड़कर अपना स्टार्टअप (mechanical engineer archit start Up) खड़ा किया है. मुंबई की नौकरी छोड़कर उन्होंने मशरूम की खेती करने में जुट गए. आज मशरूम की खेती से अर्चित हर साल लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं. यही नहीं अपने स्टार्टअप से वह कई लोगों को रोजगार देने के साथ ग्रामीण किसानों और युवाओं को मशरूम की खेती की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.

दरअसल राजस्थान की उदयपुर के रहने अर्चित दशोरा (30) जिन्होंने 2014 में मैकेनिकल इंजीनियर पास की. कुछ समय बाद उनकी नौकरी मुंबई की एक एमएनसी नौकरी लग गई. ऐसे में करीब ढाई से 3 साल काम करने के बाद अर्चित का इस काम से मन उठने लगा. वह जब भी अपने घर छुट्टियों में आते तो अपने पिता जो कि महाराणा प्रताप कृषि एवं विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे उनसे कृषि के बारे में बातचीत किया करते थे. ऐसे में धीरे-धीरे उनकी रुचि कृषि की ओर बढ़ने लगी और फिर उन्होंने नौकरी छोड़ खेती करने का मन बना लिया.

इंजीनियरिंग के बाद मशरूम की खेती

पढ़ें. बिना जमीन की मशरूम की खेती कर जुगल ने किया नवाचार, अब हर माह हो रही 15 हजार की इनकम

इस बीच अर्चित ने अपनी नौकरी छोड़कर अपना स्टार्टअप करने के लिए मशरूम की खेती करने को अपना लक्ष्य बनाया. उन्होंने उदयपुर शहर के बड़गांव में मशरूम का प्लांट लगाया. हालांकि इस दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन देखते ही देखते उनका यह स्टार्टअप बढ़ता गया. वे 3 साल इसी काम में पूरी मेहनत से जुटे रहे. अब उन्हें हर साल करीब 6 से 7 लाख रुपए की आमदनी मशरूम की खेती से होती है. इसके साथ ही हर माह करीब डेढ़ से 2 टन मशरूम की पैदावार होती है. इस दौरान पैदा होने वाली मशरूम को बाजार में बेचने के लिए प्लांट पर ही मशीन लगाई गई है. यहां मशरूम के अलग-अलग आधा किलो, 1 किलो, और 2 किलो के डिब्बों में पैक कर बाजार में बेचा जाता है.

mechanical engineer archit making profit from mushroom farming
मशरूम की खेती

ऐसे खड़ा किया स्टार्ट अप...
अर्चित ने सबसे पहले अपने दोस्त के फार्म हाउस पर कच्ची बांस की झोपड़ी में मशरूम उगाकर देखा. इस दौरान 30 दिन तक मशरूम के लिए कंपोस्ट बनाया गया. वहीं अगले 40 दिनों के बाद उनकी मेहनत सफल हुई. इसके बाद उन्हें मशरूम की खेती में सफलता दिखाई देने लगी. ऐसे में उन्होंने स्वयं अपना प्लांट लगाने के लिए योजना बनाई. ऐसे में कृषि विशेषज्ञों और अन्य लोगों से ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने मशरूम का प्लांट लगाने के लिए बैंक से लोन लिया और खुद का स्टार्टअप खड़ा किया.

पढ़ें.SPECIAL : मशरूम की खेती का क्रेज बढ़ा...जयपुर में रिटायर्ड RAS और RPS ले रहे ट्रेनिंग

कॉलेज के युवा और एनजीओ के लोग भी ट्रेनिंग लेने आते हैं
उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती अधिकतर पहाड़ी इलाकों के सर्द मौसम में की जाती है. इस बीच राजस्थान की भीषण गर्मी में मशरूम की खेती के तरीकों के बारे में जानने के लिए बड़ी संख्या में लोग उनका स्टार्टअप देखने के लिए पहुंचते हैं. अर्चित उन्हें प्रशिक्षण देते हैं कि किस तरह से मशरूम की खेती की जा सकती है. विभिन्न कॉलेजों और ग्रामीण इलाकों के किसान भी मशरूम की खेती के तरीके जानके के लिए उनके पास पहुंचते हैं.

कोरोना के दौर में बढ़ी मशरूम की मांग
उन्होंने बताया कि कोरोना के पहले उन्होंने स्टार्टअप शुरू किया. लेकिन अचानक कोरोना की महामारी के दौरान मशरूम की मांग बढ़ने लगी. ऐसे में मशरूम की हर रोज की पैदावार की खपत की मांग बाजार में आने लगी.अर्चित के अनुसार यह बिजनेस काफी फायदेमंद रहा.

उदयपुर. पिछले कुछ वर्षों से मशरूम की खेती के प्रति किसानों के साथ-साथ युवाओं की रुचि भी बढ़ी है. ऐसे में अब इंजीनियरिंग और एमबीए किए हुए युवा भी बड़ी-बड़ी कंपनियों की नौकरी छोड़कर मशरूम की खेती (mushroom farming in udaipur) में हो रहे मुनाफे को देखते हुए इस ओर आकर्षित हो रहे हैं. राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले अर्चित ने भी कुछ ऐसा ही किया. मैकेनिकल इंजीनियर की व्हाइट कॉलर जॉब छोड़कर अपना स्टार्टअप (mechanical engineer archit start Up) खड़ा किया है. मुंबई की नौकरी छोड़कर उन्होंने मशरूम की खेती करने में जुट गए. आज मशरूम की खेती से अर्चित हर साल लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं. यही नहीं अपने स्टार्टअप से वह कई लोगों को रोजगार देने के साथ ग्रामीण किसानों और युवाओं को मशरूम की खेती की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.

दरअसल राजस्थान की उदयपुर के रहने अर्चित दशोरा (30) जिन्होंने 2014 में मैकेनिकल इंजीनियर पास की. कुछ समय बाद उनकी नौकरी मुंबई की एक एमएनसी नौकरी लग गई. ऐसे में करीब ढाई से 3 साल काम करने के बाद अर्चित का इस काम से मन उठने लगा. वह जब भी अपने घर छुट्टियों में आते तो अपने पिता जो कि महाराणा प्रताप कृषि एवं विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे उनसे कृषि के बारे में बातचीत किया करते थे. ऐसे में धीरे-धीरे उनकी रुचि कृषि की ओर बढ़ने लगी और फिर उन्होंने नौकरी छोड़ खेती करने का मन बना लिया.

इंजीनियरिंग के बाद मशरूम की खेती

पढ़ें. बिना जमीन की मशरूम की खेती कर जुगल ने किया नवाचार, अब हर माह हो रही 15 हजार की इनकम

इस बीच अर्चित ने अपनी नौकरी छोड़कर अपना स्टार्टअप करने के लिए मशरूम की खेती करने को अपना लक्ष्य बनाया. उन्होंने उदयपुर शहर के बड़गांव में मशरूम का प्लांट लगाया. हालांकि इस दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन देखते ही देखते उनका यह स्टार्टअप बढ़ता गया. वे 3 साल इसी काम में पूरी मेहनत से जुटे रहे. अब उन्हें हर साल करीब 6 से 7 लाख रुपए की आमदनी मशरूम की खेती से होती है. इसके साथ ही हर माह करीब डेढ़ से 2 टन मशरूम की पैदावार होती है. इस दौरान पैदा होने वाली मशरूम को बाजार में बेचने के लिए प्लांट पर ही मशीन लगाई गई है. यहां मशरूम के अलग-अलग आधा किलो, 1 किलो, और 2 किलो के डिब्बों में पैक कर बाजार में बेचा जाता है.

mechanical engineer archit making profit from mushroom farming
मशरूम की खेती

ऐसे खड़ा किया स्टार्ट अप...
अर्चित ने सबसे पहले अपने दोस्त के फार्म हाउस पर कच्ची बांस की झोपड़ी में मशरूम उगाकर देखा. इस दौरान 30 दिन तक मशरूम के लिए कंपोस्ट बनाया गया. वहीं अगले 40 दिनों के बाद उनकी मेहनत सफल हुई. इसके बाद उन्हें मशरूम की खेती में सफलता दिखाई देने लगी. ऐसे में उन्होंने स्वयं अपना प्लांट लगाने के लिए योजना बनाई. ऐसे में कृषि विशेषज्ञों और अन्य लोगों से ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने मशरूम का प्लांट लगाने के लिए बैंक से लोन लिया और खुद का स्टार्टअप खड़ा किया.

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कॉलेज के युवा और एनजीओ के लोग भी ट्रेनिंग लेने आते हैं
उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती अधिकतर पहाड़ी इलाकों के सर्द मौसम में की जाती है. इस बीच राजस्थान की भीषण गर्मी में मशरूम की खेती के तरीकों के बारे में जानने के लिए बड़ी संख्या में लोग उनका स्टार्टअप देखने के लिए पहुंचते हैं. अर्चित उन्हें प्रशिक्षण देते हैं कि किस तरह से मशरूम की खेती की जा सकती है. विभिन्न कॉलेजों और ग्रामीण इलाकों के किसान भी मशरूम की खेती के तरीके जानके के लिए उनके पास पहुंचते हैं.

कोरोना के दौर में बढ़ी मशरूम की मांग
उन्होंने बताया कि कोरोना के पहले उन्होंने स्टार्टअप शुरू किया. लेकिन अचानक कोरोना की महामारी के दौरान मशरूम की मांग बढ़ने लगी. ऐसे में मशरूम की हर रोज की पैदावार की खपत की मांग बाजार में आने लगी.अर्चित के अनुसार यह बिजनेस काफी फायदेमंद रहा.

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