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खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि क्षेत्र में नई तकनीक अपनाना जरूरी, जानें विशेषज्ञों की राय - HYBRID BREEDING

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, हाइब्रिड बीज के विकास और उसके उपयोग के लिए शोध को बढ़ाने के लिए सक्षम नीतियों और ढांचे की आवश्यकता है.

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प्रीतकात्मक तस्वीर (File Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 9, 2025, 8:38 PM IST

नई दिल्ली: कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और लचीलापन बढ़ाने के लिए हाइब्रिड ब्रीडिंग और बीज नवाचार की परिवर्तनकारी क्षमता के जरिये खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए कृषि विशेषज्ञों ने आधुनिक तकनीक को तेजी से अपनाने पर जोर दिया.

कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के बारे में बात करते हुए जोधपुर के किसान और कृषि विशेषज्ञ चंदा राम ने ईटीवी भारत से कहा, "हाइब्रिड या आधुनिक तकनीक किसानों के लिए अच्छी है, लेकिन इसका इस्तेमाल करने से पहले किसानों को इसके बारे में शिक्षित करने की जरूरत है क्योंकि वे इस पद्धति से सभी फसलों का चयन नहीं करते हैं."

चंदा राम ने कहा, "कई किसान अक्सर इस पद्धति का उपयोग करने से हिचकते हैं क्योंकि पारंपरिक तरीकों से सभी चीजें आसानी से उपलब्ध होती हैं, लेकिन हाइब्रिड या आधुनिक तकनीक में किसानों को उन्हें खरीदना पड़ता है."

उत्तर प्रदेश के एक किसान बीरेंद्र सिंह बंट ने ईटीवी भारत से कहा, "किसानों को अक्सर हाइब्रिड तकनीक से समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हाइब्रिड बीज शुरू में कृषि उत्पादन बढ़ाते हैं, लेकिन अपने प्राकृतिक गुणों को खो देते हैं."

इसी तरह मत जाहिर करते हुए, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एफएसआईआई) के अध्यक्ष अजय राणा ने कहा कि हाइब्रिड विकास के लिए रिसर्च बढ़ाने और पहुंच और लाभ साझा करने के लिए प्रभावी अनुसंधान सहयोग और साझेदारी होनी चाहिए, जिसके लिए आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तैनाती के लिए सक्षम नीतियों और सहयोगी ढांचे की जरूरत है.

आईसीएआर के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से कृषि क्षेत्र में वृद्धि 4.1 प्रतिशत दर्ज की गई है, जबकि पिछले 10 वर्षों के दौरान यह 3.5 प्रतिशत थी. 2017 और 2023 के बीच कृषि में वृद्धि 5 प्रतिशत रही. हालांकि 2050 का विजन दर्शाता है कि कृषि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7 प्रतिशत का योगदान देगी, लेकिन कार्यबल का योगदान अभी भी 27 प्रतिशत होगा. वर्तमान में छोटे पैमाने की जोत 146 मिलियन से 168 मिलियन तक बढ़ जाएगी. इसलिए असमानताएं जारी रहेंगी, जिनका समाधान करने की जरूरत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने बुधवार को देश की बढ़ती आबादी के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हाइब्रिड प्रौद्योगिकियों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला. मिश्रा ने कहा, "इस तकनीक को सिर्फ पैदावार बढ़ाने से कहीं ज्यादा भूमिका निभानी होगी. इससे अर्थव्यवस्था का न्यायसंगत, समावेशी और टिकाऊ विकास होना चाहिए. इससे किसानों की आय में वृद्धि के जरिये कृषि में बदलाव भी आना चाहिए."

हाइब्रिड बीज छोटे किसानों के लिए किफायती और सस्ते होने चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर शोध से किसान हाइब्रिड बीजों को एक मौसम से दूसरे मौसम तक बिना हेटेरोसिस (heterosis) खोए बचा सकते हैं, जैसा कि वे फसलों के साथ करते हैं, तो यह किसानों की आय बढ़ाने में बड़ा वैज्ञानिक योगदान होगा.

ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (TAAS) के अध्यक्ष डॉ. आरएस परोदा ने कहा, "हमें जीएम फसलों पर स्पष्ट नीति बनाने की जरूरत है, बीज उद्योग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और बीज की बिक्री पर जीएसटी से छूट दी जानी चाहिए."

यह भी पढ़ें- दुनिया में घूमने लायक 52 जगहों में चौथे स्थान पर असम, न्यूयॉर्क टाइम्स ने निकाली लिस्ट

नई दिल्ली: कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और लचीलापन बढ़ाने के लिए हाइब्रिड ब्रीडिंग और बीज नवाचार की परिवर्तनकारी क्षमता के जरिये खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए कृषि विशेषज्ञों ने आधुनिक तकनीक को तेजी से अपनाने पर जोर दिया.

कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के बारे में बात करते हुए जोधपुर के किसान और कृषि विशेषज्ञ चंदा राम ने ईटीवी भारत से कहा, "हाइब्रिड या आधुनिक तकनीक किसानों के लिए अच्छी है, लेकिन इसका इस्तेमाल करने से पहले किसानों को इसके बारे में शिक्षित करने की जरूरत है क्योंकि वे इस पद्धति से सभी फसलों का चयन नहीं करते हैं."

चंदा राम ने कहा, "कई किसान अक्सर इस पद्धति का उपयोग करने से हिचकते हैं क्योंकि पारंपरिक तरीकों से सभी चीजें आसानी से उपलब्ध होती हैं, लेकिन हाइब्रिड या आधुनिक तकनीक में किसानों को उन्हें खरीदना पड़ता है."

उत्तर प्रदेश के एक किसान बीरेंद्र सिंह बंट ने ईटीवी भारत से कहा, "किसानों को अक्सर हाइब्रिड तकनीक से समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हाइब्रिड बीज शुरू में कृषि उत्पादन बढ़ाते हैं, लेकिन अपने प्राकृतिक गुणों को खो देते हैं."

इसी तरह मत जाहिर करते हुए, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एफएसआईआई) के अध्यक्ष अजय राणा ने कहा कि हाइब्रिड विकास के लिए रिसर्च बढ़ाने और पहुंच और लाभ साझा करने के लिए प्रभावी अनुसंधान सहयोग और साझेदारी होनी चाहिए, जिसके लिए आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तैनाती के लिए सक्षम नीतियों और सहयोगी ढांचे की जरूरत है.

आईसीएआर के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से कृषि क्षेत्र में वृद्धि 4.1 प्रतिशत दर्ज की गई है, जबकि पिछले 10 वर्षों के दौरान यह 3.5 प्रतिशत थी. 2017 और 2023 के बीच कृषि में वृद्धि 5 प्रतिशत रही. हालांकि 2050 का विजन दर्शाता है कि कृषि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7 प्रतिशत का योगदान देगी, लेकिन कार्यबल का योगदान अभी भी 27 प्रतिशत होगा. वर्तमान में छोटे पैमाने की जोत 146 मिलियन से 168 मिलियन तक बढ़ जाएगी. इसलिए असमानताएं जारी रहेंगी, जिनका समाधान करने की जरूरत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने बुधवार को देश की बढ़ती आबादी के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हाइब्रिड प्रौद्योगिकियों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला. मिश्रा ने कहा, "इस तकनीक को सिर्फ पैदावार बढ़ाने से कहीं ज्यादा भूमिका निभानी होगी. इससे अर्थव्यवस्था का न्यायसंगत, समावेशी और टिकाऊ विकास होना चाहिए. इससे किसानों की आय में वृद्धि के जरिये कृषि में बदलाव भी आना चाहिए."

हाइब्रिड बीज छोटे किसानों के लिए किफायती और सस्ते होने चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर शोध से किसान हाइब्रिड बीजों को एक मौसम से दूसरे मौसम तक बिना हेटेरोसिस (heterosis) खोए बचा सकते हैं, जैसा कि वे फसलों के साथ करते हैं, तो यह किसानों की आय बढ़ाने में बड़ा वैज्ञानिक योगदान होगा.

ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (TAAS) के अध्यक्ष डॉ. आरएस परोदा ने कहा, "हमें जीएम फसलों पर स्पष्ट नीति बनाने की जरूरत है, बीज उद्योग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और बीज की बिक्री पर जीएसटी से छूट दी जानी चाहिए."

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