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निर्जला एकादशी पर अब्दुल की पतंगबाजी, एक डोर पर उड़ाई 1000 पतंगें, तीन पीढ़ियां 50 साल से कर रही यह काम

निर्जला एकादशी के अवसर पर अब्दुल कादिर ने फतेह सागर झील किनारे एक ही डोर में 1000 पतंगों को आसमान में (Kite flying in Udaipur on Nirjala Ekadashi) उड़ाया. उन्होंने अपनी पतंगों के माध्यम से समाज को संदेश देने का भी काम किया. अब्दुल ने इस बार अपनी पतंगों से हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश (Communal harmony message by kite flying) दिया. अब्दुल बताते हैं कि उनकी तीन पीढ़िया पतंगबाजी में लगी हैं.

Kite flying in Udaipur on Nirjala Ekadashi, Abdul Qadir message for communal harmony
निर्जला एकादशी पर अब्दुल की पतंगबाजी, एक डोर पर 1000 पतंगे उड़ाई, तीन पीढ़ियां 50 साल से कर रही यह काम
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Published : Jun 10, 2022, 8:31 PM IST

Updated : Jun 10, 2022, 10:09 PM IST

उदयपुर. अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर ने हर साल की तरह इस बार भी निर्जला एकादशी के अवसर पर अनोखी पतंगबाजी का प्रदर्शन किया. अब्दुल के परिवार की तीन पीढ़ियां इसी काम में लगी हैं. इस बार अब्दुल ने एक डोर पर एक हजार पतंगें उड़ाईं. इनमें विभिन्न साइज और डिजाइन की पतंगें शामिल हैं. इसके साथ ही पतंगबाजी के माध्यम से समाज में भाईचारे का संदेश भी दिया.

इस बार पतंगबाजी में यह रहा खास: अब्दुल ने एक ही डोर में 1000 पतंगों को आसमान में (1000 kites flied in Udaipur on Nirjala Ekadashi) उड़ाया. इस बार उन्होंने विशेष 15 फीट के भालू आकृति की पतंग, 45 फीट की छिपकली आकृति की पतंग, लिफ्ट, तिरंगी, फाइट ट्रेन व तितली आकृति की पतंगे भी आसमान में उड़ाई. इस खास मौके पर शहर के कई बच्चे, युवा उपस्थित थे. इन्होंने भी इस पतंगबाजी का आनंद लिया. इसके साथ ही फोटो भी खिंचवाई. अब्दुल ने बताया कि वे 2001 से पतंगबाजी कर रहे हैं. देश के कई राज्यों में हुई प्रतियोगिता में उन्होंने भाग लिया. अब तक उन्होंने हैदराबाद, केरल, गोवा चंडीगढ़, पंजाब में हुई कई अनगिनत पतंगबाजी की प्रतियोगिताओं में भाग लिया. जिनमें उन्हें सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज से नवाजा गया. उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते हैं.

निर्जला एकादशी पर अब्दुल ने उड़ाई एक डोर पर 1000 पतंगें...दिया ये संदेश

पढ़ें: Nirjala Ekadashi 2022 : दो दिन मनाई जा रही निर्जला एकादशी...जानिये कब रखा जाएगा व्रत

अब्दुल के तीन पीढ़ियां कर रही पतंगबाजी: पतंगबाजी में अब्दुल के दादा और पिता को भी महारत है. अब अब्दुल तीसरी पीढ़ी हैं, जो इस कला में पारंगत हैं. सबसे पहले उनके दादा नूर सा भावजी जिनको प्यार से भावजी का कनका, फ्लावर पतंग के नाम से जाना जाता था. उन्होंने करीब 50 साल तक पतंगबाजी में भाग लिया. इनके बाद इनके बेटे अब्दुल रशीद ने भी पतंगबाजी में देशभर में नाम कमाया. इनके बाद अब्दुल परिवार की इस कला को आगे बढ़ा रहे हैं. अब्दुल ने बताया कि पतंगबाजी का जुनून उनके दादा को था. ऐसे में देखते ही देखते पिता ने सीखा उसके बाद उन्हें भी यह जुनून सवार हो गया. पूरा परिवार 50 साल से इस पतंगबाजी की कला में जुड़ा हुआ है.

पढ़ें: Nirjala Ekadashi 2022: हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए उमड़ा हुजूम, ऐसे मिलेगा पुण्य

पतंग किस तरह बनाई जाती है: अब्दुल ने बताया कि इन पतंगों को बनाने के लिए लकड़ी की कमान और कपड़े की सिलाई कर पतंगों का बैलेंस बनाया जाता है. एक डोर पर इतनी पतंग उड़ने के पीछे तकनीक (How hundreds of kites fly in the Sky) है. ऐसे में ऊपर वाली लकड़ी पतली होनी चाहिए. जिससे हवा में ऊंचाई मिल सके और सीधे लगने वाली लकड़ी मोटी होनी चाहिए. जिससे हवा में बैलेंस हो. साथ ही तनी लकड़ी में छेद कर ही बांधी जाती है. इसके बाद रेशम की मजबूत डोर पर पतंगों को एक-एक फीट की दूरी पर बांधते हैं. इसके साथ ही उन्हें उड़ाने के लिए मध्यम गति की हवा चलना भी जरूरी है. इन पतंगों को अलग-अलग डिजाइन दी जाती है. जिनमें उन पर आंख और मुंह की आकृति को बनाकर बनाया जाता है. इसे बनाने में करीब 15 दिन का समय लगता है.

पढ़ें: गंगा दशहरा पर पतंगबाजी, आसमान में दिखेंगे चुनावी दंगल के दांव पेंच

अब तक पतंगों के माध्यम से यह संदेश दे चुके हैं: अब्दुल ने बताया कि फतेह सागर किनारे मकर सक्रांति, निर्जला एकादशी के अवसर पर पतंगबाजी की जाती है. इन पतंगों के माध्यम से समाज को अलग-अलग संदेश भी दिए जाते हैं. अब तक उन्होंने इन पतंगों के माध्यम से बेटी बचाओ, पर्यावरण बचाओ, पानी और झीलें बचाने, कोरोना जन जागरूकता का संदेश और इस बार हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया. अब्दुल ने समाज को मिलजुल कर रहने का संदेश दिया गया है. इस दौरान अब्दुल ने बताया कि आने वाले मकर सक्रांति के पर्व पर वे एक डोर में 3000 पतंग उड़ाने की कोशिश करेंगे.

उदयपुर. अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर ने हर साल की तरह इस बार भी निर्जला एकादशी के अवसर पर अनोखी पतंगबाजी का प्रदर्शन किया. अब्दुल के परिवार की तीन पीढ़ियां इसी काम में लगी हैं. इस बार अब्दुल ने एक डोर पर एक हजार पतंगें उड़ाईं. इनमें विभिन्न साइज और डिजाइन की पतंगें शामिल हैं. इसके साथ ही पतंगबाजी के माध्यम से समाज में भाईचारे का संदेश भी दिया.

इस बार पतंगबाजी में यह रहा खास: अब्दुल ने एक ही डोर में 1000 पतंगों को आसमान में (1000 kites flied in Udaipur on Nirjala Ekadashi) उड़ाया. इस बार उन्होंने विशेष 15 फीट के भालू आकृति की पतंग, 45 फीट की छिपकली आकृति की पतंग, लिफ्ट, तिरंगी, फाइट ट्रेन व तितली आकृति की पतंगे भी आसमान में उड़ाई. इस खास मौके पर शहर के कई बच्चे, युवा उपस्थित थे. इन्होंने भी इस पतंगबाजी का आनंद लिया. इसके साथ ही फोटो भी खिंचवाई. अब्दुल ने बताया कि वे 2001 से पतंगबाजी कर रहे हैं. देश के कई राज्यों में हुई प्रतियोगिता में उन्होंने भाग लिया. अब तक उन्होंने हैदराबाद, केरल, गोवा चंडीगढ़, पंजाब में हुई कई अनगिनत पतंगबाजी की प्रतियोगिताओं में भाग लिया. जिनमें उन्हें सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज से नवाजा गया. उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते हैं.

निर्जला एकादशी पर अब्दुल ने उड़ाई एक डोर पर 1000 पतंगें...दिया ये संदेश

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अब्दुल के तीन पीढ़ियां कर रही पतंगबाजी: पतंगबाजी में अब्दुल के दादा और पिता को भी महारत है. अब अब्दुल तीसरी पीढ़ी हैं, जो इस कला में पारंगत हैं. सबसे पहले उनके दादा नूर सा भावजी जिनको प्यार से भावजी का कनका, फ्लावर पतंग के नाम से जाना जाता था. उन्होंने करीब 50 साल तक पतंगबाजी में भाग लिया. इनके बाद इनके बेटे अब्दुल रशीद ने भी पतंगबाजी में देशभर में नाम कमाया. इनके बाद अब्दुल परिवार की इस कला को आगे बढ़ा रहे हैं. अब्दुल ने बताया कि पतंगबाजी का जुनून उनके दादा को था. ऐसे में देखते ही देखते पिता ने सीखा उसके बाद उन्हें भी यह जुनून सवार हो गया. पूरा परिवार 50 साल से इस पतंगबाजी की कला में जुड़ा हुआ है.

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पतंग किस तरह बनाई जाती है: अब्दुल ने बताया कि इन पतंगों को बनाने के लिए लकड़ी की कमान और कपड़े की सिलाई कर पतंगों का बैलेंस बनाया जाता है. एक डोर पर इतनी पतंग उड़ने के पीछे तकनीक (How hundreds of kites fly in the Sky) है. ऐसे में ऊपर वाली लकड़ी पतली होनी चाहिए. जिससे हवा में ऊंचाई मिल सके और सीधे लगने वाली लकड़ी मोटी होनी चाहिए. जिससे हवा में बैलेंस हो. साथ ही तनी लकड़ी में छेद कर ही बांधी जाती है. इसके बाद रेशम की मजबूत डोर पर पतंगों को एक-एक फीट की दूरी पर बांधते हैं. इसके साथ ही उन्हें उड़ाने के लिए मध्यम गति की हवा चलना भी जरूरी है. इन पतंगों को अलग-अलग डिजाइन दी जाती है. जिनमें उन पर आंख और मुंह की आकृति को बनाकर बनाया जाता है. इसे बनाने में करीब 15 दिन का समय लगता है.

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अब तक पतंगों के माध्यम से यह संदेश दे चुके हैं: अब्दुल ने बताया कि फतेह सागर किनारे मकर सक्रांति, निर्जला एकादशी के अवसर पर पतंगबाजी की जाती है. इन पतंगों के माध्यम से समाज को अलग-अलग संदेश भी दिए जाते हैं. अब तक उन्होंने इन पतंगों के माध्यम से बेटी बचाओ, पर्यावरण बचाओ, पानी और झीलें बचाने, कोरोना जन जागरूकता का संदेश और इस बार हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया. अब्दुल ने समाज को मिलजुल कर रहने का संदेश दिया गया है. इस दौरान अब्दुल ने बताया कि आने वाले मकर सक्रांति के पर्व पर वे एक डोर में 3000 पतंग उड़ाने की कोशिश करेंगे.

Last Updated : Jun 10, 2022, 10:09 PM IST
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