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बाल मजदूरी के लिए राजस्थान से गुजरात जा रहे 29 आदिवासी बच्चों को मानव तस्करी यूनिट ने बचाया - उदयपुर में मानव तस्करी यूनिट

उदयपुर में मानव तस्करी यूनिट ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. यूनिट ने बाल मजदूरी के लिए गुजरात जा रहे बच्चों को रेस्क्यू कर बचाया है.

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Published : Nov 6, 2019, 12:31 PM IST

उदयपुर. एक ओर जहां बच्चों की शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश बाल मजदूरी जैसे मामलों से बच नहीं पा रहा है. मानव तस्करी यूनिट की टीम ने उदयपुर से गुजरात बाल मजदूरी के लिए ले जा रहे 29 बच्चों को रेस्क्यू कर बचाया है.

मानव तस्करी यूनिट ने बच्चों को किया रेस्क्यू

इन बच्चों को एक निजी बस में गुजरात ले जाया जा रहा था. मानव तस्करी यूनिट को मुखबिर से इस पूरे मामले की सूचना मिली, जिसके बाद यूनिट ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया. बता दें कि यह सभी बच्चे उदयपुर के आदिवासी अंचल के रहने वाले थे. ऐसे में ग्रामीण परिवेश के इन बच्चों को प्रतिमाह 4 हजार रुपए वेतन की बात पर ले जाया जा रहा था.

यह भी पढ़ें- 100 से ज्यादा ठगी की वारदातों को अंजाम देने वाले गिरोह का पर्दाफाश, सरगना गिरफ्तार

उदयपुर की मानव तस्करी यूनिट की 1 सप्ताह में यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है. इस कार्रवाई में मानव तस्करी विरोधी यूनिट ने मंगलवार देर रात रेती स्टैंड पर चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. यूनिट ने दो निजी बसों से 8 से 17 साल के करीब 29 बच्चों का रेस्क्यू किया, जिन्हें मजदूरी कराने के लिए गुजरात के सूरत लेकर जा रहे थे. साथ ही मौके से दलाल गोगुंदा के निकुर निवासी खमाणा राम और जैतारण निवासी मांगीलाल को गिरफ्तार किया है.

बच्चों को स्लीपर के नीचे दो फिट की जगह में ठूंस-ठूंस कर बैठाया गया था. यूनिट बच्चों को चित्रकूट नगर स्थित कार्यालय लेकर गई, जहां से सीडब्ल्यूसी ने इन बच्चों को आसरा विकास संस्थान के शेल्टर भिजवाया है. इससे पहले जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव रिद्धिमा शर्मा भी मौके पर पहुंची. मामले में बाल आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है. यूनिट प्रभारी पुलिस निरीक्षक श्याम सिंह ने बताया कि मुखबिरों से सूचना पर रेती स्टैंड पर खड़ी बसों की तलाशी ली और इस पूरी कार्रवाई में साथ गए.

यह भी पढ़ें- नैना हत्याकांड : 50 लाख की फिरोती के लिए भांजी का अपहरण कर निर्मम हत्या करने वाले मामा और उसके साथी को उम्र कैद

एनजीओ संचालकों ने बताया कि बस के अंदर पहुंचने पर बच्चे स्लीपर सीट और कुछ बच्चे सीट पर मिले और जब स्लीपर के पीचे झांककर देखा तो बेरहमी से कुछ बच्चों को वहां भी बैठा रखा था. बता दें कि यह सभी बच्चे झाड़ोल, सायरा, गोगुंदा और ओगणा क्षेत्र के रहने वाले हैं और इनको लाने वाले भी इसी एरिया के हैं. दोनों बसें सायरा से चलकर सूरत जा रही थी. पूछताछ में सामने आया कि बच्चों के माता-पिता को 4-6 हजार रुपए देकर नौकरी कराने के लालच में गांव के ही दलाल लेकर आए थे. झाड़ोल, ओगणा के बच्चे सायरा में आए और बस में बैठे कुछ बच्चों को गोगुंदा से बस में बिठाया गया था.

बता दें कि इससे पहले भी फतह सागर की पाल पर मानव तस्करी यूनिट द्वारा पांच मासूम बच्चों को छुड़वाया गया था. इस दौरान बाल मजदूरी करवा रहे रेस्टोरेंट संचालक वहां से भागने में कामयाब हो गए जिनकी तलाश जारी है.

उदयपुर. एक ओर जहां बच्चों की शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश बाल मजदूरी जैसे मामलों से बच नहीं पा रहा है. मानव तस्करी यूनिट की टीम ने उदयपुर से गुजरात बाल मजदूरी के लिए ले जा रहे 29 बच्चों को रेस्क्यू कर बचाया है.

मानव तस्करी यूनिट ने बच्चों को किया रेस्क्यू

इन बच्चों को एक निजी बस में गुजरात ले जाया जा रहा था. मानव तस्करी यूनिट को मुखबिर से इस पूरे मामले की सूचना मिली, जिसके बाद यूनिट ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया. बता दें कि यह सभी बच्चे उदयपुर के आदिवासी अंचल के रहने वाले थे. ऐसे में ग्रामीण परिवेश के इन बच्चों को प्रतिमाह 4 हजार रुपए वेतन की बात पर ले जाया जा रहा था.

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उदयपुर की मानव तस्करी यूनिट की 1 सप्ताह में यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है. इस कार्रवाई में मानव तस्करी विरोधी यूनिट ने मंगलवार देर रात रेती स्टैंड पर चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. यूनिट ने दो निजी बसों से 8 से 17 साल के करीब 29 बच्चों का रेस्क्यू किया, जिन्हें मजदूरी कराने के लिए गुजरात के सूरत लेकर जा रहे थे. साथ ही मौके से दलाल गोगुंदा के निकुर निवासी खमाणा राम और जैतारण निवासी मांगीलाल को गिरफ्तार किया है.

बच्चों को स्लीपर के नीचे दो फिट की जगह में ठूंस-ठूंस कर बैठाया गया था. यूनिट बच्चों को चित्रकूट नगर स्थित कार्यालय लेकर गई, जहां से सीडब्ल्यूसी ने इन बच्चों को आसरा विकास संस्थान के शेल्टर भिजवाया है. इससे पहले जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव रिद्धिमा शर्मा भी मौके पर पहुंची. मामले में बाल आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है. यूनिट प्रभारी पुलिस निरीक्षक श्याम सिंह ने बताया कि मुखबिरों से सूचना पर रेती स्टैंड पर खड़ी बसों की तलाशी ली और इस पूरी कार्रवाई में साथ गए.

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एनजीओ संचालकों ने बताया कि बस के अंदर पहुंचने पर बच्चे स्लीपर सीट और कुछ बच्चे सीट पर मिले और जब स्लीपर के पीचे झांककर देखा तो बेरहमी से कुछ बच्चों को वहां भी बैठा रखा था. बता दें कि यह सभी बच्चे झाड़ोल, सायरा, गोगुंदा और ओगणा क्षेत्र के रहने वाले हैं और इनको लाने वाले भी इसी एरिया के हैं. दोनों बसें सायरा से चलकर सूरत जा रही थी. पूछताछ में सामने आया कि बच्चों के माता-पिता को 4-6 हजार रुपए देकर नौकरी कराने के लालच में गांव के ही दलाल लेकर आए थे. झाड़ोल, ओगणा के बच्चे सायरा में आए और बस में बैठे कुछ बच्चों को गोगुंदा से बस में बिठाया गया था.

बता दें कि इससे पहले भी फतह सागर की पाल पर मानव तस्करी यूनिट द्वारा पांच मासूम बच्चों को छुड़वाया गया था. इस दौरान बाल मजदूरी करवा रहे रेस्टोरेंट संचालक वहां से भागने में कामयाब हो गए जिनकी तलाश जारी है.

Intro:उदयपुर से गुजरात बाल मजदूरी के लिए ले जा रहे 29 बच्चों को मंगलवार देर रात मानव तस्करी यूनिट की टीम ने रेस्क्यू कर बचाया आपको बता दें कि इन बच्चों को एक निजी बस में घुसकर गुजरात ले जाया जा रहा था मानव तस्करी यूनिट को मुखबिर से इस पूरे मामले की सूचना मिली जिसके बाद यूनिट ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया बता दें कि यह सभी बच्चे उदयपुर के आदिवासी अंचल के रहने वाले थे ऐसे में ग्रामीण परिवेश के इन बच्चों को प्रतिमाह ₹4000 वेतन की बात पर ले जाया गया थाBody:आपको बता दें कि 1 सप्ताह में उदयपुर की मानव तस्करी यूनिट की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है इस कार्रवाई में मानव तस्करी विराेधी यूनिट ने मंगलवार देर रात रात काे रेती स्टैंड पर चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर बड़ी कार्रवाई काे अंजाम दिया है यूनिट ने दाे निजी बसाें से 8 से 17 साल के करीब 29 बच्चाें काे रेस्क्यू किया, जिनकाे मजदूरी कराने के लिए गुजरात के सूरत लेकर जा रहे थे साथ ही माैके से दलाल गोगुंदा के निकुर निवासी खमाणा राम और जैतारण निवासी मांगीलाल काे गिरफ्तार किया है
बता दे कि बच्चाें काे स्लीपर के नीचे दाे फिट की जगह में ठूंस-ठूंस कर बिठा रखा था यूनिट बच्चों को चित्रकूट नगर स्थित कार्यालय लेकर गई, जहां से सीडब्ल्यूसी ने इन बच्चों को आसरा विकास संस्थान के शेल्टर भिजवाया है।इससे पहले जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव रिद्धिमा शर्मा भी माैके पर पहुंचीं मामले में बाल आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है यूनिट प्रभारी पुलिस निरीक्षक श्याम सिंह ने बताया कि मुखबिराें से सूचना पर रेती स्टैंड पर खड़ी बसाें की तलाशी ली इस पूरी कार्रवाई में साथ गए एनजीओ संचालकाें ने बताया कि बस के अंदर पहुंचे ताे स्लीपर और सीट काे देखा कुछ बच्चे सीट पर मिले और जब स्लीपर के पीचे झांककर देखा ताे बेरहमी से कुछ बच्चाें काे वहां भी बिठा रखा था बता दें कि यह सभी बच्चे झाड़ाेल, सायरा, गाेगुंदा और ओगणा क्षेत्र के रहने वाले हैं और इनकाे लाने वाले भी इसी एरिया के हैं दाेनाें बसें सायरा से चली थीं जाे सूरत जा रही थी पूछताछ में सामने आया कि बच्चाें के माता-पिता काे 4-6 हजार रुपए देकर नाैकरी कराने के लालच में गांव के ही दलाल लेकर आए थे झाड़ाेल, ओगणा के बच्चे सायरा में आए और बस में बैठे कुछ बच्चाें काे गाेगुंदा से बस में बिठाया गया था Conclusion:बता दें कि इससे पहले भी फतह सागर की पाल पर मानव तस्करी यूनिट द्वारा पांच मासूम बच्चों को छुड़वाया गया था इस दौरान बाल मजदूरी करवा रहे रेस्टोरेंट संचालक वहां से भागने में कामयाब हो गए थे लेकिन जिनकी तलाश जारी है

बाइट - भोजराज सिंह, समाजसेवी


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