श्रीगंगानगर : हर इंसान के लिए उसकी औलाद ही उसके बुढ़ापे की लाठी होती है. इसी उम्मीद से मां-बाप उसे पाल पोस कर बड़ा करते हैं कि उनके बूढ़े होने पर वह उनका सहारा बनेगा. लेकिन जब बुढ़ापे का सहारा बनने वाली औलाद ही उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दे तो इससे ज्यादा दुखदायी क्या होगा. कुछ ऐसा ही हुआ 75 वर्षीय गुरमेल सिंह और उनकी पत्नी मनिंदर कौर (73 वर्ष) के साथ.
उनके बेटे ने उन दोनों को मारपीट कर पहले तो जमीन हड़प ली और फिर बाद में घर से निकाल दिया. आज वह कलेक्टर और पुलिस की चौखट पर इंसाफ के लिए एड़ियां घिस रहे हैं, लेकिन वहां भी उन्हें आश्वासन ही मिल रहा है. गुरमेल सिंह श्रीगंगानगर जिले के पदमपुर तहसील के चक 45 एलएलडब्लयू में निवास करते हैं. वे और उनकी पत्नी मनिंदर कौर ने एक-एक पैसा जोड़कर अपनी मेहनत से गांव में खुद का मकान बनाया और जमीन भी खरीदी थी. गुरमेल सिंह की एक ही संतान है, जिसे पढ़ा-लिखाकर कामयाब बनाने के लिए गुरमेल व उसकी पत्नी ने बेटे को शहर पढ़ने के लिए भेजा. उसे डॉक्टर बनाने की चाहत में तीन बीघा जमीन और ट्रैक्टर तक बेच डाला, लेकिन बदले में उन्हें बेटे से तिरस्कार और दुख ही मिला.
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गुरमेल और मनिंदर को बुढ़ापे में जब सहारा चाहिए था तब उसी बेटे ने बूढ़े मां-बाप से अभद्रता और मारपीट करनी शुरू कर दी. यही नहीं, धोखेबाजी से उनके हिस्से का प्लॉट हड़पकर इन्हें दर-दर की ठोकरें खाने के लिए रात में घर से निकाल दिया. गुरमेल जिला कलेक्टर से गुहार लगाने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचे और गुहार लगाई. अपने ही बेटे के व्यवहार से दुखी गुरमेल की बूढ़ी आंखों में दर्द साफ नजर आ रहा था. बेटे से परेशान होकर वह अधिकारियों की चौखट पर न्याय के लिए पहुंचे, लेकिन वहां भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है.
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डूंगर सिंह ने गुरमेल के घर की दीवार को गिरा दिया और मां-बाप को धमकी भी दी. पीड़ित ने जब घमुड़वाली पुलिस थाना में सूचना दी तो सुनवाई नहीं हुई और उन्हें घर भेज दिया गया. पीड़ित ने पुलिस, उपखंड अधिकारी और जिला कलेक्टर तक से गुहार लगाई है, लेकिन न्याय के नाम पर केवल आश्वासन ही मिल रहा है.
गुरमेल व मनिंदर की आंखों का पानी भी अब सूख गया है. रुंधे गले से वे कहते हैं कि मेहनत मजदूरी कर जिस बेटे को पढ़ा-लिखाकर कामयाब बनाया आज उसी ने हमें बेघर कर दिया. इस बुढापे में क्या करें, कहां जाएं कुछ समझ नहीं आ रहा है. जिस बेटे के लिए इतने सपने संजोये थे वही उन्हें कष्ट दे रहा है.