नागौर. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय राज्यमंत्री रहे सीआर चौधरी का कहना है कि कोरोना काल में ढाई महीने के लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई है. इसके लिए केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए का जो राहत पैकेज जारी किया गया है, उससे अर्थव्यवस्था की इस सुस्ती से उबरने में काफी मदद मिलेगी. उनका मानना है कि इस राहत पैकेज से एमएसएमई सेक्टर को खास तौर पर मदद मिलेगी. इसके साथ ही कमजोर और मजदूर वर्ग को रोजगार के अवसर मुहैया करवाने में भी यह राहत पैकेज मदद करेगा.
सीआर चौधरी ने बताया कि देश में 14-15 करोड़ लोग एमएसएमई सेक्टर से जुड़े हुए हैं. देश से निर्यात होने वाली वस्तुओं में करीब 45 फीसदी भागीदारी इसी सेक्टर की है. इसलिए प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का खास ध्यान इसी सेक्टर पर है. इसलिए इससे जुड़े हुए लोगों को तीन लाख रुपए तक का कर्ज बिना किसी गारंटी के तुरंत देने का प्रावधान किया गया है. यह बहुत बड़ा फैसला है, जो इस सेक्टर को लॉकडाउन की सुस्ती से उबारने में मदद करेगा.
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उन्होंने बताया कि कर्ज के ब्याज में छूट और निर्यात आधारित उद्योगों को अतिरिक्त राहत देने का भी प्रावधान किया गया है. उनका कहना है कि 16 नई श्रेणियां बनाकर एमएसएमई के प्रावधानों में भी बदलाव किया गया है, इसका भी लाभ इस सेक्टर को मिलेगा. साथ ही कहा कि लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के लिहाज से कृषि के बाद एमएसएमई सेक्टर देश में दूसरे स्थान पर है. वहीं, मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग का इस सेक्टर से सीधा जुड़ाव है. इसलिए इस सेक्टर को कोरोना काल और लॉकडाउन की मंदी से उबारने पर केंद्र सरकार का खास जोर है.
इसके साथ ही सरकार का फोकस इस सेक्टर में बनी वस्तुओं की कीमत कम करने और गुणवत्ता बढ़ाने पर भी है. जब कम दाम में अच्छी गुणवत्ता की वस्तुएं मिलेगी तो देश में भी इनकी खपत बढ़ेगी और इनके निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा. इसके दो फायदे होंगे, पहला देश का पैसा देश में रहेगा और दूसरा निर्यात से विदेशी मुद्रा भी मिलेगी.
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चौधरी ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर के बाद सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान कृषि सेक्टर में सुधार पर है. क्योंकि, देश के 53 फीसदी लोग सीधे तौर पर इससे जुड़े हुए हैं. हालांकि, अधिकतर जगहों पर फसल निकाल ली गई थी लेकिन लॉकडाउन और मंडियां बंद होने से किसान अपनी उपज बेच नहीं पाए, अब मंडियां खुल गई हैं. इसके साथ ही सरकार ने किसानों को यह सुविधा दी है कि वे देश में कहीं भी अपना माल बेच सकें. इससे भी किसानों को अपनी उपज की अच्छी कीमत मिल सकेगी.
'आत्मनिर्भर भारत' मुहिम पर मंत्री की राय
पूर्व मंत्री चौधरी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मकसद यही है कि हमारे उद्योग विकसित हो और हमारे लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले. हमारे उद्योगों में उत्पादन तभी बढ़ेगा, जब उनकी मांग होगी. जब स्थानीय स्तर पर मांग नहीं हो तो कोई भी उत्पाद ज्यादा दिन तक चल नहीं पाएगा. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकल के लिए वोकल होने का आह्वान देश की जनता से किया है. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने विश्व शांति और बंधुत्व की बात भी कही है. लेकिन हमारे देश के उत्पादों का अच्छी गुणवत्ता के साथ उत्पादन बढ़े. ताकि हम स्थानीय उत्पादों को तरजीह दें और हमारे देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिले.
चौधरी ने कहा कि जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात करेंगे तो निश्चित रूप से उन देशों के हितों पर असर होगा, जो अब तक हमारे देश में अपना सस्ता माल खपा रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक सीमा विवाद का सवाल है, यह बहुत उच्च स्तर का मामला है और हम इस पर केवल अनुमान ही लगा सकते हैं. उनका मानना है कि सीमा विवाद का इससे ज्यादा संबंध नहीं है. लेकिन किसी भी देश के आर्थिक हित जब प्रभावित होते हैं तो कहीं न कहीं झुंझलाहट जरूर होती है.