कोटा. नगर विकास न्यास की ओर से पूनिया देवरी में प्रस्तावित देवनारायण पशुपालन आवास योजना के लिए गुरुवार को अतिक्रमण हटाया गया था. इस मामले में विधायक प्रहलाद गुंजल ने पत्रकार वार्ता में कहा कि यूआईटी के अधिकारी गुंडागर्दी कर रहे हैं.
विधायक ने कहा कि वर्दीधारी पुलिस को ले जाकर जबरन खातेदारों की जमीन पर काम करवाया जा रहा है. जहां पर उनकी और उनके भाई की खातेदारी में यहां बीस बीघा जमीन है. इसी तरह 49 खाताधारक हैं, जिनकी करीब तीन सौ से पांच सौ बीघा जमीन है. इस जमीन से यूआईटी बिना सहमति रोड निकालने का काम शुरू करना चाहती है. ऐसा वे नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि लीगल तरीके से जमीन एक्वायर करने की प्रकिया यूआईटी को करनी चाहिए थी.
एसीबी को देंगे परिवाद...
गुंजल का कहना है कि यूआईटी ने लोगों को गुमराह किया और खाताधारकों को दूसरी जगह मेन रोड पर जगह देने के नाम पर सहमति ले ली. जबकि दोनों जगह की डीएलसी रेट में काफी अंतर है. यह डीएलसी रेट कौन जमा करवाएगा, जिन खातेदारों ने सहमति जताई है. उनको लालच दिया गया है कि 3 लाख रुपए बीघा की जमीन किस जगह मेन रोड पर 12 लाख रुपए बीघा देने को कहा गया है. जबकि यूआईटी ऐसा नहीं कर सकती है. इसमें भी कुछ दलाल शामिल हो गए हैं. यूआईटी ने 12 लाख रुपए बीघा की जमीन लोगों को दी, तो वे इस संबंध में एसीबी को परिवाद देंगे.
जान चली जाए पर जमीन नहीं लेने दूंगा...
यूआईटी ने जमीन पर कब्जा करने वाले लोगों को नोटिस दिया है, जिन खाताधारकों ने सहमति पत्र नही दिया. उनसे जमीन अधिग्रहण की नियमानुसार कोई कार्रवाई नहीं की गई. यूआईटी का दस्ता उनकी खातेदारी की जमीन में घुस गया था, इसलिए वह मौके पर गए थे.
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उन्होंने कहा कि अतिक्रमण की कार्रवाई का विरोध नहीं किया है. सिवायचक भूमि से लोगों को हटाने पर कोई दिक्कत नहीं है, जिन खातेदारों को सहमति से हटा रहे हैं. इसमें भी कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन जिन खातेदारों ने सहमति पत्र नहीं दिया है, उनकी एक इंच जमीन यूआईटी को लेने नही देंगे. मेरी जमीन पर एक इंच काम नहीं करने दूंगा, सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लडूंगा. साथ ही मेरी जान चली जाए, लेकिन जमीन नहीं लेने दूंगा.
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यूआईटी के अधिकारियों को चेतावनी देते हुए प्रहलाद गुंजल ने कहा कि देवनारायण कैटल योजना फेल साबित होगी. कोई भी लोग वहां पर रहने नहीं जाएगा, क्योंकि जितने रुपए में वहां पर एक प्लॉट मिल रहा है. इतने में तीन से चार बीघा जमीन पहले ही मिल रही है. ऐसे में यह योजना फेल होगी. यूआईटी के 500 करोड़ रुपए इसमें खर्च हो रहे हैं, जो भी अधिकारी इसमें शामिल होंगे. उनके खिलाफ हमारी सरकार आने पर फिजूलखर्ची का मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा.