कोटा. कोटा शहर कोचिंग का हब है. यहां देशभर से हर साल हजारों स्टूडेंट अपने सपने लेकर आते हैं और कोटा शहर उनके सपनों में रोशनी के रंग भी भरता है. साल 2006 में मेडिकल सलेक्शन की बात करें तो प्री और मेंस मिलाकर कोटा ने करीब 4647 बच्चों का चयन कराया. अब 2020 में यह आंकड़ा 1 लाख 10 हजार के ऊपर है.
आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन ये सच है. इसी तरह 2006 में इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में कोटा के 200 बच्चे सफल हुए थे, लेकिन 2021 में सफल होने वाले स्टूडेंट्स का आंकड़ा 6 हजार के ऊपर है. यही वजह है कि देशभर से लाखों स्टूडेंट कोटा में कोचिंग लेने आते हैं. कोटा में कोचिंग करने वाले अधिकांश स्टूडेंट अपने घर दिवाली मनाने के लिए भी नहीं जाते. हालांकि कोचिंग संस्थानों में दिवाली की छुट्टियां होती हैं. लेकिन ये स्टूडेंट्स कोटा में रहकर ही अपनी तैयारी जारी रखते हैं. इनका कहना है कि मनचाहे मेडिकल और इंजीनियरिंग कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए वे कड़ी मेहनत करते हैं. उनके लिए सलेक्शन होना ही दिवाली का त्योहार हो जाता है.
साल दर साल बढ़ रहा कारवां
कोटा में 1980 के बाद में ट्यूशन के रूप में पढ़ाई का एक कल्चर शुरू हुआ था. अब कोटा शहर एजुकेशन हब बन चुका है. इसे शिक्षा की काशी कहा जाने लगा है. 2019 में यहां 2 लाख से ज्यादा बच्चे कोचिंग ले रहे थे, यही कारण है कि यहां से सलेक्शन का दायरा भी बढ़ता जा रहा है. 2006 में मेडिकल में प्री और मेंस मिलाकर कोटा से 4647 बच्चों का चयन हुआ. जबकि 2020 में यह आंकड़ा 1 लाख 10 हजार के भी ऊपर पहुंच गया है. इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में भी यह संख्या 200 से बढ़कर अब 6 हजार के ऊपर पहुंच चुकी है. कोटा के एक निजी कोचिंग संस्थान से इस साल 5194 बच्चे सेलेक्ट हुए हैं.
कोटा की पढ़ाई यूनिक, इसलिए हो रहे सलेक्शन
कोटा के बड़े निजी कोचिंग संस्थानों में लाखों बच्चे हर साल पढ़ाई करते हैं. यहां फैकल्टी के बीच भी कंपटीशन होता है. देशभर से आने वाले बच्चों के बीच भी कंपटीशन होता है. बच्चे हॉस्टल में एक साथ रहते हैं. वहां वे अपनी कमजोरी को दोस्तों से शेयर कर उसे सुधार लेते हैं. फैकल्टी बच्चों को पढ़ाने के लिए यूनिक पैटर्न का इस्तेमाल करती है.
मेडिकल सीटों में 30 फीसदी से ज्यादा पर कब्जा
देशभर में मेडिकल की करीब 83 हजार सीटें हैं. 2020 में कोटा कोचिंग के 1 लाख से ज्यादा बच्चे काउंसलिंग के लिए सिलेक्ट हुए थे, इनमें से एक तिहाई बच्चों का सिलेक्शन भी हुआ. इनमें से 23-24 हजार बच्चों का एडमिशन मेडिकल कॉलेज में हुआ. कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेजों की बात की जाए तो वहां करीब 40 हजार सीटें हैं. यहां भी 30-40 प्रतिशत बच्चे वाया कोटा ही एडमिशन लेते हैं. 12 से 15 हजार बच्चे सरकारी मेडिकल कॉलेज में कोटा के जरिए ही एडमिशन पाते हैं.
सलेक्शन ही नहीं, टॉप रैंक पर भी कोटा का कब्जा
एक निजी कोचिंग संस्थान के वाइस प्रेसिडेंट नितेश शर्मा का कहना है कि इस साल भी उनके कोचिंग संस्थान के जेईई एडवांस परीक्षा 2021 में टॉप 100 में से 49 बच्चे शामिल हुए हैं. यह संख्या टॉप 50 में 27 और टॉप 15 में 7 है. कोटा क्वालिटी के साथ-साथ क्वांटिटी दोनों में ही रिजल्ट के मामले में हावी रहा है. ये बच्चों का सलेक्शन भी कराता है और टॉप रैंक भी दिलाता रहा है. मुंबई आईआईटी की कंप्यूटर साइंस ब्रांच के लिए हर स्टूडेंट एडमिशन लेना चाहता है, पिछले साल 42 बच्चे कोटा कोचिंग से ही वहां पहुंचे हैं. यानी वहां हर तीसरा बच्चा कोटा से है.
लाखों का क्वेश्चन बैंक, वीकली एग्जाम का पैटर्न
कोचिंग के लिए कोटा आने वाले बच्चों का कोर्स पूरा होने के बाद लगातार डाउट काउंटर संचालित किए जाते हैं. कोविड-19 की सिचुएशन के चलते ऑनलाइन क्लासेज भी चली. जिनके जरिए डाउट काउंटर सेक्शन ऑनलाइन किये गये. कोचिंग संस्थान के इन डाउट काउंटर्स पर बच्चा कभी भी अपने सवालों के बारे में समझ सकता है, उनका उत्तर हासिल कर सकता है. वह फैकल्टी को मैसेज करके भी जानकारी जुटा सकता है. साथ ही कोटा कोचिंग में वीकली एग्जाम का पैटर्न है. जिसके जरिए बच्चे को परफॉर्मेंस को सुधारने का मौका मिलता है. कोचिंग संस्थान बच्चों के लिए लाखों क्वेश्चंस का एक पूरा बैंक तैयार कर चुके हैं. इससे जेईई और नीट जैसे एग्जाम में बच्चों को मदद मिलती है.
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बच्चे ही करते हैं माउथ पब्लिसिटी
कोचिंग सिटी ही नहीं, बल्कि कोटा केयर सिटी भी है. यहां हॉस्टल और पेइंग गेस्ट मालिक बच्चों की सुविधाओं का ध्यान रखते हैं. फैकल्टी मेंटर की भूमिका निभाते हैं. बच्चों को हॉस्टल के पास ही जरूरत का हर सामान मिल जाता है, ताकि उनका समय खराब न हो. माउथ पब्लिसिटी के कारण कोटा में हर साल कोचिंग के लिए आने वाले बच्चों की तादाद बढ़ रही है.
2017 में एम्स एग्जाम में गाड़े थे झंडे, टॉप 10 रैंक कोटा से
टॉपर्स की बात की जाए तो नीट परीक्षा में वर्ष 2020 में जहां पर शोएब आफताब 720 में से 720 अंक लाकर ऑल इंडिया टॉप रैंक हासिल की थी. इसी तरह से 2019 में कोटा से ही कोचिंग कर रहे नलिन खंडेलवाल 701 अंक लेकर टॉपर रहे थे. एम्स में प्रवेश के लिए पहले अलग परीक्षा आयोजित होती थी, ऐसे में वर्ष 2017 के एम्स एंट्रेंस एग्जाम में कोटा कोचिंग का परचम लहराया था, जिसमें की टॉप 10 रैंक कोटा से ही आई थी.
इसमें टॉपर ऑल इंडिया रैंक 1 पर निशिता पुरोहित रही थी. इसके बाद 2 से लेकर 10 रैंक तक कोटा कोचिंग के स्टूडेंट ही थे. इनमें दूसरे पर अर्चित गुप्ता, तीसरे पर तमोघना घोष, चौथी पर निपुण चन्द्र, पांचवीं पर हर्ष अग्रवाल, छठी पर ऋषव राज, सांतवीं पर हर्षित आनंद, आठवीं पर रिंकू शर्मा, नौवीं पर अभिषेक डोगरा और दसवीं पर मनीष मूलचंदानी शामिल थे.