जयपुर: साल 2024 समाप्त होने वाला है. राजस्थान सियासी नजरिए से बीजेपी के लिए अच्छा रहा है, लेकिन संगठन में उठापटक ने सुर्खियां बनाई रखी. लोकसभा चुनाव में खराब परफॉर्मेंस के बाद मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष को पद गंवाना पड़ा. नए प्रदेश अध्यक्ष ने कमान संभाली, लेकिन उन्होंने भी अब तक अपनी टीम बनाने की जगह पुरानी टीम के जरिए विधानसभा उपचुनाव में 5 सीटों पर जीत दर्ज कर कद को मजबूत किया, तो वहीं युवा मोर्चा अध्यक्ष अपनी टीम ही नहीं बना पाए. जो सूची जारी हुई वो भी विवादों के बीच रद्द कर दी गई.
संगठन एक मंच पर : विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से भाजपा में बहुत कुछ सामान्य से बेहतर चल रहा था, लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम ने संगठन में बदलाव की कहानी लिख दी. साल 2013 और 2019 से अजय बढ़त के साथ आगे बढ़ रही बीजेपी के विजय रथ को 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम में राजस्थान से डेंट लगा. 25 सीटों में भाजपा को सिर्फ 14 सीटों पर जीत दर्ज हुई और 11 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. इस तरह दो चुनाव में सभी 25 सीटें जीतने वाली भाजपा से कांग्रेस और सहयोगी पार्टियों के साथ मिल कर 11 सीटें छीन ली थी. सत्ता में होने बावजूद पार्टी की हुई इस हार का खामियाजा तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को अध्यक्ष पद गंवा कर चुकाना पड़ा.
हार की नैतिक जिम्मेदारी के साथ जोशी ने इस्तीफे की पेशकश की और पार्टी आलाकमान ने उसे स्वीकार करते हुए राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्त करते हुए बड़ी जिम्मेदारी दी. अगस्त में मदन राठौड़ ने अध्यक्ष पद संभाला. राठौड़ ने अध्यक्ष पद संभालने के साथ खेमों में बंटी भाजपा को एक जाजम पर लाने का काम किया. राठौड़ के पदभार ग्रहण समारोह में लंबे समय से पार्टी गतिविधियों से दूर चल रहीं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे मंच पर पहुंची. इसके साथ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सहित केंद्रीय मंत्री और अन्य वरिष्ठ नेता राठौड़ की ताजपोशी में शामिल हुए तो संगठन में एकजुटता का संदेश गया.
युवा मोर्चा और विवाद के बीच सूची लटकी : पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने अगस्त 2023 में युवा मोर्चा में बदलाव करते हुए छात्र राजनीति से संगठन की राजनीति में आने वाले अंकित चेची को युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. चेची ने पद संभालने के साथ तत्कालीन कांग्रेस सरकार में एक के बाद एक दो विरोध प्रदर्शन में लाठीचार्ज चार्ज के जरिए सुर्खियां बटोरी, लेकिन अध्यक्ष बनने के 16 महीने बाद भी अपनी टीम नहीं बना सके. भाजपा युवा मोर्चा के नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद संगठन की नई कार्यकारिणी के गठन का इंतजार अभी तक है. हलांकि, ऐसा नहीं है कि चेची अपनी टीम नहीं बनाना चाहते हैं. पूर्व प्रदेश जोशी के समय भी अंकित चेची ने अपनी टीम की सूची तैयार की, लेकिन जोशी ने उसे खारिज कर दिया. इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष बदल गए.
नए अध्यक्ष बनने के बाद अंकित चेची ने फिर अपनी टीम की सूची मदन राठौड़ को सौंपी. अध्यक्ष ने उसे जारी करने के निर्देश भी दिए, लेकिन सूची जारी होने के 53 मिनट बाद पार्टी की ओर से इस नई कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया. पार्टी के ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट पर स्पष्ट किया गया कि यह लिस्ट त्रुटिवश जारी हो गई थी. इसलिए इसे निरस्त किया जाता है. युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष अंकित चेची की ओर से 8 प्रदेश उपाध्यक्ष, 4 प्रदेश महामंत्री, 9 प्रदेश मंत्री, प्रदेश कोषाध्यक्ष, सह कोषाध्यक्ष प्रदेश, कार्यालय मंत्री, मीडिया प्रभारी और सह प्रभारी के साथ 26 नेताओं को प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया था. चेची की ओर से कार्यकारिणी का गठन किए जाने के बाद विवाद शुरू हुआ तो इसे निरस्त कर दिया गया. इसके बाद चेची अपनी टीम की घोषणा नहीं करवा पाए हैं.
संगठन महामंत्री का इंतजार : राजस्थान में संगठन महामंत्री के तौर पर चंद्रशेखर ने काफी समय तक राजस्थान की बागडोर संभाली. अपनी कुशल राजनीति और पार्टी के प्रति कर्मठता के कारण चंद्रशेखर बीजेपी में अहम स्थान रखते हैं. राजस्थान में बीजेपी की जीत और भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने का प्रमुख सूत्रधार चंद्रशेखर की कुशल चाणक्य नीति को माना जा रहा है, लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद संगठन ने उन्होंने राजस्थान से मुक्त करते हुए अन्य राज्य तेलंगाना की जिम्मेदारी सौंपी गई है. तब से राजस्थान में संगठन महामंत्री का पद खाली है. इसको लेकर अब कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी हाईकमान किसको राजस्थान में संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी सौंपेगी?, लेकिन करीब 8 महीने से राजस्थान संगठन महामंत्री के इंतजार में है. संगठन महामंत्री के बगैर लोकसभा चुनाव में गई भाजपा को राजस्थान में 11 सीटों का खामियाजा भी उठाना पड़ा.
उतार-चढ़ाव वाला रहा संगठन का एक वर्ष : पॉलिटिकल एक्सपर्ट एकलव्य सिंह बताते हैं कि भाजपा का एक साल काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा. लंबे समय से अलग-अलग खेमों में बंटी बीजेपी नए प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में एक मंच पर जरूर दिखाई दी, लेकिन 4 महीने बाद भी नई टीम का गठन नहीं होना यह जरूर बताता रहा है कि अध्यक्ष के लिए सभी को साथ कर चलना एक बड़ी चुनौती है. एकलव्य सिंह कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के परिणामों ने मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को सीट छोड़ने पर मजबूर किया तो, युवा मोर्चा के अध्यक्ष अंकित चेची 16 महीने बाद भी इस कदर विवादों में रहे कि अपनी टीम तक नहीं बना पाए. इतना ही नहीं, संगठन महामंत्री की कमी उसे वक्त ज्यादा खली जब बिना संगठन महामंत्री के लोकसभा चुनाव में भाजपा उतरी और 11 सिट गवा बैठी.
एकलव्य सिंह कहते हैं कि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ मूल ओबीसी से आते हैं. ऐसे में पार्टी ने ब्राह्मण अध्यक्ष को हटाकर एक जाति समीकरण बिठाने की तो कोशिश की और इसका लाभ उपचुनाव में देखने को मिला. जहां पार्टी 7 सीटों में से मात्र एक सीट पर मजबूत मानी जा रही थी, उसने 5 सीटों पर ऐतिहासिक जीत हासिल करके उपचुनाव का एक नया रिकॉर्ड बनाया. मदन राठौड़ सत्ता और संगठन के बीच तालमेल बिठाने के लिए बेहतर तरीके से काम करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें जल्द अपनी टीम बनाकर एक मैसेज देना होगा.