जयपुर : 2024 अपने समापन की ओर है और राजस्थान की राजनीति में यह साल कांग्रेस के लिए कई मायनों में अहम साबित हुआ. 2023 के आखिर में विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवाने के बाद पार्टी ने नए साल की शुरुआत श्रीकरणपुर उपचुनाव में जीत के साथ की. कांग्रेस प्रत्याशी रूपिंदर (रूबी) कुन्नर ने यहां भाजपा के मंत्री सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को हराया. हालांकि, लोकसभा और विधानसभा के उपचुनावों ने पार्टी को कई महत्वपूर्ण सबक भी दिए.
इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दस साल का सूखा खत्म किया और आठ सीटों पर जीत दर्ज की. हालांकि, सहयोगी पार्टियों का साथ भी जोड़ें तो 25 में से 11 सीटों पर भाजपा को हराया. अभी इस जीत की खुमारी उतरी नहीं कि सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की मुनादी हुई. कांग्रेस नेतृत्व का दावा था कि सभी सात सीटों पर कांग्रेस मजबूत है, लेकिन सात में से एक ही सीट कांग्रेस को नसीब हुई. बड़ी बात यह रही कि चार सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी न केवल तीसरे स्थान पर रहे, बल्कि अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए. ऐसे में यह साल जाते-जाते कांग्रेस के किए एक बड़ा सबक छोड़ गया.
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श्रीकरणपुर: मंत्री की हार और कांग्रेस की जीत : 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन से श्रीकरणपुर सीट का चुनाव स्थगित हो गया था. कांग्रेस ने उनके बेटे रूपिंदर (रूबी) पर दांव लगाया, जबकि भाजपा ने सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को मंत्री बनाकर मैदान में उतारा. जनवरी 2024 में हुए चुनाव में रूपिंदर कुन्नर ने टीटी को हराकर कांग्रेस को जीत दिलाई. हार के बाद टीटी ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया और कांग्रेस ने उन्हें "अग्निवीर मंत्री" कहकर तंज कसा.
लोकसभा चुनाव: दस साल बाद बड़ी वापसी : राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने सीकर में सीपीआई(एम), नागौर में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और डूंगरपुर-बांसवाड़ा में भारत आदिवासी पार्टी के साथ गठबंधन किया. इन तीन सीटों के अलावा कांग्रेस ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की. इस तरह कांग्रेस और सहयोगी दलों ने भाजपा को 25 में से 11 सीटों पर हराया. यह जीत न केवल प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व के लिए बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी के लिए संजीवनी साबित हुई.
सोनिया गांधी बनीं राज्यसभा सदस्य : 2024 की एक और बड़ी घटना सोनिया गांधी का राजस्थान से राज्यसभा सदस्य चुना जाना रही. सोनिया ने स्वास्थ्य कारणों से अपनी पारंपरिक रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ा और राजस्थान से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुनी गईं. इससे पहले कांग्रेस ने जयपुर में अपना लोकसभा चुनावी घोषणा पत्र भी जारी किया था. इस घटनाक्रम ने राज्य में कांग्रेस के महत्व को राष्ट्रीय स्तर पर और बढ़ा दिया.
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विधायकों को लोकसभा में उतारने का प्रयोग : कांग्रेस ने इस बार अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए विधानसभा के विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़वाया. दौसा से मुरारीलाल मीणा, झुंझुनूं से बृजेंद्र सिंह ओला और टोंक से हरिशचंद्र मीणा को टिकट दिया गया. इसके अलावा, हनुमान बेनीवाल (नागौर) और राजकुमार रोत (डूंगरपुर-बांसवाड़ा) ने भी जीत दर्ज की. इन नेताओं की जीत ने पांच सीटों पर उपचुनाव की स्थिति पैदा कर दी.
उपचुनाव में चार सीटों पर जमानत जब्त : सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हुए. 13 नवंबर को हुए मतदान के नतीजे 23 नवंबर को आए, जिसमें कांग्रेस केवल दौसा सीट पर ही जीत सकी. पार्टी चार सीटों पर न केवल हार गई, बल्कि अपनी जमानत भी गंवा बैठी. इन सीटों में से चार पहले कांग्रेस के पास थीं. भाजपा, भारत आदिवासी पार्टी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने अन्य सीटों पर कब्जा किया.
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हार से सबक और भविष्य की तैयारी : उपचुनाव में हार के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए आगे की रणनीति पर काम करने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इससे सबक लेगी और मजबूती के साथ वापसी करेगी. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी नतीजों को अप्रत्याशित बताया और कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करेगी.
2024 में कांग्रेस ने जहां लोकसभा चुनाव में प्रभावशाली प्रदर्शन कर अपनी स्थिति मजबूत की, वहीं उपचुनाव की हार ने पार्टी को आत्ममंथन का अवसर दिया. सोनिया गांधी की राज्यसभा सदस्यता और श्रीकरणपुर की जीत ने पार्टी में नए जोश का संचार किया, लेकिन सात सीटों के उपचुनावों में प्रदर्शन ने पार्टी को संगठनात्मक मजबूती की आवश्यकता का एहसास दिलाया है. अगले साल कांग्रेस के लिए यह देखना अहम होगा कि वह इन सबक से कितना सीखती है और आगामी विधानसभा चुनाव में कैसा प्रदर्शन करती है.