जोधपुर. शहर के भीतरी क्षेत्र स्थित गंगश्यामजी मंदिर प्रागंण में शुक्रवार को नृसिंह चतुर्दशी पर मलूक्का के मेले का आयोजन किया गया. करीब 250 वर्ष पुराने इस मंदिर में यह आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है.
मलूक्का रूपी हरिण्यकश्यप के प्रदर्शन के बाद मंदिर प्रांगण में भगवान नृसिंह ने प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध किया. मेला देखने के लिए शहरवासियों की भारी भीड़ उमड़ी. नृसिंह चर्तुदर्शी पर होने वाले परंपरागत आयोजन के तहत शुक्रवार शाम साढ़े चार बजे गंगश्यामजी मंदिर में सबसे पहले मलूक्के के रुप में हिरण्यकश्यप ने मंदिर परिसर और मंदिर के बाहर ताडंव मचाते हुए लोगों को डराया.
इसके बाद जैसे ही शाम के साढ़े छह बजे, नृसिंह भगवान का रूप धरे दुर्लभ शर्मा ने मंदिर प्रागंण में आकर हिरण्यकश्यप से संघर्ष करते हुए उसका वध कर दिया. जैसे ही उसका वध हुआ, पूरा मंदिर परिसर भगवान नृसिंह के जयकारों से गुंजायमान हो गया.
हिरणाकश्यप के वध के बाद भक्तों के बीच प्रसादी के रुप में पेड़े वितरित किए गए. मंदिर के पुजारी मुरली मनोहर शर्मा ने बताया कि यह आयोजन 250 वर्षों से किया जा रहा है. भगवान नरसिंह का जो मुखोटा है, वह जोधपुर राजपरिवार अहमदाबाद से जीत कर लाये थे.
इसलिए मानते है नरसिंह जयंती...
भक्त प्रहलाद द्वारा हर जगह भगवान की उपस्थिति बताने पर नाराज हरिण्यकश्यप ने वध करने की ठानी थी. अपने भक्त को बचाने के लिए भगवान को नरसिंह अवतार लेना पड़ा था। क्योंकि हरिण्यकश्यप को वरदान था कि उसे दिन या रात में कोई मनुष्य या देवता नहीं मार सकता. उसका वध ऐसे समय किया गया जो दिन और रात के मध्य का था.