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प्रहलाद के रक्षक भगवान नरसिंह ने लिया अवतार...मनाई जयंती - narsingh

गंगश्यामजी मंदिर प्रागंण में शुक्रवार को नृसिंह चतुर्दशी पर नरसिंह जयंती का आयोजन किया गया. नृसिंह चतुर्दशी के मौके पर मेला देखने के लिए शहरवासियों की भारी भीड़ उमड़ी.

भगवान नरसिंह ने लिया अवतार
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Published : May 18, 2019, 3:12 AM IST

जोधपुर. शहर के भीतरी क्षेत्र स्थित गंगश्यामजी मंदिर प्रागंण में शुक्रवार को नृसिंह चतुर्दशी पर मलूक्का के मेले का आयोजन किया गया. करीब 250 वर्ष पुराने इस मंदिर में यह आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है.

भगवान नरसिंह ने लिया अवतार

मलूक्का रूपी हरिण्यकश्यप के प्रदर्शन के बाद मंदिर प्रांगण में भगवान नृसिंह ने प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध किया. मेला देखने के लिए शहरवासियों की भारी भीड़ उमड़ी. नृसिंह चर्तुदर्शी पर होने वाले परंपरागत आयोजन के तहत शुक्रवार शाम साढ़े चार बजे गंगश्यामजी मंदिर में सबसे पहले मलूक्के के रुप में हिरण्यकश्यप ने मंदिर परिसर और मंदिर के बाहर ताडंव मचाते हुए लोगों को डराया.

इसके बाद जैसे ही शाम के साढ़े छह बजे, नृसिंह भगवान का रूप धरे दुर्लभ शर्मा ने मंदिर प्रागंण में आकर हिरण्यकश्यप से संघर्ष करते हुए उसका वध कर दिया. जैसे ही उसका वध हुआ, पूरा मंदिर परिसर भगवान नृसिंह के जयकारों से गुंजायमान हो गया.

हिरणाकश्यप के वध के बाद भक्तों के बीच प्रसादी के रुप में पेड़े वितरित किए गए. मंदिर के पुजारी मुरली मनोहर शर्मा ने बताया कि यह आयोजन 250 वर्षों से किया जा रहा है. भगवान नरसिंह का जो मुखोटा है, वह जोधपुर राजपरिवार अहमदाबाद से जीत कर लाये थे.

इसलिए मानते है नरसिंह जयंती...

भक्त प्रहलाद द्वारा हर जगह भगवान की उपस्थिति बताने पर नाराज हरिण्यकश्यप ने वध करने की ठानी थी. अपने भक्त को बचाने के लिए भगवान को नरसिंह अवतार लेना पड़ा था। क्योंकि हरिण्यकश्यप को वरदान था कि उसे दिन या रात में कोई मनुष्य या देवता नहीं मार सकता. उसका वध ऐसे समय किया गया जो दिन और रात के मध्य का था.

जोधपुर. शहर के भीतरी क्षेत्र स्थित गंगश्यामजी मंदिर प्रागंण में शुक्रवार को नृसिंह चतुर्दशी पर मलूक्का के मेले का आयोजन किया गया. करीब 250 वर्ष पुराने इस मंदिर में यह आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है.

भगवान नरसिंह ने लिया अवतार

मलूक्का रूपी हरिण्यकश्यप के प्रदर्शन के बाद मंदिर प्रांगण में भगवान नृसिंह ने प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध किया. मेला देखने के लिए शहरवासियों की भारी भीड़ उमड़ी. नृसिंह चर्तुदर्शी पर होने वाले परंपरागत आयोजन के तहत शुक्रवार शाम साढ़े चार बजे गंगश्यामजी मंदिर में सबसे पहले मलूक्के के रुप में हिरण्यकश्यप ने मंदिर परिसर और मंदिर के बाहर ताडंव मचाते हुए लोगों को डराया.

इसके बाद जैसे ही शाम के साढ़े छह बजे, नृसिंह भगवान का रूप धरे दुर्लभ शर्मा ने मंदिर प्रागंण में आकर हिरण्यकश्यप से संघर्ष करते हुए उसका वध कर दिया. जैसे ही उसका वध हुआ, पूरा मंदिर परिसर भगवान नृसिंह के जयकारों से गुंजायमान हो गया.

हिरणाकश्यप के वध के बाद भक्तों के बीच प्रसादी के रुप में पेड़े वितरित किए गए. मंदिर के पुजारी मुरली मनोहर शर्मा ने बताया कि यह आयोजन 250 वर्षों से किया जा रहा है. भगवान नरसिंह का जो मुखोटा है, वह जोधपुर राजपरिवार अहमदाबाद से जीत कर लाये थे.

इसलिए मानते है नरसिंह जयंती...

भक्त प्रहलाद द्वारा हर जगह भगवान की उपस्थिति बताने पर नाराज हरिण्यकश्यप ने वध करने की ठानी थी. अपने भक्त को बचाने के लिए भगवान को नरसिंह अवतार लेना पड़ा था। क्योंकि हरिण्यकश्यप को वरदान था कि उसे दिन या रात में कोई मनुष्य या देवता नहीं मार सकता. उसका वध ऐसे समय किया गया जो दिन और रात के मध्य का था.

Intro:जोधपुर। शहर के भीतरी क्षेत्र स्थित गंगश्यामजी मंदिर प्रागंण में शुक्रवार को नृसिंह चतुर्दशी पर मलूका के मेले का आयोजन किया गया। करीब 250 वर्ष पुराने इस मंदिर में यह आयोजन प्रतिवर्ष किया जा रहा है। मलूका रूपी हरिण्यकश्यप के प्रदर्शन के बाद मंदिर प्रांगण में भगवान नृसिंह ने प्रकट होकर हिरणाकश्यप का वध किया। मेला देखने के लिए शहरवासियों की भारी भीड़ उमड़ी। नृसिंह चर्तुदर्शी पर होने वाले परंपरागत आयोजन के तहत शुक्रवार शाम साढ़े चार बजे गंगश्यामजी मंदिर में सबसे पहले मलूके के रुप में हिरणाकश्यप ने मंदिर परिसर मंदिर के बाहर ताडंव मचाते हुए उछलकूद करते हुए लोगों को डराया। इसके बाद जैसे ही शाम के साढ़े छह बजे नृसिंह भगवान का रूप धरे दुर्लभ शर्मा ने मंदिर प्रागंण में आकर हिरणाकश्यप से संघर्ष करते हुए उसका वध कर दिया। जैसे ही उसका वध हुआ पूरा मंदिर परिसर भगवान नृसिंह के जैकारों से गुंजायमान हो गया। हिरणाकश्यप वध के बाद भक्तों के बीच प्रसादी के रुप में पेड़े वितरित किए। मंदिर के पुजारी मुरली मनोहर शर्मा ने बताया कि यह आयोजन 250 वर्षों से किया जा रहा है, भगवान नरसिंह।का जो मुखोटा है वह जोधपुर राजपरिवार अहमदाबाद से जीत कर लाये थे।


Body:इसलिए मानते है नरसिंह जयंती

भक्त प्रह्लाद द्वारा हर जगह भगवान की उपस्थिति बताने पर नाराज हरिण्यकश्यप ने वध करने की ठानी थी, अपने भक्त को बचाने के लिए भगवान को नरसिंह अवतार लेना पड़ा था। क्योंकि हरिण्यकश्यप को वरदान था कि उसे दी या रात में कोई मनुष्य या देवता नही मार सकता। उसका वध ऐसे समय किया गया जो दिन और रात के मध्य का था।

bite : मुरलीमनोहर शर्मा, मुख्य पुजारी गंगश्यामजी मंदिर


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