जोधपुर. जालोर के सुराणा गांव में दलित बालक की हत्या के मामले में दलित, आदिवासी व अल्पसंख्यकों व महिला संगठनों (Dalit student Death case) के संयुक्त मंच दलित प्रतिरोध आंदोलन ने सरकार की कार्यशैली को लेकर बड़े सवाल उठाए हैं. आंदोलन से जुड़े बौद्धमहासभा के प्रदेशाध्यक्ष एवं सेवानिवृत न्यायाधीश टीसी राहुल ने आरोप लगाया है कि दलितों को गालियां दी जा रही है और मौके पर कलेक्टर-एसपी ताली बजा रहे हैं. सरकार इनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. इसको लेकर उन्होंने ऐसे अधिकारियों को निलंबित करने की मांग की है.
शुक्रवार को जोधपुर में आयोजित प्रेसवार्ता में राहुल ने कहा कि मामले में कहा जा रहा है कि वहां मटका नहीं था. इस तथ्य को खत्म करने की कोशिश की जा रही है. मुख्यमंत्री के क्षेत्र में दलितों के साथ उत्पीड़न के मामले बढ़ रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद वो इसको लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं. उनको वहां जाने की फुर्सत तक नहीं है. हमारी मांग है कि पीड़ित परिवार को उदयपुर की तर्ज पर 50 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए. सरकार एक एसओपी बनाए. दलितों के विरुद्ध होने वाले मामलों को लेकर कानून बनाएं. जिसकी पालना सभी कलेक्टर-एसपी करें, यह भी सुनिश्चित करना होगा. राहुल ने बताया कि हमारा मंच इसको लेकर लगातार आंदोलन कर रहा है. प्रदेश भर में हम अपनी मांगों को लेकर आगामी दिनों में भी आंदोलन करेंगे.
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संवदेनहीन है मुख्यमंत्री: सीपीआई मार्क्सवादी की राज्य कमेटी के सदस्य संजय माधव ने कहा कि इस जालोर प्रकरण (Protest against Dalit student death case) के कई तथ्य हैं, जो अभी तक सामने नहीं आए हैं. परिवार की मर्जी के बिना नौ किलोमीटर दूर ले जाकर बच्चे का अंतिम संस्कार किया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आज तक नहीं दी गई. मटके से पानी पीने को लेकर ही घटना हुई थी. जिसे अब गौण करने की कोशिश की जा रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संवदेनहीन मुख्यमंत्री हैं. उनको संवदेना का परिचय देना चाहिए. पीड़ित परिवार को उदयपुर की घटना के बराबर मुआवजा दें. परिवार को नौकरी दें. पूरे पश्चिमी राजस्थान में जिस तरीके से दलितों के साथ घटनाएं हो रही हैं. इनको रोकने के लिए कदम उठाने होंगे. जिससे दलित सुरक्षित महसूस कर सके.