अलवर: पड़ोसी देश बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से चल रहे अस्थिरता एवं भारत विरोधी दौर का अलवर सहित भारत के इलाकों में रुई, धागा एवं कपड़ा उत्पादन पर विपरीत असर पड़ा है. बांग्लादेश में सूत एवं कपड़ा उद्योग बंद होने से भारत से जाने वाले कपास की मांग में बेहद कमी आई है, जिससे कपास के दामों में भारी गिरावट आई है. अलवर मंडी में भी कपास के दामों में एक हजार रुपए से ज्यादा की कमी आई है, इसका सीधा नुकसान कपास उत्पादक किसानों को उठाना पड़ रहा है. वहीं रुई के बाजार पर ब्राजील के हावी होने से भी कपास के निर्यात में कमी आई है.
अलवर के कपास कारोबारी कुलदीप गुप्ता का कहना है कि बांग्लादेश में चल रही अस्थिरता से भारत का एक बड़ा रुई का खरीदार कम हुआ है. बांग्लादेश में कपास का जितना भी कारोबार होता था, वह अब गुजरात, महाराष्ट व दक्षिण राज्यों में शिफ्ट हो रहा है. बांग्लादेश के कपास के खरीदारों की ओर से भारत के कारोबारियों को पुराना पैसा नहीं दिया जा रहा. इस कारण आने वाले समय में भारत के कपास कारोबारियों का बांग्लादेश से मोहभंग हो गया है.
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ब्राजील दे रहा टक्कर: कपास कारोबारी गुप्ता ने कहा कि अभी अलवर जिला में कपास के भाव बढ़ने की संभावना नहीं है, इसका कारण है ब्राजील रुई बाजार में भारत को टक्कर दे रहा है. पिछले कुछ समय में ब्राजील रुई बाजार में हावी हुआ है. साथ ही ब्राजील आज के भाव में आगामी दो माह तक कपास देने को तैयार है. कपास के भाव में आगे आने वाले समय में तेजी की उम्मीद कम है. रूस एवं यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण भी कपास के निर्यात पर असर पड़ा है. बांग्लादेश में चल रहे अस्थिरता एवं भारत विरोधी दौर का भारत के रुई, धागा एवं कपड़ा उत्पादन पर विपरीत असर पड़ा है.
आवक रह गई आधी: कृषि उपजमंडी समिति के अध्यक्ष सुरेश जलालपुरिया ने बताया कि इन दिनों मंडी में कपास की आवक घटकर आधी रह गई है. अभी अलवर व खैरथल जोन की मंडियों में प्रतिदिन करीब 4 हजार क्विंटल कपास की आवक हो रही है. उन्होंने बताया कि 2016—17 में अलवर मंडी में करीब 17 लाख क्विंटल कपास की आवक हुई थी, जो इस साल घटकर करीब 8 लाख क्विंटल रह गई. इस साल पहले कपास का भाव 8200 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था, जिससे किसानों को लाभ हुआ था, लेकिन वर्तमान में कपास के भाव घटकर 7 हजार रुपए तक आ गए हैं. जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है.