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डाकिए ने डाक नहीं पहुंचाया, उपभोक्ता मंच ने हर्जाना लगाया ...कहा पोस्टल विभाग की लापरवाही न काबिल ए बर्दाश्त - BYJUS Study Material

जोधपुर उपभोक्ता मंच (Jodhpur Consumer Forum) ने एक डाकिए (Postman) को BYJUS का Study Material गलत शख्स को थमाने पर सजा सुनाई है. इसे पोस्टल कर्मचारी (Postal Worker) की लापरवाही माना है और कहा है कि ऐसा बर्ताव डाक विभाग से अपेक्षित नहीं है.

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डाकिए ने डाक नहीं पहुंचाया, उपभोक्ता मंच ने लगाया हर्जाना
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Published : Oct 5, 2021, 11:39 AM IST

Updated : Oct 5, 2021, 11:54 AM IST

जोधपुर: जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (District Consumer Disputes Redressal) द्वितीय ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में स्पीड पोस्ट डाक (Speed Post Mail) का लिफाफा प्राप्तकर्ता के बजाय गलत व्यक्ति को डिलेवर (Deliver) करने पर डाक विभाग पर हर्जाना लगाया है.

ये भी पढ़ें- जयपुर नहीं आएंगे पंजाब के CM चन्नी, खराब सेहत का हवाला दे रद्द किया दौरा

BYJUS का Study Material किया इधर-उधर

मीरानगर, झालामंड चौराहा निवासी दिव्याकांक्ष पंवार ने आयोग में अधीक्षक, डाकघर, जोधपुर के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि मै. बायजूस (BYJUS) कंपनी ने जून, 2017 में स्पीड पोस्ट डाक (Speed Post Mail) से उसके पते पर स्टडी मैटीरियल (Study Material) का लिफाफा भिजवाया गया था. जिसे पोस्टमैन ने उसे नहीं दिया. डाक किसी दूसरे व्यक्ति को महज उसके कहने पर डिलेवर (Deliver) कर दिया गया.

डाक विभाग का अजब तर्क

डाक विभाग की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि चूंकि मेल रिसीव करने वाले शख्स ने खुद को उसका सही हकदार बताया था सो पोस्टमैन (Postman) ने यह लिफाफा उसे थमा दिया. विभाग ने पोस्ट आफिस अधिनियम की धारा 6 का भी बचाव किया. जिसके अनुसार डाक कर्मचारी (Post Man) के जानबूझकर गड़बड़ी किया जाना साबित होने पर ही डाक विभाग (Postal Department) को हर्जाना (Penalty) के लिए दोषी ठहराया जा सकता है.

आयोग ने कहा लापरवाही तो हुई

आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी की बैंच ने इसे लापरवाही करार दिया. फैसला दिया कि पोस्टमैन (Postman) ने भारी भूल की. उसने लिफाफे पर लिखे पते के बजाय अपने पास आये हुए किसी व्यक्ति को डाक सौंप दिया. उसकी पहचान जांच किए बगैर! जबकि उसे लिफाफे पर अंकित पते के स्थान पर जाकर डाक वितरण (Mail Distribution) करनी चाहिए थी.

विभाग को फटकारा

मंच ने केस को बारीकी से देखा और कहा कि प्राप्ति के हस्ताक्षर भी प्राप्त कर्ता के बजाय अन्य व्यक्ति के थे. इससे डाक कर्मचारी की लापरवाही (Negligence) स्पष्ट साबित होती है. आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि डाकघर अधिनियम की धारा 6 लापरवाह कर्मचारियों को बचाव व सुरक्षा देने हेतु निरंकुश लाइसेंस (Licence) नहीं है तथा डाक विभाग अपने कर्मचारियों की सेवा में त्रुटि के लिए हर्जाने (Penalty) हेतु उतरदायी है.

आयोग ने डाक विभाग की सेवाओं में कमी साबित मानते हुए परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के एवज में पांच हजार रुपये व परिवाद खर्च के पच्चीस सौ रुपए (Rs 2500) डाक विभाग के जरिए परिवादी (Complainant) को अदा करने हेतु आदेश दिया है.

जोधपुर: जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (District Consumer Disputes Redressal) द्वितीय ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में स्पीड पोस्ट डाक (Speed Post Mail) का लिफाफा प्राप्तकर्ता के बजाय गलत व्यक्ति को डिलेवर (Deliver) करने पर डाक विभाग पर हर्जाना लगाया है.

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मीरानगर, झालामंड चौराहा निवासी दिव्याकांक्ष पंवार ने आयोग में अधीक्षक, डाकघर, जोधपुर के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि मै. बायजूस (BYJUS) कंपनी ने जून, 2017 में स्पीड पोस्ट डाक (Speed Post Mail) से उसके पते पर स्टडी मैटीरियल (Study Material) का लिफाफा भिजवाया गया था. जिसे पोस्टमैन ने उसे नहीं दिया. डाक किसी दूसरे व्यक्ति को महज उसके कहने पर डिलेवर (Deliver) कर दिया गया.

डाक विभाग का अजब तर्क

डाक विभाग की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि चूंकि मेल रिसीव करने वाले शख्स ने खुद को उसका सही हकदार बताया था सो पोस्टमैन (Postman) ने यह लिफाफा उसे थमा दिया. विभाग ने पोस्ट आफिस अधिनियम की धारा 6 का भी बचाव किया. जिसके अनुसार डाक कर्मचारी (Post Man) के जानबूझकर गड़बड़ी किया जाना साबित होने पर ही डाक विभाग (Postal Department) को हर्जाना (Penalty) के लिए दोषी ठहराया जा सकता है.

आयोग ने कहा लापरवाही तो हुई

आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी की बैंच ने इसे लापरवाही करार दिया. फैसला दिया कि पोस्टमैन (Postman) ने भारी भूल की. उसने लिफाफे पर लिखे पते के बजाय अपने पास आये हुए किसी व्यक्ति को डाक सौंप दिया. उसकी पहचान जांच किए बगैर! जबकि उसे लिफाफे पर अंकित पते के स्थान पर जाकर डाक वितरण (Mail Distribution) करनी चाहिए थी.

विभाग को फटकारा

मंच ने केस को बारीकी से देखा और कहा कि प्राप्ति के हस्ताक्षर भी प्राप्त कर्ता के बजाय अन्य व्यक्ति के थे. इससे डाक कर्मचारी की लापरवाही (Negligence) स्पष्ट साबित होती है. आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि डाकघर अधिनियम की धारा 6 लापरवाह कर्मचारियों को बचाव व सुरक्षा देने हेतु निरंकुश लाइसेंस (Licence) नहीं है तथा डाक विभाग अपने कर्मचारियों की सेवा में त्रुटि के लिए हर्जाने (Penalty) हेतु उतरदायी है.

आयोग ने डाक विभाग की सेवाओं में कमी साबित मानते हुए परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के एवज में पांच हजार रुपये व परिवाद खर्च के पच्चीस सौ रुपए (Rs 2500) डाक विभाग के जरिए परिवादी (Complainant) को अदा करने हेतु आदेश दिया है.

Last Updated : Oct 5, 2021, 11:54 AM IST
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