जयपुर. स्वायत्त शासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल विधायक संयम लोढा की ओर से शून्यकाल में नगर निगम कोटा में कथित रूप से छल पूर्वक तथ्यों को छुपाते हुए केईडीएल कंपनी की ओर से गलत बिल बनाने, सरकार और जनता के धन को हड़पने एवं आपराधिक कृत्य के लिए दर्ज एफआईआर पर कार्यवाही किये जाने के संबंध में रखे गये ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर गृहमंत्री की ओर से जवाब दे रहे थे.
उन्होंने बताया कि गलत वीसीआर भरने के संबंध में बिजली कम्पनियों को पहले भी लिखा जा चुका है. बिजली कम्पनियों ने इसकी जांच के लिए टीम को मौके पर भेजा लेकिन टीम की अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है. उन्होंने बताया कि यह सही है कि इस प्रकरण पर जो स्टे लगा हुआ है, उसको 12-13 महिने हो गये, लेकिन अभी स्टे वैकेट नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि अब इसके लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता की बजाय महाधिवक्ता को पैरवी करने के लिए कहा है.
उन्होंने बताया कि अब तक की तफ्तीश पूरी कर चालान तैयार कर लिया गया है. कोर्ट के आदेश के अनुसार इसे अभी पेश नहीं किया है. जिन लोगों के साथ गलत वीसीआर भरी है और जिन्हें लूटा गया है, वह एक नहीं है बल्कि हजारों की संख्या में हैं. इसमें काम बिजली कम्पनी को ही करना है. उन्होंने बताया कि हमने इस संबंध में निर्देश बिजली कम्पनी को दे भी दिये. कम्पनी ने इस संबंध में वहां टीम भी भेजी लेकिन टीम ने रिपोर्ट नहीं दी. इस कारण ही नगर निगम को किशोरपुरा थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज करानी पड़ी है.
इससे पहले ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर अपने लिखित वकतव्य में धारीवाल ने बताया कि कोटा में विद्युत वितरण एवं संचालन की व्यवस्था वर्ष 2016-17 से के.ई.डी.एल. कम्पनी द्वारा की जा रही है. उन्होंने बताया कि 16 जनवरी 20 को अधीक्षण अभियंता नगर निगम कोटा ने थाना किशोरपुरा कोटा पर के.ई.डी.एल. कम्पनी के विरूद्ध एक प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी. उन्होंने बताया कि के.ई.डी.एल. द्वारा नगर निगम कोटा क्षेत्र की विभिन्न सडकों पर लगाई गई रोड लाईट एवं नगर निगम कोटा द्वारा आवेदित तत्सम्बंधी विद्युत संबंधों के वास्तविक उपयोग के लिये प्रभारित विद्युत शुल्क का भुगतान नगर निगम कोटा द्वारा अरबन सेस से किया जाना था.
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उन्होंने बताया कि के.ई.डी.एल. द्वारा उक्त संविदा की शर्तों के उल्लंघन में जानबूझ कर कपटपूर्ण नीति से गलत एवं छद्म विद्युत प्रभार को परिगणित करते हुये वास्तविक उपभोग से अधिक विद्युत प्रभार का बिल बनाया गया एवं अरबन सेस मद में आम-जन की राशि को दोषपूर्ण रुप से प्राप्त करने का प्रयास किया गया. धारीवाल ने बताया कि उक्त रिपोर्ट पर प्रकरण सं0 17/20 धारा 418, 420, 468, 471, 120बी भारतीय दण्ड संहिता पुलिस थाना किशोरपुरा, कोटा शहर मे दर्ज कर अनुसंधान प्रारम्भ किया. उन्होंने बताया कि अब तक के अनुसंधान से संक्षिप्त में के.ई.डी.एल. कम्पनी के द्वारा विद्युत बिलों में अनियमितता करना, बिना कोई आवेदन प्राप्त किये स्वेच्छा से अतिरिक्त विद्युत मीटर या कनेक्शन लगाया जाना पाया गया.
इसके अलावा मीटर में आयी हुई रीडिंग से भिन्न औसत के आधार पर मनमर्जी का बिल बना कर भुगतान के लिये नगर निगम को भेजना, रोड लाईट के कनेक्शनों में से आवासीय कॉलोनी को विद्युत तार से जोडने में सहायता करना, सभी बिलों में मनमर्जी से अधिक रीडिंग बढाकर नगर निगम कोटा एवं नगर विकास न्यास कोटा के साथ धोखाधडी एवं छलपूर्वक तथ्यों को छुपाते हुए दोषपूर्ण विद्युत संरचनायें बनाकर उपकरणों से छेड़छाड़ करना व विभिन्न मीटर के विद्युत बिल वास्तविक रीडिंग से न देकर बिना किसी तकनीकी आधार पर (प्रोविजनल) औसत के आधार पर फर्जी तरीके से राजकीय धनराशि के.ई.डी.एल. कम्पनी द्वारा नगर निगम कोटा से उठाने का प्रयास किया गया है.
उन्होंने बताया कि सभी बिल सीईओ मुकेश गर्ग के हस्ताक्षर से जारी हुए हैं. उक्त बिलों में हुई अनियमित्ता के संबंध में आरोपीगण 1. मुकेश गर्ग (चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर के.ई.डी.एल.), 2. रविशंकर शुक्ला (कॉमर्शियल हैड के.ई.डी.एल.) व 3. भानू प्रकाश मिश्रा (हैड मीटरिंग विभाग के.ई.डी.एल.) के विरुद्ध प्रथम दृष्ट्या धारा 418, 420, 465, 468 भारतीय दण्ड संहिता का अपराध प्रमाणित है.
अन्य अभियुक्तगण के विरुद्ध साक्ष्य प्राप्त होने पर कार्यवाही की जायेगी. उन्होंने बताया कि के.ई.डी.एल. कम्पनी द्वारा उच्च न्यायालय, राजस्थान, जयपुर में एसबी क्रिमीनल मिसलेनियस पिटीशन संख्या 513/2020 में पारित आदेश 27 फरवरी 2020 एवं एसबी क्रिमिनल मिसलेनियस पिटीशन संख्या 5400/2020 में पारित आदेश 12 नवम्बर 2020 के प्रकरण में अभियुक्तगण के विरुद्ध कार्यवाही पर रोक लगायी गई है तथा अनुसंधान जारी रखने के आदेश जारी किये गये हैं.
प्रकरण में न्यायालय में आगामी तारीख 2 अप्रैल 2021 नियत है. धारीवाल ने बताया कि सरकार की ओर से राजस्थान उच्च न्यायालय में अविलम्ब सुनवाई के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा अपील दायर की गयी है. जैसे ही राजस्थान उच्च न्यायालय से के.ई.डी.एल. के विरूद्ध स्टे हटेगा, पुलिस द्वारा अविलम्ब के.ई.डी.एल. के विरूद्ध चालान पेश कर दिया जाएगा और के.ई.डी.एल. के दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी.