जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को भाजपा के विरोध के बीच सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद यूनिवर्सिटी जोधपुर संशोधन विधेयक 2020 पारित कर दिया गया. इससे पहले इस पर चर्चा हुई इसमें उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित अधिकतर भाजपा विधायकों ने इस विधेयक को जनमत जानने के लिए भेजने का आग्रह किया.
भाजपा विधायकों का विरोध था, कि सरकार यह संशोधन मात्र कुलपतियों को अपनी इच्छा के अनुसार बदलने के लिए कर रही है. इस संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाब सिंह कटारिया ने कहा कि आज प्रदेश के आयुर्वेद विभाग में पिछले कई सालों से डायरेक्ट का पद खाली चल रहा है. वहीं आयुर्वेद हॉस्पिटल में चिकित्सक सहित कई पद खाली है. बावजूद इसके सरकार ने कभी उनमें सुधार का प्रयास नहीं करा, लेकिन जोधपुर आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलपतियों को अपनी इच्छा के अनुसार बदलने लगाने के लिए यह संशोधन जरूर ले आई.
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कटारिया ने कहा कि संशोधन विधेयक में कुलपति पद के लिए कम से कम 10 वर्ष के प्रोफेसर पद की योग्यता रखी. साथ ही कई और नियम भी जोड़ दिए गए, लेकिन मौजूदा अहर्ता राजस्थान में तो शायद ही कोई पूरा कर पाए. वहीं जिस तरह राज्य सरकार से चर्चा के बाद कुलपति हटाने का अधिकार दिया गया है. वह भी सरकार की नियत पर सवाल उठाता है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी विधेयक पर चर्चा के दौरान सरकार को कई मुद्दों पर घेरा.
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राठौर ने कहा कि, मौजूदा सरकार ने 1 साल में विश्वविद्यालय में सुधार के लिए कोई कदम उठाया नहीं, लेकिन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों को किस तरह हटाया जाए इसको लेकर नित्य नए विधेयक जरूर पारित किए गए. साथ ही प्रदेश के आयुर्वेद विभाग में खाली चल रहे पद और उसके बजट को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा और इस संशोधन विधेयक को जन्म जानने के लिए भेजने की मांग की.
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वहीं भाजपा विधायक अशोक लाहोटी और अभिनेश महर्षी ने भी इस संशोधन विधेयक का विरोध किया. महेश ने तो यह तक कह दिया इस सरकार ने संशोधन विधायक का नाम अपनी इच्छा से कुलपति लगाओ वरना बदल डालो रखना चाहिए था.