जयपुर. ग्रामीण विकास व पंचायत राज मंत्री रमेश मीणा ने 7 जिलों में मनरेगा के कार्यों में अनियमितता का आरोप लगाते हुए सरपंचों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए तो नाराज प्रदेशभर के सरपंचों ने शुक्रवार को जयपुर में (Sarpanch Sangh Mahapadav) महापड़ाव डाल दिया. नाराज सरपंचों ने मंत्री रमेश मीणा के लगाए आरोपों को निराधार करार दिया और मंत्री से ही नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग की. हालांकि, महापड़ाव स्थल पर ही सरपंचों के दो गुट आमने-सामने हो गए और नौबत हाथापाई तक पहुंच गई.
जयपुर में न्यू सांगानेर रोड के पास मानसरोवर में सरपंच संघ राजस्थान के नेतृत्व में अलग-अलग जिलों से आए हजारों सरपंच जुटे. इस दौरान उन्होंने पंचायत राज मंत्री रमेश मीणा के लगाए आरोपों पर जमकर पलटवार किया. मंच से ही सरपंच संघ की एकता और रमेश मीणा के खिलाफ (Sarpanch Against Panchaytiraj Minister) नारेबाजी की गई. संघ के प्रदेश संरक्षक भंवरलाल जानू के अनुसार आंदोलनरत सरपंच मंत्री रमेश मीणा द्वारा कराई गई जांच से नाराज नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जांच होनी चाहिए और काम में सुधार भी होना चाहिए, लेकिन आधी-अधूरी जांच और बिना तथ्यों के सरपंचों पर जिस प्रकार के आरोप मंत्री ने लगाए हैं, उससे हम सब आहत हैं. भंवरलाल ने कहा कि मंत्री ने नागौर और बाड़मेर के सभी सरपंचों पर ही घोटालों के आरोप लगाए, जिससे सभी ग्राम पंचायतों का बहिष्कार किया जा रहा है.
सरपंच संघ के प्रदेश सचिव हनुमान चौधरी ने कहा कि मंत्री ने जो आरोप लगाए हैं वो पूरी तरह निराधार है. क्योंकि आज सरपंचों के पास वो अधिकार बचा ही नहीं जो पूर्व में हुआ करते थे. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत समितियों में अधिकतर कार्य अब अधिकारियों के जरिए ही होते हैं और जहां तक फंड की बात है वो सीधे अकाउंट में ही जाता है. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि संविधान में जिन अलग-अलग बिंदुओं का कार्य पंचायत राज के तहत दिया गया था, आज उनमें से अधिकतर छीन लिया गया है और मौजूदा सरकार ने तो सरपंचों को अधिकार विहीन कर दिया है. वहीं, सरपंच संघ से जुड़े अन्य सरपंचों का कहना था कि रमेश मीणा खुद विभाग के मंत्री हैं और यदि वो अपने ही विभाग में अनियमितता और घोटालों का आरोप लगा रहे हैं तो सबसे पहले (Demand of Minister Ramesh Meena Resignation) रमेश मीणा को नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफा दे देना चाहिए.
महापड़ाव में आमने-सामने हुए सरपंचों के दो गुट, हुई हाथापाई : महापड़ाव का कार्यक्रम शुरू होने के कुछ ही घंटे बाद सरपंचों के दो गुट आमने-सामने हो गए. महापड़ाव स्थल पर मंत्री रमेश मीणा के समर्थन वाले गुट के सरपंचों ने मंच से भाषण देने वालों का विरोध किया और देखते ही देखते महापड़ाव में शामिल कुछ सरपंचों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई. हालांकि, वहां तैनात पुलिस बल ने उन्हें अलग कर मामला शांत कराया.
मंत्री के इस्तीफे के साथ 31 सूत्री मांग पत्र में यह है खास : सरपंच संघ राजस्थान का 31 सूत्री मांग पत्र भी सरकार के पास लंबे समय से लंबित पड़ा है, जिसे पूरा करने की मांग की जा रही है. इसमें..
- टेंडर प्रक्रिया तीन कोटेशन से सामग्री खरीद के अनुमति के संशोधन आदेश जारी करने.
- एनजीओ द्वारा ऑडिट जांच बंद करने और सामाजिक अंकेक्षण ब्लॉक संसाधन ग्राम संसाधन द्वारा पूर्व की भांति जांच की व्यवस्था कराई जाने.
- मनरेगा सामग्री मध्य का बकाया भुगतान सात दिवस में जारी करवाने.
- वित्त आयोग की बकाया राशि जारी करवाने.
- महात्मा गांधी नरेगा योजना में मस्टरोल जारी करने का अधिकार ग्राम पंचायत स्तर पर दिए जाएं.
- ई पंचायत में भुगतान प्रक्रिया सरलीकरण की जाए.
- जन आधार ओटीपी प्रक्रिया बंद की जाए समेत 31 मांगें शामिल हैं.
मंत्री रमेश मीणा ने लगाए थे यह आरोप : पंचायत राज मंत्री रमेश मीणा ने 7 जिलों में हुए मनरेगा कार्यों की जांच के लिए कमेटी गठित की थी इसकी रिपोर्ट आने के बाद मंत्री ने इन 7 जिलों में अनियमितता का आरोप लगाया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि बाड़मेर, नागौर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बीकानेर, झालावाड़ और उदयपुर में 150 करोड़ रुपये से 500 करोड़ रुपये तक की राशि का काम दिखाया गया, जबकि उतना काम धरातल पर हुआ ही नहीं. मीणा ने यह भी कहा कि मनरेगा में जिस काम का श्रमिकों को पैसा दिया गया वह काम धरातल पर नहीं है. सर्वाधिक अनियमितता नागौर और बाड़मेर में हुई.