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खाने-पीने की चीजें हुई सस्ती, खुदरा महंगाई दर के नए आंकड़े जारी - RETAIL INFLATION

एनएसओ ने खुदरा महंगाई दर को लेकर नए आंकड़े जारी किए हैं. दूध, दाल, मांस, मछली हुए सस्ते.

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कॉन्सेप्ट फोटो (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 13, 2025, 5:08 PM IST

Updated : Jan 13, 2025, 7:05 PM IST

नई दिल्ली : पिछले चार महीनों की तुलना करें, तो दिसंबर महीने में महंगाई कुछ कम हुई है. दिसंबर 2024 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित खुदरा महंगाई में राहत मिली है. यह 5.22 फीसदी पर आ गई है. नवंबर में इसकी दर 5.48 फीसदी थी. एक साल पहले से तुलना करें तो दिसंबर 2023 में यह 5.69 फीसदी थी.

खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में नरमी की वजह से यह राहत मिली है. सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स पर आधारित फूड इंफ्लेशन 8.39 फीसदी है, जबकि दिसंबर 2024 से पहले नवंबर 2024 में यह 9.05 फीसदी थी. एक साल पीछे से तुलना करें तो दिसंबर 2023 में यह 9.53 फीसदी थी.

अलग-अलग वस्तुओं की बात करें, तो आप इसे ऐसे समझ सकते हैं.

दाल की कीमतें मात्र 3.83 फीसदी बढ़ीं, जबकि पिछले महीने यह 5.4 फीसदी तक बढ़ गई थी.

दूध की कीमत में 2.8 फीसदी की तेजी देखी गई, जबकि पिछले महीने यह 2.9 फीसदी तक महंगी हुई थी.

मांस और मछली की कीमतों में 4.7 फीसदी तक तेजी देखने को मिली, जबकि पिछले महीने यह 5.3 फीसदी तक बढ़ी थी.

अनाज के दामों में 4.7 फीसदी तक बढ़ोतरी देखी गई, जबकि पिछले महीने यह 5.3 फीसदी तक दाम बढ़े थे.

कपड़ों की कीमतों में 2.74 फीसदी तक वृद्धि देखी गई, जबकि पिछले महीने यह दर 2.8 फीसदी तक थी.

केयरएज की मुख्य अर्थशास्त्री, रजनी सिन्हा ने ईटीवी भारत को बताया कि दिसंबर में सीपीआई मुद्रास्फीति के घटने की प्रमुख वजह है - खाद्य मुद्रास्फीति में मंदी. उनके अनुसार सब्जियों की मुद्रास्फीति दर में कमी जारी रही, जो नवंबर में 29.4 फीसदी थी, जबकि दिसंबर में 26.6 फीसदी हो गई. उन्होंने कहा कि सब्जियों को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति आरबीआई के चार फीसदी के लक्ष्य से नीचे 3.9 फीसदी थी. सिन्हा ने कहा कि सब्जी मुद्रास्फीति में गिरावट के अलावा, मसालों में जारी अपस्फीति और दालों और चीनी की मुद्रास्फीति में गिरावट ने खाद्य मुद्रास्फीति में समग्र कमी में योगदान दिया है.

उन्होंने कहा, "वैश्विक मांग पर चिंताओं के बीच अगर वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में नरमी आती है, तो हमें आगे चलकर मुद्रास्फीति में और अधिक नरमी देखने को मिल सकती है. दिसंबर में ब्लूमबर्ग कमोडिटी मूल्य सूचकांक में सालाना आधार पर एक फीसदी की गिरावट आई और ब्रेंट क्रूड की कीमतों में साल-दर-साल 5.4 फीलसदी की गिरावट आई. वैसे भू-राजनीतिक घटनाओं की निगरानी करना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इससे डिमांड और सप्लाई दोनों ही प्रभावित होते हैं. आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में अपेक्षित नरमी से नीतिगत दर में कटौती पर विचार किया जा सकता है. हमारा अनुमान है कि खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी के कारण हेडलाइन मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही तक पांच फीसदी से नीचे आ जाएगी. इससे एमपीसी के लिए फरवरी की बैठक में नीतिगत दरों में 25-बीपीएस की कटौती पर विचार करने का अवसर पैदा होगा. हमें उम्मीद है कि FY25 और FY26 में मुद्रास्फीति क्रमशः 4.8 फीसदी और 4.5 फीसदी औसत रहेगी."

आईसीआरए लिमिटेड में मुख्य अर्थशास्त्री और प्रमुख – रिसर्च एंड आउटरीच, अदिति नायर ने कहा कि सीपीआई मुद्रास्फीति नवंबर 2024 में 5.5 फीसदी से घटकर दिसंबर 2024 में 5.2 फीसदी हो गई, हालांकि, सुधार की गति उम्मीद से कम थी. हालांकि, गिरावट खाद्य और पेय पदार्थों द्वारा प्रेरित थी, जबकि ईंधन, पान, तंबाकू और नशीले पदार्थों के लिए सालाना मुद्रास्फीति में मामूली वृद्धि दर्ज की गई.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स ने ये सभी आंकड़े जारी किए हैं. आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले महीने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इंफ्लेशन के अनुमान को 4.8 फीसदी कर दिया था, जबकि इसके पहले आरबीआई ने इसे 4.5 फीसदी बताया था. यानि आरबीआई ने अनुमान को 0.3 फीसदी बढ़ा दिया था.

उस समय आरबीआई ने यह भी जानकारी दी थी कि बहुत संभव है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में इंफ्लेशन उच्चस्तर पर बनी रह सकती है. यहां आपको बता दें कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर अधारित टोटल इंफ्लेशन जुलाई और अगस्त के दौरान औसतन 3.6 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर में 5.5 प्रतिशत और अक्टूबर, 2024 में 6.2 प्रतिशत रही थी.

क्या है जीडीपी का अनुमान - एनएसओ के अनुसार करेंट फाइनेंशियल ईयर में रीयल जीडीपी में 6.4 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जबकि फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के लिए जीडीपी के अनुमान में 8.2 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान है.

ये भी पढ़ें : साल 2024 के अंत में आई राहत की खबर, महंगाई दर में आई गिरावट

नई दिल्ली : पिछले चार महीनों की तुलना करें, तो दिसंबर महीने में महंगाई कुछ कम हुई है. दिसंबर 2024 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित खुदरा महंगाई में राहत मिली है. यह 5.22 फीसदी पर आ गई है. नवंबर में इसकी दर 5.48 फीसदी थी. एक साल पहले से तुलना करें तो दिसंबर 2023 में यह 5.69 फीसदी थी.

खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में नरमी की वजह से यह राहत मिली है. सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स पर आधारित फूड इंफ्लेशन 8.39 फीसदी है, जबकि दिसंबर 2024 से पहले नवंबर 2024 में यह 9.05 फीसदी थी. एक साल पीछे से तुलना करें तो दिसंबर 2023 में यह 9.53 फीसदी थी.

अलग-अलग वस्तुओं की बात करें, तो आप इसे ऐसे समझ सकते हैं.

दाल की कीमतें मात्र 3.83 फीसदी बढ़ीं, जबकि पिछले महीने यह 5.4 फीसदी तक बढ़ गई थी.

दूध की कीमत में 2.8 फीसदी की तेजी देखी गई, जबकि पिछले महीने यह 2.9 फीसदी तक महंगी हुई थी.

मांस और मछली की कीमतों में 4.7 फीसदी तक तेजी देखने को मिली, जबकि पिछले महीने यह 5.3 फीसदी तक बढ़ी थी.

अनाज के दामों में 4.7 फीसदी तक बढ़ोतरी देखी गई, जबकि पिछले महीने यह 5.3 फीसदी तक दाम बढ़े थे.

कपड़ों की कीमतों में 2.74 फीसदी तक वृद्धि देखी गई, जबकि पिछले महीने यह दर 2.8 फीसदी तक थी.

केयरएज की मुख्य अर्थशास्त्री, रजनी सिन्हा ने ईटीवी भारत को बताया कि दिसंबर में सीपीआई मुद्रास्फीति के घटने की प्रमुख वजह है - खाद्य मुद्रास्फीति में मंदी. उनके अनुसार सब्जियों की मुद्रास्फीति दर में कमी जारी रही, जो नवंबर में 29.4 फीसदी थी, जबकि दिसंबर में 26.6 फीसदी हो गई. उन्होंने कहा कि सब्जियों को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति आरबीआई के चार फीसदी के लक्ष्य से नीचे 3.9 फीसदी थी. सिन्हा ने कहा कि सब्जी मुद्रास्फीति में गिरावट के अलावा, मसालों में जारी अपस्फीति और दालों और चीनी की मुद्रास्फीति में गिरावट ने खाद्य मुद्रास्फीति में समग्र कमी में योगदान दिया है.

उन्होंने कहा, "वैश्विक मांग पर चिंताओं के बीच अगर वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में नरमी आती है, तो हमें आगे चलकर मुद्रास्फीति में और अधिक नरमी देखने को मिल सकती है. दिसंबर में ब्लूमबर्ग कमोडिटी मूल्य सूचकांक में सालाना आधार पर एक फीसदी की गिरावट आई और ब्रेंट क्रूड की कीमतों में साल-दर-साल 5.4 फीलसदी की गिरावट आई. वैसे भू-राजनीतिक घटनाओं की निगरानी करना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इससे डिमांड और सप्लाई दोनों ही प्रभावित होते हैं. आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में अपेक्षित नरमी से नीतिगत दर में कटौती पर विचार किया जा सकता है. हमारा अनुमान है कि खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी के कारण हेडलाइन मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही तक पांच फीसदी से नीचे आ जाएगी. इससे एमपीसी के लिए फरवरी की बैठक में नीतिगत दरों में 25-बीपीएस की कटौती पर विचार करने का अवसर पैदा होगा. हमें उम्मीद है कि FY25 और FY26 में मुद्रास्फीति क्रमशः 4.8 फीसदी और 4.5 फीसदी औसत रहेगी."

आईसीआरए लिमिटेड में मुख्य अर्थशास्त्री और प्रमुख – रिसर्च एंड आउटरीच, अदिति नायर ने कहा कि सीपीआई मुद्रास्फीति नवंबर 2024 में 5.5 फीसदी से घटकर दिसंबर 2024 में 5.2 फीसदी हो गई, हालांकि, सुधार की गति उम्मीद से कम थी. हालांकि, गिरावट खाद्य और पेय पदार्थों द्वारा प्रेरित थी, जबकि ईंधन, पान, तंबाकू और नशीले पदार्थों के लिए सालाना मुद्रास्फीति में मामूली वृद्धि दर्ज की गई.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स ने ये सभी आंकड़े जारी किए हैं. आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले महीने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इंफ्लेशन के अनुमान को 4.8 फीसदी कर दिया था, जबकि इसके पहले आरबीआई ने इसे 4.5 फीसदी बताया था. यानि आरबीआई ने अनुमान को 0.3 फीसदी बढ़ा दिया था.

उस समय आरबीआई ने यह भी जानकारी दी थी कि बहुत संभव है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में इंफ्लेशन उच्चस्तर पर बनी रह सकती है. यहां आपको बता दें कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर अधारित टोटल इंफ्लेशन जुलाई और अगस्त के दौरान औसतन 3.6 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर में 5.5 प्रतिशत और अक्टूबर, 2024 में 6.2 प्रतिशत रही थी.

क्या है जीडीपी का अनुमान - एनएसओ के अनुसार करेंट फाइनेंशियल ईयर में रीयल जीडीपी में 6.4 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जबकि फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के लिए जीडीपी के अनुमान में 8.2 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान है.

ये भी पढ़ें : साल 2024 के अंत में आई राहत की खबर, महंगाई दर में आई गिरावट

Last Updated : Jan 13, 2025, 7:05 PM IST
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