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कांग्रेस पर बरसे राज्यवर्धन सिंह राठौड़, कहा- कोरोना से निपटने की बजाय राजनीतिक बयानबाजी कर रहे राहुल और प्रियंका गांधी

भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर कोरोना काल में राजनीति करने का आरोप लगाया है. राठौड़ ने कहा कि कोरोना से लड़ाई में देश को एकजुटता का संदेश देना चाहिए लेकिन कांग्रेस नेता आपदा से निपटने में देश का साथ देने की बजाय राजनीतिक बयान दे रहे हैं.

corona virus,  Rajyavardhan Singh Rathore
राज्यवर्धन सिंह राठौड़
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Published : Apr 25, 2021, 12:32 AM IST

जयपुर. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने दिल्ली में मीडिया के माध्यम से कोरोना को लेकर एकजुटता का संदेश देते हुए कहा कोरोना संक्रमण से देश की वर्तमान स्थिति नाजुक है, पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में कोरोना के खिलाफ हर मोर्चे पर मजबूती से लड़ाई लड़ रहा है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को विरोधाभासी बयानबाजी से ऊपर उठकर कोरोना से लड़ाई में एकजुटता का परिचय देना चाहिए.

पढ़ें- राजस्थान में Corona बेकाबू: रिकॉर्ड 74 मरीजों की मौत...15,355 नए मामले आए सामने

युद्ध, आपदा जैसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए राष्ट्र को ऐसी ही एकजुटता की जरूरत होती है. यह ऐसा वक्त है, जब दलीय राजनीति, वैचारिक या संप्रदाय का मतभेद सबकुछ परे रखकर सबका साथ आना जरूरी है. ऐसी मिसाल एक बार नहीं, बल्कि कई बार देश के सामने आ चुकी हैं. 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत और पाकिस्तान के बीच जब युद्ध हुआ था तो अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सरकार के हर फैसले का पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की थी. यह दुर्भाग्य की बात है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जैसे कांग्रेस के शीर्ष परिवार के नेता आपदा से निपटने में देश का साथ देने की बजाय राजनीतिक बयान दे रहे हैं.

कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि न केवल कोरोना संक्रमण वरन इसका प्रभाव किसी गरीब पर नहीं आए इसलिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मई और जून में 80 करोड़ लाभार्थियों को 5 किलो मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने की योजना है. इसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूँ. देश के जरूरतमंदों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए भारत की मोदी सरकार 26,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रही है.

कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत वैक्सीनेशन के नाम पर बिना बात की राजनीति कर रहे हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश की तरह वे 18 वर्ष से अधिक लोगों को फ्री वैक्सीनेशन क्यों नहीं करते. बेवजह केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं. कोरोना के खिलाफ देश की जंग में सबसे कारगर हथियार है, वैक्सीनेशन. हम सबके लिए यह गर्व की बात है कि हमारे वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक कर वैक्सीन बनाई. केंद्र और राज्यों की सरकारों ने, डॉक्टर्स ने, मीडिया ने, सामाजिक संगठनों ने और आम लोगों ने भी टीकाकरण को लेकर जनता में जागरुकता लाने में भूमिका निभाई है. चरणबद्ध योजना के तहत पहले बुजुर्गों और बीमारों को, फिर 45 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों के टीकाकरण के लिए सबसे बड़ा अभियान चल रहा है. अब तो 18 साल से ज्यादा के लोगों को भी टीका देने की तैयारी है. 28 अप्रैल से इनका रजिस्ट्रेशन और 1 मई से टीका लगाने की शुरुआत होने वाली है.

राठौड़ ने आगे कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी वैक्सीन लगवाई थी, अगर वो देश से अपील करती कि कोरोना से बचाव के लिए हर कोई उसी तरह टीकाकरण जरूर कराए, जैसे उन्होंने कराया है तो इसका एक सकारात्मक संदेश जाता. राहुल गांधी कोरोना पॉजिटिव हैं, हम उनके स्वस्थ होने की कामना करते हैं, वो चुनाव प्रचार के सिलसिले में अलग-अलग राज्यों के दौरे पर भी गए थे, लेकिन कहीं भी उन्होंने वैक्सीन के लिए जनता को जागरुक नहीं किया. कांग्रेस के किसी भी नेता ने वैक्सीनेशन अभियान में किसी तरह का योगदान नहीं दिया, उल्टे इसका विरोध ही किया.

राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि यह वक्त किस राज्य ने क्या किया और किसने क्या नहीं किया, इस पर राजनीति करने का नहीं है, बल्कि हर प्रभावित राज्य के केंद्र के साथ बेहतर समन्वय से स्थिति में सुधार लाने की हरसंभव कोशिश का है. कुछ राज्यों में ऑक्सीजन की कमी होने की रिपोर्ट के बाद मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की, स्थिति की समीक्षा की, आवश्यक निर्देश दिए. हमारी सरकारें संघीय ढांचे के तहत काम करती हैं, केंद्र और राज्यों के विषय निर्धारित हैं और सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. राज्य में जिस दल की सरकार है, उसके शीर्ष नेतृत्व की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है कि संकट का सामना करने की तैयारी पुख्ता हो, आपदा प्रबंधन बेहतर हो.

स्वास्थ्य राज्य सरकार का विषय है. इसलिए हर राज्य सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने राज्य में चिकित्सा ढांचा खड़ा करे विपक्ष की पार्टियां जैसे कांग्रेस पार्टी अपनी राज्य सरकारों पर दबाव बनाए यह तो समझ में आ सकता है, लेकिन टीकाकरण का विरोध करे, यह देशहित में नहीं है. ऐसा हमने कहीं नहीं पढ़ा कि राहुल गांधी या कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कभी अपने राज्यों को कोई सुझाव दिया कि कोरोना आपदा से निपटने के लिए किस तरह के कदम उठाने जरूरी हैं. अपना दायित्व हर कोई जिम्मेदारी के साथ निभाएगा तभी तो हालात जल्दी सुधर पाएंगे, सिर्फ आरोप की राजनीति करने से हम एक आपदा को कैसे हरा सकेंगे.

राठौड़ कहा कि अपने आप में ही हैरान करने वाली बात है कि जब मोदी जी के साथ कोरोना प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की इन हाउस बैठक चल रही थी, आपदा के बेहतर प्रबंधन, समस्या का समाधान निकालने पर बात हो रही थी, तो एक मुख्यमंत्री इस बैठक का लाइव टेलीकास्ट कर रहे थे. इस लाइव टेलीकास्ट के जरिये वो जनता के सामने राजनीतिक संदेश दे रहे थे. आपदा के वक्त पर समाधान से ज्यादा राजनीति करने में उनकी दिलचस्पी खुद बता जाती है कि कुछ राज्य सरकारें किस तरह अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं. यह वक्त है त्वरित चिकित्सा ढांचा तैयार करने की, ताकि जल्दी से जल्दी मरीजों को राहत मिल सके.

2014 में सिर्फ 6 एम्स थे, मोदी सरकार ने 15 और एम्स को मंजूरी दी, जिनमें 6 कार्यरत हो चुके हैं. 75 सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर्स स्वीकृत हुए, जिनमें 38 ऑपरेशनल हैं. इन 38 में से 22 को कोविड सेंटर भी बनाया गया है. 2014 में देश में 380 मेडिकल कॉलेज थे, अब 565 हैं. मेडिकल कॉलेजों में अंडर ग्रेजुएट सीटों की संख्या 58 फीसदी और ग्रेजुएट सीटों की संख्या 80 फीसदी बढ़ चुकी है. एक साल के भीतर भारत ने चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर जो तेज प्रगति की, उसी का नतीजा है कि देश में पीपीई किट्स, वेंटिलेटर्स और मेक इन इंडिया वैक्सीन बनी. विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना की लहर बार-बार आ सकती है. आने वाले वक्त में इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए एक सक्षम मेडिकल तंत्र खड़ा हो सके, इसकी बुनियाद रखी जा चुकी है.

राठौड़ ने कहा कि कोरोना की मौजूदा स्थिति को जल्दी बदलने के लिए हर नागरिक को भी भूमिका निभानी है. हममें से जो सक्षम हैं वो अपनी और अपने आस-पास की जिम्मेदारी ले तो हम इस कोरोना की आपदा को हराने में मदद कर सकते हैं. सबको खुद भी संभलना है और दूसरों को भी संभालना है. शासन, प्रशासन, राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के साथ-साथ हर नागरिक जब आपदा के खिलाफ एक होकर लड़ेंगे तो निश्चित रूप से भारत विजेता बनकर संकट से उबरेगा.

जयपुर. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने दिल्ली में मीडिया के माध्यम से कोरोना को लेकर एकजुटता का संदेश देते हुए कहा कोरोना संक्रमण से देश की वर्तमान स्थिति नाजुक है, पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में कोरोना के खिलाफ हर मोर्चे पर मजबूती से लड़ाई लड़ रहा है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को विरोधाभासी बयानबाजी से ऊपर उठकर कोरोना से लड़ाई में एकजुटता का परिचय देना चाहिए.

पढ़ें- राजस्थान में Corona बेकाबू: रिकॉर्ड 74 मरीजों की मौत...15,355 नए मामले आए सामने

युद्ध, आपदा जैसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए राष्ट्र को ऐसी ही एकजुटता की जरूरत होती है. यह ऐसा वक्त है, जब दलीय राजनीति, वैचारिक या संप्रदाय का मतभेद सबकुछ परे रखकर सबका साथ आना जरूरी है. ऐसी मिसाल एक बार नहीं, बल्कि कई बार देश के सामने आ चुकी हैं. 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत और पाकिस्तान के बीच जब युद्ध हुआ था तो अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सरकार के हर फैसले का पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की थी. यह दुर्भाग्य की बात है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जैसे कांग्रेस के शीर्ष परिवार के नेता आपदा से निपटने में देश का साथ देने की बजाय राजनीतिक बयान दे रहे हैं.

कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि न केवल कोरोना संक्रमण वरन इसका प्रभाव किसी गरीब पर नहीं आए इसलिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मई और जून में 80 करोड़ लाभार्थियों को 5 किलो मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने की योजना है. इसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूँ. देश के जरूरतमंदों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए भारत की मोदी सरकार 26,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रही है.

कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत वैक्सीनेशन के नाम पर बिना बात की राजनीति कर रहे हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश की तरह वे 18 वर्ष से अधिक लोगों को फ्री वैक्सीनेशन क्यों नहीं करते. बेवजह केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं. कोरोना के खिलाफ देश की जंग में सबसे कारगर हथियार है, वैक्सीनेशन. हम सबके लिए यह गर्व की बात है कि हमारे वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक कर वैक्सीन बनाई. केंद्र और राज्यों की सरकारों ने, डॉक्टर्स ने, मीडिया ने, सामाजिक संगठनों ने और आम लोगों ने भी टीकाकरण को लेकर जनता में जागरुकता लाने में भूमिका निभाई है. चरणबद्ध योजना के तहत पहले बुजुर्गों और बीमारों को, फिर 45 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों के टीकाकरण के लिए सबसे बड़ा अभियान चल रहा है. अब तो 18 साल से ज्यादा के लोगों को भी टीका देने की तैयारी है. 28 अप्रैल से इनका रजिस्ट्रेशन और 1 मई से टीका लगाने की शुरुआत होने वाली है.

राठौड़ ने आगे कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी वैक्सीन लगवाई थी, अगर वो देश से अपील करती कि कोरोना से बचाव के लिए हर कोई उसी तरह टीकाकरण जरूर कराए, जैसे उन्होंने कराया है तो इसका एक सकारात्मक संदेश जाता. राहुल गांधी कोरोना पॉजिटिव हैं, हम उनके स्वस्थ होने की कामना करते हैं, वो चुनाव प्रचार के सिलसिले में अलग-अलग राज्यों के दौरे पर भी गए थे, लेकिन कहीं भी उन्होंने वैक्सीन के लिए जनता को जागरुक नहीं किया. कांग्रेस के किसी भी नेता ने वैक्सीनेशन अभियान में किसी तरह का योगदान नहीं दिया, उल्टे इसका विरोध ही किया.

राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि यह वक्त किस राज्य ने क्या किया और किसने क्या नहीं किया, इस पर राजनीति करने का नहीं है, बल्कि हर प्रभावित राज्य के केंद्र के साथ बेहतर समन्वय से स्थिति में सुधार लाने की हरसंभव कोशिश का है. कुछ राज्यों में ऑक्सीजन की कमी होने की रिपोर्ट के बाद मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की, स्थिति की समीक्षा की, आवश्यक निर्देश दिए. हमारी सरकारें संघीय ढांचे के तहत काम करती हैं, केंद्र और राज्यों के विषय निर्धारित हैं और सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. राज्य में जिस दल की सरकार है, उसके शीर्ष नेतृत्व की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है कि संकट का सामना करने की तैयारी पुख्ता हो, आपदा प्रबंधन बेहतर हो.

स्वास्थ्य राज्य सरकार का विषय है. इसलिए हर राज्य सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने राज्य में चिकित्सा ढांचा खड़ा करे विपक्ष की पार्टियां जैसे कांग्रेस पार्टी अपनी राज्य सरकारों पर दबाव बनाए यह तो समझ में आ सकता है, लेकिन टीकाकरण का विरोध करे, यह देशहित में नहीं है. ऐसा हमने कहीं नहीं पढ़ा कि राहुल गांधी या कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कभी अपने राज्यों को कोई सुझाव दिया कि कोरोना आपदा से निपटने के लिए किस तरह के कदम उठाने जरूरी हैं. अपना दायित्व हर कोई जिम्मेदारी के साथ निभाएगा तभी तो हालात जल्दी सुधर पाएंगे, सिर्फ आरोप की राजनीति करने से हम एक आपदा को कैसे हरा सकेंगे.

राठौड़ कहा कि अपने आप में ही हैरान करने वाली बात है कि जब मोदी जी के साथ कोरोना प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की इन हाउस बैठक चल रही थी, आपदा के बेहतर प्रबंधन, समस्या का समाधान निकालने पर बात हो रही थी, तो एक मुख्यमंत्री इस बैठक का लाइव टेलीकास्ट कर रहे थे. इस लाइव टेलीकास्ट के जरिये वो जनता के सामने राजनीतिक संदेश दे रहे थे. आपदा के वक्त पर समाधान से ज्यादा राजनीति करने में उनकी दिलचस्पी खुद बता जाती है कि कुछ राज्य सरकारें किस तरह अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं. यह वक्त है त्वरित चिकित्सा ढांचा तैयार करने की, ताकि जल्दी से जल्दी मरीजों को राहत मिल सके.

2014 में सिर्फ 6 एम्स थे, मोदी सरकार ने 15 और एम्स को मंजूरी दी, जिनमें 6 कार्यरत हो चुके हैं. 75 सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर्स स्वीकृत हुए, जिनमें 38 ऑपरेशनल हैं. इन 38 में से 22 को कोविड सेंटर भी बनाया गया है. 2014 में देश में 380 मेडिकल कॉलेज थे, अब 565 हैं. मेडिकल कॉलेजों में अंडर ग्रेजुएट सीटों की संख्या 58 फीसदी और ग्रेजुएट सीटों की संख्या 80 फीसदी बढ़ चुकी है. एक साल के भीतर भारत ने चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर जो तेज प्रगति की, उसी का नतीजा है कि देश में पीपीई किट्स, वेंटिलेटर्स और मेक इन इंडिया वैक्सीन बनी. विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना की लहर बार-बार आ सकती है. आने वाले वक्त में इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए एक सक्षम मेडिकल तंत्र खड़ा हो सके, इसकी बुनियाद रखी जा चुकी है.

राठौड़ ने कहा कि कोरोना की मौजूदा स्थिति को जल्दी बदलने के लिए हर नागरिक को भी भूमिका निभानी है. हममें से जो सक्षम हैं वो अपनी और अपने आस-पास की जिम्मेदारी ले तो हम इस कोरोना की आपदा को हराने में मदद कर सकते हैं. सबको खुद भी संभलना है और दूसरों को भी संभालना है. शासन, प्रशासन, राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के साथ-साथ हर नागरिक जब आपदा के खिलाफ एक होकर लड़ेंगे तो निश्चित रूप से भारत विजेता बनकर संकट से उबरेगा.

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