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राजस्थान हाईकोर्ट: मास्टर प्लान की अनदेखी कर पट्टे देने का प्रावधान करने पर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में मास्टर प्लान की अनदेखी कर प्रशासन शहरों के संग अभियान (Prashasan Shahron Ke Sang Abhiyan) के तहत लाखों पट्टे देने का प्रावधान करने पर राज्य सरकार से 18 अक्टूबर तक जवाब मांगा है.

Rajasthan High Court, Jaipur news
राजस्थान हाईकोर्ट ने मास्टर प्लान की अनदेखी कर पट्टे देने का प्रावधान करने पर मांगा जवाब
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Published : Sep 30, 2021, 8:17 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में मास्टर प्लान की अनदेखी कर प्रशासन शहरों के संग अभियान (prashasan shahron ke sang abhiyan) के तहत लाखों पट्टे देने का प्रावधान करने पर राज्य सरकार से 18 अक्टूबर तक जवाब मांगा है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने आदेश गीतेश खन्ना की जनहित याचिका पर दिए हैं.

जनहित याचिका में अधिवक्ता नीरजा खन्ना ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के सभी जिलों में आगामी दो अक्टूबर से प्रशासन शहरों के संग अभियान आयोजित किया जा रहा है. इसके तहत लाखों लोगों को भूमि के पट्टे देने का लक्ष्य रखा गया है. याचिका में कहा गया कि इसके लिए मास्टर प्लान की अनदेखी की गई है. वर्तमान मास्टर प्लान के प्रावधानों को समाप्त करने के लिए समानांतर मास्टर प्लान का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. वहीं इसे अप्रूव्ड किए बिना ही लागू कर रहे हैं.

पढ़ें. जयपुर में उफनते सीवर चैंबरः राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर मुख्य सचिव को जारी किया नोटिस

याचिका में यह भी कहा गया कि राजस्थान संशोधन अधिनियम (Rajasthan Amendment Act) लागू कर अन्य संबंधित कानूनों में संशोधन किया गया है. इसके तहत बहुमंजिला इमारतों, कच्ची बस्तियों आदि के नियमों में शिथिलता दी गई है. यह न केवल वर्तमान मास्टर प्लान के विपरीत है, बल्कि हाईकोर्ट की मुख्य पीठ की ओर से एक जनहित याचिका में दिए फैसले के भी खिलाफ है. अभियान के तहत अवैध रूप से बसी कच्ची बस्तियों के अतिक्रमियों को पट्टा देकर नियमित करने की योजना है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में मास्टर प्लान की अनदेखी कर प्रशासन शहरों के संग अभियान (prashasan shahron ke sang abhiyan) के तहत लाखों पट्टे देने का प्रावधान करने पर राज्य सरकार से 18 अक्टूबर तक जवाब मांगा है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने आदेश गीतेश खन्ना की जनहित याचिका पर दिए हैं.

जनहित याचिका में अधिवक्ता नीरजा खन्ना ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के सभी जिलों में आगामी दो अक्टूबर से प्रशासन शहरों के संग अभियान आयोजित किया जा रहा है. इसके तहत लाखों लोगों को भूमि के पट्टे देने का लक्ष्य रखा गया है. याचिका में कहा गया कि इसके लिए मास्टर प्लान की अनदेखी की गई है. वर्तमान मास्टर प्लान के प्रावधानों को समाप्त करने के लिए समानांतर मास्टर प्लान का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. वहीं इसे अप्रूव्ड किए बिना ही लागू कर रहे हैं.

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याचिका में यह भी कहा गया कि राजस्थान संशोधन अधिनियम (Rajasthan Amendment Act) लागू कर अन्य संबंधित कानूनों में संशोधन किया गया है. इसके तहत बहुमंजिला इमारतों, कच्ची बस्तियों आदि के नियमों में शिथिलता दी गई है. यह न केवल वर्तमान मास्टर प्लान के विपरीत है, बल्कि हाईकोर्ट की मुख्य पीठ की ओर से एक जनहित याचिका में दिए फैसले के भी खिलाफ है. अभियान के तहत अवैध रूप से बसी कच्ची बस्तियों के अतिक्रमियों को पट्टा देकर नियमित करने की योजना है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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