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नीट की गुम हुई अंक तालिका के बिना एफएमजी परीक्षा में शामिल नहीं करना गलत - COURT ON MISSING NEET MARKSHEET

एफएमजी परीक्षा में नीट की अंक तालिका में अभाव के चलते अभ्यर्थी को परीक्षा में शामिल नहीं करने को कोर्ट ने गलत माना है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 11, 2025, 8:18 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने विदेश से एमबीबीएस की डिग्री पास करने वाले छात्र को नीट की अंक तालिका के अभाव में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा में शामिल नहीं करने को गलत माना है. इसके साथ ही अदालत ने एनबीई के अध्यक्ष को कहा है कि वह याचिकाकर्ता छात्र को एफएमजी परीक्षा में शामिल करे. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश चिन्मय उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के नीट-2019 में शामिल होने के बाद उसे योग्य घोषित किया गया था. वहीं उसकी ईमानदारी इससे भी साबित है कि उसने स्कोर अंक तालिका लापता होने पर इसकी शिकायत भी दर्ज कराई थी. वहीं एनटीए के वकील भी याचिकाकर्ता के तथ्य को गलत साबित करने में असफल रहे हैं. याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने नीट-2019 में शामिल होकर 230642 रैंक पाई थी. इसके बाद उसने किर्गिस्तान से एमबीबीएस पाठ्यक्रम पूरा किया था. याचिकाकर्ता ने देश में प्रैक्टिस के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन की ओर से आयोजित फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा में आवेदन किया. इस दौरान बोर्ड ने नीट की अंक तालिका नहीं होने की आपत्ति लगाकर प्रवेश पत्र जारी नहीं किया.

पढ़ें: सर्टिफिकेट के प्रिंटेड कॉपी मांगने पर CBSE के एडवाइजरी, डिजी लॉकर को कानूनी मान्यता - परीक्षा नियंत्रक के डिजिटल सिग्नेचर से जारी

याचिका में बताया गया कि उसने अंक तालिका गुम होने की रिपोर्ट भी गत 2 मई को कोतवाली थाना, करौली में दर्ज करा दी थी. इसके अलावा उसने बोर्ड को नीट काउंसलिंग के समय का एक दस्तावेज भी दिया था, जिसमें उसकी रैंक और नंबर की जानकारी थी. इसके बावजूद भी उसे परीक्षा में शामिल नहीं किया जा रहा. इसके जवाब में एनटीए की ओर से कहा गया कि उनके पास परिणाम जारी होने के 90 दिन तक ही अभ्यर्थियों का स्कोर कार्ड रहता है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता छात्र को एफएमजी परीक्षा में शामिल करने को कहा है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने विदेश से एमबीबीएस की डिग्री पास करने वाले छात्र को नीट की अंक तालिका के अभाव में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा में शामिल नहीं करने को गलत माना है. इसके साथ ही अदालत ने एनबीई के अध्यक्ष को कहा है कि वह याचिकाकर्ता छात्र को एफएमजी परीक्षा में शामिल करे. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश चिन्मय उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के नीट-2019 में शामिल होने के बाद उसे योग्य घोषित किया गया था. वहीं उसकी ईमानदारी इससे भी साबित है कि उसने स्कोर अंक तालिका लापता होने पर इसकी शिकायत भी दर्ज कराई थी. वहीं एनटीए के वकील भी याचिकाकर्ता के तथ्य को गलत साबित करने में असफल रहे हैं. याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने नीट-2019 में शामिल होकर 230642 रैंक पाई थी. इसके बाद उसने किर्गिस्तान से एमबीबीएस पाठ्यक्रम पूरा किया था. याचिकाकर्ता ने देश में प्रैक्टिस के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन की ओर से आयोजित फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा में आवेदन किया. इस दौरान बोर्ड ने नीट की अंक तालिका नहीं होने की आपत्ति लगाकर प्रवेश पत्र जारी नहीं किया.

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याचिका में बताया गया कि उसने अंक तालिका गुम होने की रिपोर्ट भी गत 2 मई को कोतवाली थाना, करौली में दर्ज करा दी थी. इसके अलावा उसने बोर्ड को नीट काउंसलिंग के समय का एक दस्तावेज भी दिया था, जिसमें उसकी रैंक और नंबर की जानकारी थी. इसके बावजूद भी उसे परीक्षा में शामिल नहीं किया जा रहा. इसके जवाब में एनटीए की ओर से कहा गया कि उनके पास परिणाम जारी होने के 90 दिन तक ही अभ्यर्थियों का स्कोर कार्ड रहता है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता छात्र को एफएमजी परीक्षा में शामिल करने को कहा है.

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