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Rajasthan High Court Order : कोटा में नवजात शिशुओं की मौत के कारण जानने के लिए कमेटी गठन के आदेश

कोटा के जेके लोन अस्पताल में दिसंबर 2019 में 100 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी. राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि बच्चे पहले से गंभीर अवस्था में भर्ती हुए थे, जबकि कमेटी ने अस्पताल में तत्कालिक अव्यवस्थाओं का हवाला दिया है.

Rajasthan High Court Order
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Published : Nov 22, 2021, 7:59 PM IST

Updated : Nov 22, 2021, 11:03 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने दिसंबर, 2019 में कोटा के जेके लोन अस्पताल में 100 से अधिक शिशुओं की मौत के कारण जानने के लिए कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने कमेटी में तीन बाल रोग विशेषज्ञों सहित एम्स, जोधपुर के दो चिकित्सकों को शामिल करने के निर्देश देते हुए एक माह में रिपोर्ट तलब की है.

जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ. मिथिलेश कुमार गौतम की जनहित याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता हिमांशु जैन और अधिवक्ता ऋषिराज माहेश्वरी ने अदालत को बताया कि दिसंबर, 2019 में कोटा के जेके लोन अस्पताल में करीब 109 नवजात शिशुओं की मौत हुई थी.

सरकारी अस्पताल में शिशुओं के लिए पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के अभाव के साथ ही तय संसाधन भी नहीं हैं. यहां तक कि अस्पताल के वेंटिलेटर और वार्मर भी खराब पड़े थे. आईसीयू के शीशे टूटे होने के कारण बच्चों को सर्दी भी झेलनी पड़ी थी.

वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मरने वालों अधिकांश बच्चों का पूर्व में निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था. उनके परिजनों ने अति गंभीर होने पर बच्चों को जेके लोन में भर्ती कराया था. अस्पताल में संसाधनों की कोई कमी नहीं थी, बल्कि बच्चों को गंभीर हालत में भर्ती कराने के चलते उन्हें बचाया नहीं जा सका.

पढ़ें- कोटा जेके लोन हॉस्पिटलः रखा जा रहा प्रीमेच्योर बेबी का खास ख्याल, घट रही नवजातों की मृत्यु दर संख्या...

इस संबंध में राज्य सरकार ने एक कमेटी का भी गठन किया था. उस कमेटी ने भी मौत का कारण संसाधनों की कमी नहीं बताई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मामले में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन करते हुए एक माह में रिपोर्ट तलब की है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने दिसंबर, 2019 में कोटा के जेके लोन अस्पताल में 100 से अधिक शिशुओं की मौत के कारण जानने के लिए कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने कमेटी में तीन बाल रोग विशेषज्ञों सहित एम्स, जोधपुर के दो चिकित्सकों को शामिल करने के निर्देश देते हुए एक माह में रिपोर्ट तलब की है.

जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ. मिथिलेश कुमार गौतम की जनहित याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता हिमांशु जैन और अधिवक्ता ऋषिराज माहेश्वरी ने अदालत को बताया कि दिसंबर, 2019 में कोटा के जेके लोन अस्पताल में करीब 109 नवजात शिशुओं की मौत हुई थी.

सरकारी अस्पताल में शिशुओं के लिए पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के अभाव के साथ ही तय संसाधन भी नहीं हैं. यहां तक कि अस्पताल के वेंटिलेटर और वार्मर भी खराब पड़े थे. आईसीयू के शीशे टूटे होने के कारण बच्चों को सर्दी भी झेलनी पड़ी थी.

वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मरने वालों अधिकांश बच्चों का पूर्व में निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था. उनके परिजनों ने अति गंभीर होने पर बच्चों को जेके लोन में भर्ती कराया था. अस्पताल में संसाधनों की कोई कमी नहीं थी, बल्कि बच्चों को गंभीर हालत में भर्ती कराने के चलते उन्हें बचाया नहीं जा सका.

पढ़ें- कोटा जेके लोन हॉस्पिटलः रखा जा रहा प्रीमेच्योर बेबी का खास ख्याल, घट रही नवजातों की मृत्यु दर संख्या...

इस संबंध में राज्य सरकार ने एक कमेटी का भी गठन किया था. उस कमेटी ने भी मौत का कारण संसाधनों की कमी नहीं बताई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मामले में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन करते हुए एक माह में रिपोर्ट तलब की है.

Last Updated : Nov 22, 2021, 11:03 PM IST
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