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राजस्थान हाईकोर्ट सरकार को नोटिस जारी कर कहा, कोरोना के चलते क्यों ना लगा दी जाए पटाखों पर रोक - corona case in rajasthan

राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण मंडल, प्रमुख चिकित्सा सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर पूछा है कि कोरोना महामारी को देखते हुए क्यों ना पटाखों पर रोक लगा दी जाए.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछा कोरोना के चलते क्यों ना लगा दी जाए पटाखों पर रोक
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Published : Oct 23, 2020, 7:38 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण मंडल, प्रमुख चिकित्सा सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर पूछा है कि कोरोना महामारी को देखते हुए क्यों ना पटाखों पर रोक लगा दी जाए. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश राजेन्द्र शर्मा व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढे़ं: गौशालाओं के अनुदान का दूसरे कार्यों में उपयोग के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई, सरकार को नोटिस जारी

जनहित याचिकाओं में कहा गया कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है. वहीं दिवाली पर आतिशबाजी और पटाखों से प्रदूषण का स्तर कई गुणा तक बढ़ सकता है. एसएमएस अस्पताल के चिकित्सक भी पटाखों पर रोक के संबंध में राज्य सरकार को पत्र लिख चुके हैं. पत्र में कहा गया है कि पटाखों के चलते कोरोना और सांस के मरीजों की जान को खतरा हो सकता है.

राज्य मानवाधिकार आयोग भी इस पर प्रसंज्ञान लेकर पटाखा बिक्री पर प्रतिबंध को लेकर अपनी सहमति जता चुका है. याचिका में कहा गया कि एक माह में कोरोना से फेफड़ों को जितना नुकसान होता है वह 25 साल तक सिगरेट पीने के बराबर है. याचिका में गुहार की गई है कि पटाखा बिक्री पर रोक लगाई जाए या फिर इन्हें चलाने के लिए समय तय कर दिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण मंडल, प्रमुख चिकित्सा सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर पूछा है कि कोरोना महामारी को देखते हुए क्यों ना पटाखों पर रोक लगा दी जाए. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश राजेन्द्र शर्मा व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

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जनहित याचिकाओं में कहा गया कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है. वहीं दिवाली पर आतिशबाजी और पटाखों से प्रदूषण का स्तर कई गुणा तक बढ़ सकता है. एसएमएस अस्पताल के चिकित्सक भी पटाखों पर रोक के संबंध में राज्य सरकार को पत्र लिख चुके हैं. पत्र में कहा गया है कि पटाखों के चलते कोरोना और सांस के मरीजों की जान को खतरा हो सकता है.

राज्य मानवाधिकार आयोग भी इस पर प्रसंज्ञान लेकर पटाखा बिक्री पर प्रतिबंध को लेकर अपनी सहमति जता चुका है. याचिका में कहा गया कि एक माह में कोरोना से फेफड़ों को जितना नुकसान होता है वह 25 साल तक सिगरेट पीने के बराबर है. याचिका में गुहार की गई है कि पटाखा बिक्री पर रोक लगाई जाए या फिर इन्हें चलाने के लिए समय तय कर दिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

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