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आई परिणाम की घड़ी : राजस्थान में अब तक उपचुनाव में नहीं मिली है सहानुभूति जीत...उपचुनाव में क्या नया इतिहास बनेगा ! - Sujangarh by-election results

राजस्थान में 3 विधानसभा सीटों सुजानगढ़, सहाड़ा और राजसमंद के नतीजे 2 मई को सबके सामने होंगे. नतीजे भले ही किसी भी पार्टी के पक्ष में आएं, सबसे बड़ी नजर होगी कि क्या इतिहास अपने आप को दोहराएगा या फिर इस बार नया इतिहास बनेगा.

Rajasthan has not yet won sympathy in the by elections
आई परिणाम की घड़ी
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Published : May 1, 2021, 4:45 PM IST

जयपुर. राजस्थान में एक अजीब पॉलीटिकल ट्रेंड रहा है. किसी विधायक के निधन से खाली हुई सीट पर परिजन को टिकट दिया गया, लेकिन परिजन सहानुभूति की लहर से वंचित ही रहे. आज तक किसी भी दिवंगत विधायक के परिजन ने उपचुनाव में जीत दर्ज नहीं की है. भले वो मुख्यमंत्री का ही परिजन क्यों न रहा हो.

राजस्थान में इतिहास बदलेगा या दोहराएगा

राजस्थान में अब तक विधायकों या सामान्य चुनाव में ही किसी विधायक प्रत्याशी के निधन के चलते 20 बार उपचुनाव हुए हैं. इनमें से 9 उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीता. 8 बार भारतीय जनता पार्टी ने उपचुनाव में जीत दर्ज की. 2 बार जनता पार्टी और एक बार एनसीजे पार्टी के विधायक बने. लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इन 20 उपचुनाव में जिन विधायकों का निधन हुआ उनके परिजन टिकट पाने के बाद जीत हासिल नहीं कर सके.

1965 में राजाखेड़ा विधायक प्रताप सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे एम सिंह ने चुनाव लड़ा. लेकिन वह हार गए. इसके बाद 1978 में रूपवास विधायक ताराचंद की मृत्यु के बाद उनके बेटे ने चुनाव लड़ा. वह भी चुनाव हार गए. 1988 में खेतड़ी विधायक मालाराम के निधन के बाद उनके बेटे एच लाल को टिकट दिया गया लेकिन वह भी चुनाव हार गए.

पढ़ें- 'कांग्रेस ने भले ही सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया हो लेकिन भाजपा ही तीनों सीटों पर जीत दर्ज करेगी'

साल 1995 में बयाना विधानसभा से विधायक बृजराज सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे शिव चरण सिंह को टिकट दिया गया लेकिन वह भी चुनाव हारे. यहां तक कि साल 1995 में बांसवाड़ा विधानसभा के विधायक पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी के निधन के बाद जब उनके बेटे दिनेश जोशी को पार्टी ने टिकट दिया लेकिन वे सीट नहीं बचा सके. साल 2000 में हुआ जब लूणकरणसर विधायक भीमसेन की मृत्यु के बाद उनके बेटे वीरेंद्र को टिकट दिया गया. नतीजा वही- हार.

साल 2002 में सागवाड़ा विधायक भीखाभाई के निधन के बाद उनके बेटे सुरेंद्र कुमार को टिकट दिया गया. वे हारे. 2005 में लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई की मृत्यु के बाद उनके बेटे मलखान विश्नोई भी जीत नहीं पाए.

ऐसे में आज तक किसी विधायक के निधन पर उनके परिजनों को टिकट देने पर सहानुभूति का कोई लाभ किसी पार्टी को नहीं मिला है. अब सवाल खड़ा होता है कि राजस्थान में हो रहे 3 विधानसभा सीटों पर जो उप चुनाव हो रहे हैं उनमें दिवंगत विधायकों के परिजनों ने ही चुनाव लड़ा है. अब यह तीनों दिवंगत विधायकों के परिजन चुनाव जीतकर इतिहास बनाते हैं या फिर चुनाव हार कर इतिहास दोहराते हैं इस पर सबकी नजर रहेगी.

दरअसल राजस्थान में हुए 3 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में राजसमंद विधानसभा सीट से भाजपा ने दिवंगत विधायक किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति महेश्वरी, सहाड़ा विधानसभा से कांग्रेस के दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी को कांग्रेस ने और सुजानगढ़ विधानसभा सीट से मास्टर भंवरलाल मेघवाल के बेटे मनोज मेघवाल को कांग्रेस ने टिकट दिया है जो सीधे तौर पर सहानुभूति के आधार पर चुनाव जीतने की एक कवायद है.

पढ़ें- By-election 2021: कोरोना के साए में मतगणना..परिणाम के लिए समर्थकों को करना होगा शाम तक इंतजार

20 उपचुनावों में जीता कौन

1965- विधायक प्रताप सिंह के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के दामोदर व्यास राजाखेड़ा से उपचुनाव जीते.

1970- नसीराबाद विधानसभा के विधायक वी सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में एनसीजे पार्टी के एस सिंह उपचुनाव जीते.

1978- रूपवास विधानसभा सीट से विधायक ताराचंद की मृत्यु होने के बाद जनता पार्टी के टिकट पर डी राम उप चुनाव जीते. बनेड़ा विधानसभा सीट पर विधायक उमराव सिंह डाबरिया के निधन के बाद हुए उपचुनाव में जनता पार्टी की टिकट पर कल्याण सिंह कालवी चुनाव जीते.

1982- सरदारशहर विधानसभा में विधायक मोहनलाल शर्मा के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कृष्ण चंद ने चुनाव जीता.

1984- थानागाजी विधानसभा के विधायक शोभाराम के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के डी लाल चुनाव जीते.

1985- करणपुर विधानसभा में सामान्य चुनाव में प्रत्याशी रहे गुम दयाल सिंह की मृत्यु के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुए. जिनमें कांग्रेस की उम्मीदवार आई कौर उपचुनाव जीती.

1988- खेतड़ी विधानसभा के विधायक मालाराम के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के डॉ जितेंद्र सिंह जीते.

1994- राजाखेड़ा विधानसभा में जब सामान्य चुनाव चल रहे थे तो एक प्रत्याशी महेंद्र सिंह की मृत्यु के चलते चुनाव तले और इसके बाद हुए उपचुनाव पर बीजेपी कि मनोरमा सिंह ने चुनाव जीता.

1995- भीलवाड़ा विधानसभा के विधायक जगदीश चंद्र दरक का निधन होने पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की टिकट पर राम रिछपाल नुवाल चुनाव जीते. बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी के निधन होने पर हुए उपचुनाव में भाजपा के भवानी जोशी चुनाव जीते. बयाना विधानसभा सीट से विधायक रहे बृजराज सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुए जिनमें कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह सूपा चुनाव जीते.

पढ़ें- उपचुनाव में मतदान प्रतिशत के आधार पर प्रस्तावित नतीजों के आकलन में जुटे राजनेता, दावों के जमीनी हकीकत का इंतजार

2000- लूणकरणसर विधानसभा शिव विधायक भीम सेन के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के मानिकचंद सुराणा चुनाव जीते.

2002- बानसूर विधानसभा से विधायक जगत सिंह दायमा के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के रोहिताश शर्मा चुनाव जीते. सागवाड़ा विधानसभा से विधायक भीखाभाई के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के कनक मल कटारा उप चुनाव जीते. अजमेर पश्चिम विधानसभा शिव विधायक किशन मोटवानी के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के नानकराम जगत राय उप चुनाव में जीते.

2005- लूणी विधानसभा के विधायक रामसिंह विश्नोई के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के जोगाराम पटेल विधायक बने.

2006- डीग विधानसभा शिव विधायक अरुण सिंह के निधन के चलते हुए उपचुनाव में बीजेपी की दिव्या सिंह उपचुनाव में जीती. डूंगरपुर विधानसभा के विधायक नाथूराम अहारी के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के पूंजीलाल परमार विधायक बने.

2017- भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के चलते मांडलगढ़ विधानसभा में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के विवेक धाकड़ उप चुनाव में जीते.

2019- राजसमंद से भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी, सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक रहे दिवंगत मास्टर भंवर लाल मेघवाल और सहाड़ा से दिवंगत हुए विधायक कैलाश त्रिवेदी के बाद अब इन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे 2 मई को आने हैं.

जयपुर. राजस्थान में एक अजीब पॉलीटिकल ट्रेंड रहा है. किसी विधायक के निधन से खाली हुई सीट पर परिजन को टिकट दिया गया, लेकिन परिजन सहानुभूति की लहर से वंचित ही रहे. आज तक किसी भी दिवंगत विधायक के परिजन ने उपचुनाव में जीत दर्ज नहीं की है. भले वो मुख्यमंत्री का ही परिजन क्यों न रहा हो.

राजस्थान में इतिहास बदलेगा या दोहराएगा

राजस्थान में अब तक विधायकों या सामान्य चुनाव में ही किसी विधायक प्रत्याशी के निधन के चलते 20 बार उपचुनाव हुए हैं. इनमें से 9 उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीता. 8 बार भारतीय जनता पार्टी ने उपचुनाव में जीत दर्ज की. 2 बार जनता पार्टी और एक बार एनसीजे पार्टी के विधायक बने. लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इन 20 उपचुनाव में जिन विधायकों का निधन हुआ उनके परिजन टिकट पाने के बाद जीत हासिल नहीं कर सके.

1965 में राजाखेड़ा विधायक प्रताप सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे एम सिंह ने चुनाव लड़ा. लेकिन वह हार गए. इसके बाद 1978 में रूपवास विधायक ताराचंद की मृत्यु के बाद उनके बेटे ने चुनाव लड़ा. वह भी चुनाव हार गए. 1988 में खेतड़ी विधायक मालाराम के निधन के बाद उनके बेटे एच लाल को टिकट दिया गया लेकिन वह भी चुनाव हार गए.

पढ़ें- 'कांग्रेस ने भले ही सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया हो लेकिन भाजपा ही तीनों सीटों पर जीत दर्ज करेगी'

साल 1995 में बयाना विधानसभा से विधायक बृजराज सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे शिव चरण सिंह को टिकट दिया गया लेकिन वह भी चुनाव हारे. यहां तक कि साल 1995 में बांसवाड़ा विधानसभा के विधायक पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी के निधन के बाद जब उनके बेटे दिनेश जोशी को पार्टी ने टिकट दिया लेकिन वे सीट नहीं बचा सके. साल 2000 में हुआ जब लूणकरणसर विधायक भीमसेन की मृत्यु के बाद उनके बेटे वीरेंद्र को टिकट दिया गया. नतीजा वही- हार.

साल 2002 में सागवाड़ा विधायक भीखाभाई के निधन के बाद उनके बेटे सुरेंद्र कुमार को टिकट दिया गया. वे हारे. 2005 में लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई की मृत्यु के बाद उनके बेटे मलखान विश्नोई भी जीत नहीं पाए.

ऐसे में आज तक किसी विधायक के निधन पर उनके परिजनों को टिकट देने पर सहानुभूति का कोई लाभ किसी पार्टी को नहीं मिला है. अब सवाल खड़ा होता है कि राजस्थान में हो रहे 3 विधानसभा सीटों पर जो उप चुनाव हो रहे हैं उनमें दिवंगत विधायकों के परिजनों ने ही चुनाव लड़ा है. अब यह तीनों दिवंगत विधायकों के परिजन चुनाव जीतकर इतिहास बनाते हैं या फिर चुनाव हार कर इतिहास दोहराते हैं इस पर सबकी नजर रहेगी.

दरअसल राजस्थान में हुए 3 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में राजसमंद विधानसभा सीट से भाजपा ने दिवंगत विधायक किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति महेश्वरी, सहाड़ा विधानसभा से कांग्रेस के दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी को कांग्रेस ने और सुजानगढ़ विधानसभा सीट से मास्टर भंवरलाल मेघवाल के बेटे मनोज मेघवाल को कांग्रेस ने टिकट दिया है जो सीधे तौर पर सहानुभूति के आधार पर चुनाव जीतने की एक कवायद है.

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20 उपचुनावों में जीता कौन

1965- विधायक प्रताप सिंह के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के दामोदर व्यास राजाखेड़ा से उपचुनाव जीते.

1970- नसीराबाद विधानसभा के विधायक वी सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में एनसीजे पार्टी के एस सिंह उपचुनाव जीते.

1978- रूपवास विधानसभा सीट से विधायक ताराचंद की मृत्यु होने के बाद जनता पार्टी के टिकट पर डी राम उप चुनाव जीते. बनेड़ा विधानसभा सीट पर विधायक उमराव सिंह डाबरिया के निधन के बाद हुए उपचुनाव में जनता पार्टी की टिकट पर कल्याण सिंह कालवी चुनाव जीते.

1982- सरदारशहर विधानसभा में विधायक मोहनलाल शर्मा के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कृष्ण चंद ने चुनाव जीता.

1984- थानागाजी विधानसभा के विधायक शोभाराम के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के डी लाल चुनाव जीते.

1985- करणपुर विधानसभा में सामान्य चुनाव में प्रत्याशी रहे गुम दयाल सिंह की मृत्यु के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुए. जिनमें कांग्रेस की उम्मीदवार आई कौर उपचुनाव जीती.

1988- खेतड़ी विधानसभा के विधायक मालाराम के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के डॉ जितेंद्र सिंह जीते.

1994- राजाखेड़ा विधानसभा में जब सामान्य चुनाव चल रहे थे तो एक प्रत्याशी महेंद्र सिंह की मृत्यु के चलते चुनाव तले और इसके बाद हुए उपचुनाव पर बीजेपी कि मनोरमा सिंह ने चुनाव जीता.

1995- भीलवाड़ा विधानसभा के विधायक जगदीश चंद्र दरक का निधन होने पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की टिकट पर राम रिछपाल नुवाल चुनाव जीते. बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी के निधन होने पर हुए उपचुनाव में भाजपा के भवानी जोशी चुनाव जीते. बयाना विधानसभा सीट से विधायक रहे बृजराज सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुए जिनमें कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह सूपा चुनाव जीते.

पढ़ें- उपचुनाव में मतदान प्रतिशत के आधार पर प्रस्तावित नतीजों के आकलन में जुटे राजनेता, दावों के जमीनी हकीकत का इंतजार

2000- लूणकरणसर विधानसभा शिव विधायक भीम सेन के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के मानिकचंद सुराणा चुनाव जीते.

2002- बानसूर विधानसभा से विधायक जगत सिंह दायमा के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के रोहिताश शर्मा चुनाव जीते. सागवाड़ा विधानसभा से विधायक भीखाभाई के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के कनक मल कटारा उप चुनाव जीते. अजमेर पश्चिम विधानसभा शिव विधायक किशन मोटवानी के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के नानकराम जगत राय उप चुनाव में जीते.

2005- लूणी विधानसभा के विधायक रामसिंह विश्नोई के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के जोगाराम पटेल विधायक बने.

2006- डीग विधानसभा शिव विधायक अरुण सिंह के निधन के चलते हुए उपचुनाव में बीजेपी की दिव्या सिंह उपचुनाव में जीती. डूंगरपुर विधानसभा के विधायक नाथूराम अहारी के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के पूंजीलाल परमार विधायक बने.

2017- भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के चलते मांडलगढ़ विधानसभा में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के विवेक धाकड़ उप चुनाव में जीते.

2019- राजसमंद से भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी, सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक रहे दिवंगत मास्टर भंवर लाल मेघवाल और सहाड़ा से दिवंगत हुए विधायक कैलाश त्रिवेदी के बाद अब इन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे 2 मई को आने हैं.

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