सवाई माधोपुर: बाघिन टी-84 ऐरोहेड व उसके शावकों का पिछले एक सप्ताह से रणथम्भौर दुर्ग में मूवमेंट बना हुआ है. जिसके चलते वन विभाग ने त्रिनेत्र गणेश मंदिर आने-जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर मंदिर मार्ग को पिछले पांच दिनों से बंद कर दिया था. गुरुवार को एक बार फिर वन विभाग ने त्रिनेत्र गणेश श्रद्धालुओं के लिए गणेश मार्ग को खोल दिया है.
रणथंभौर त्रिनेत्र गणेश मंदिर ट्रस्ट के प्रधान सेवक हिमांशु गौतम ने वन विभाग एवं जिला प्रशासन से जल्द से जल्द बाघिन को रणथंभौर दुर्ग से जंगल में भेजने की मांग की है. जिससे श्रद्धालुओं को फिर से नियमित त्रिनेत्र गणेश के दर्शन हो सकें. गौरतलब है कि बाघिन ऐरोहेड व उसके शावक शुक्रवार शाम को रणथम्भौर दुर्ग में जा पहुंचे थे. रणथंभौर दुर्ग में बाघिन व उसके शावकों का मूवमेंट पद्मला तालाब, 32 खंभों की छतरी, लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बना हुआ था. वन विभाग की टीमें बाघिन व उसके शावकों की मॉनिटरिंग कर रही थीं. तब रणथंभौर दुर्ग में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद कर किया था.
हिमांशु गौतम का कहना है कि रणथंभौर दुर्ग के रखरखाव के लिए करोड़ों का फंड आता है, लेकिन पुरातत्व विभाग द्वारा बारिश में क्षतिग्रस्त हुई दुर्ग की दीवार को ठीक नहीं करवाया जा रहा है. इस टूटी दीवार से बाघिन व उसके शावक दुर्ग में प्रवेश कर जाते हैं. इससे गणेश मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की जान को भी खतरा रहता है. अभी बाघिन का मूवमेंट दुर्ग से निकलकर रणथंभौर नेशनल पार्क के जोन नम्बर 2 में हो गया है. हालांकि एतिहात के दौर पर वन विभाग द्वारा रणथंभौर दुर्ग में वनकर्मियों की टीम तैनात रखी गई है. ताकि गणेश श्रद्धालुओं को कोई खतरा ना हो.