जम्मूः जम्मू के अरनिया में फूलगोभी की इतनी बंपर पैदावार हुई कि इसकी खुशबू दूर-दूर तक फैल रही है, मगर फिर भी इलाके के किसना मायूस हैं. वजह, उनकी फसल की कीमत नहीं मिल रही है. जो फसल कभी लाभदायक हुआ करती थी, वह अब घाटे का सौदा हो गयी है. किसान अपनी फसल को मवेशियों को खिलाने या उसे सड़ते हुए देखने के लिए मजबूर हैं. फूलगोभी की खेती की लागत भी नहीं निकल पा रही है.
क्या है परेशानीः कुछ सप्ताह पहले ही स्थानीय बाजारों में फूलगोभी की कीमत 10 रुपये प्रति किलोग्राम थी. सीमावर्ती आरएस पुरा उप-जिले में लोगों की आजीविका चलती थी. फूलगोभी की खेती करने वाले किसान निराश हैं क्योंकि फूलगोभी की कीमत आसमान से जमीन पर गिर गई. कई किसान गोभी को जानवरों को खिलाने के लिए मजबूर हैं क्योंकि उन्हें फसल की लागत भी नहीं मिल पाई है.
![cauliflower Low price](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-02-2025/lowpriceratestocauliflowerleavesjammufarmersindespair_09022025111110_0902f_1739079670_942.jpg)
किसानों की नींद उड़ीः अचानक आई मंदी के कारण किसानों की नींद उड़ गई है. जो गोभी कुछ दिन पहले बाजार में 10 रुपए किलो बिक रही थी, उसे अब 2 रुपए किलो खरीदने वाले ग्राहक ढूंढने पड़ रहे हैं. मौजूदा समय में गोभी बेचना घाटे का सौदा बन गया है. अरनिया के कई किसान गोभी की फसल काटकर जानवरों को खिलाने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि बाजार में गोभी 2 रुपए किलो बिक रही है, जिससे उनकी लागत भी नहीं निकल पाई है. इसलिए उन्हें ऐसा करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
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क्या कहते हैं किसानः गोभी की कीमतें गिरने से किसानों की मेहनत और निवेश बेकार हो गया है. नुकसान कम करने के लिए हताश कई लोगों ने अपनी फसल को समय से पहले काटना शुरू कर दिया है. अरनिया में तीसरी पीढ़ी के किसान जीत राज कहते हैं, "हमने इन फसलों को अपने बच्चों की तरह पाला है, लेकिन अब हम दुखी हैं. 2 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचने का मतलब है कि हम अपनी कमाई से ज़्यादा कटाई और परिवहन पर खर्च कर रहे हैं. इसे जानवरों को खिलाना अजीब लगता है, लेकिन हमारे पास क्या विकल्प है?"
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स्थानीय व्यापारी राजेश कुमार बताते हैं, "इस मौसम में आपूर्ति मांग से कहीं ज़्यादा है. व्यापारी खरीद नहीं रहे हैं और छोटे किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज बहुत महंगा है. कई किसानों ने फूलगोभी की खेती के लिए भारी कर्ज लिया, इस उम्मीद में कि इससे हमेशा मुनाफा होता है. अब, जब कोई सरकारी हस्तक्षेप नज़र नहीं आ रहा है, तो कर्ज के चक्रव्यूह का डर बड़ा हो गया है."
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