जयपुर. राजस्थान के राज्यपाल (Rajasthan Governor Kalraj Mishra) शनिवार ने जवाहर कला केंद्र (Jawahar Kala Kendra) में श्रीअरविंद सोसायटी की ओर से आयोजित 'संविधान में कलाकृतियां- श्रीअरविंद के आलोक में' विषयक प्रदर्शनी के उद्घाटन से पूर्व समारोह को संबोधित किया.
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि संविधान ने हमें मूल अधिकार दिए हैं तो कर्तव्य बोध भी दिया है. प्रत्येक नागरिक दोनों के बीच संतुलन रखकर राष्ट्रहित और नैतिक मूल्यों का सही मायने में पालन कर सकता है. देश के संविधान की मूल प्रति में भारतीय संस्कृति का चित्रण भारत की संस्कृति और सभ्यता को समझने का आधार है. संविधान सभा के सदस्यों ने भारत की भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक संदेश देने का प्रयास इसके जरिए किया है.
राज्यपाल ने महर्षि अरविंद को राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि वें राष्ट्रीयता से ओतप्रोत महान व्यक्ति थे. उन्होंने राष्ट्रवाद को सच्चा धर्म मानते हुए अपने चिंतन और सृजन से समाज को नई दिशा दी. राज्यपाल ने भारतीय संविधान के कलापक्ष पर प्रदर्शनी आयोजित करने की पहल की सराहना की. पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता गुरुचरण सिंह गिल ने कहा कि संविधान में सांस्कृतिक चित्रण का मूल विचार संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद का था.
राज्यपाल मिश्र को मिलेगा पंडित दीनदयाल परमेष्ठी सम्मान
राज्यपाल कलराज मिश्र रविवार सुबह दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी (Kalraj Mishra on Varanasi visit from tomorrow) जाएंगे. उन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय की ओर से (पंडित दीनदयाल परमेष्ठी सम्मान) प्रदान किया जाएगा. उनका सोमवार शाम तक जयपुर लौटने का कार्यक्रम है.