जयपुर. शहर में कई ऐसे आरओ प्लांट बने हुए हैं, जो बिना किसी जांच के जनता तक पानी सप्लाई करते हैं. ऐसे प्लांट पर पीएचईडी विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है और ना ही इस पानी की गुणवत्ता की जांच पीएचईडी विभाग की ओर से की जा रही थी. पीएचईडी के पास ऐसे फर्मों का कोई रिकॉर्ड नहीं है. जयपुर शहर में निजी आरओ प्लांट से पानी सप्लाई का काम लगातार फल फूल रहा है. यह आरओ प्लांट जनता को गुणवत्तापूर्ण पानी पिलाने का दावा जरूर करते हैं, लेकिन ना तो इसकी कोई गाइडलाइन बनी हुई है और ना ही पीएचईडी विभाग इस ओर कोई ध्यान देता था.
नतीजन जयपुर शहर में सैकड़ों ऐसे आरओ प्लांट है, जो अपनी मर्जी से बिना किसी जांच के गुणवत्ताहीन पानी लोगों को पिला रहे थे. ईटीवी भारत पर खबर चलने के बाद अतिरिक्त जिला कलेक्टर अशोक कुमार ने साप्ताहिक समीक्षा बैठक में पीएचईडी विभाग को आरओ प्लांट के पानी की जांच करने के निर्देश दिए और कार्रवाई की रिपोर्ट भी अगली समीक्षा बैठक में देने को कहा है. इसके बाद पीएचईडी विभाग हरकत में आया और आरओ प्लांट से पानी बेचने वाली फर्मों के खिलाफ एक आदेश जारी किया गया. अधीक्षण अभियंता उत्तर अजय सिंह राठौड़ ने आदेश जारी करते हुए अपने अधीनस्थ अधिकारियों को इन फर्मों के पानी की जांच करने के लिए आदेश जारी किया और इसकी रिपोर्ट भी अगली समीक्षा बैठक से पहले अधिकारियों से मांगी गई है. यह अधीनस्थ अधिकारी अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले आरओ प्लांट के पानी की जांच करेंगे.
अजय सिंह राठौड़ की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि शहर में कैन और बोतल इत्यादि से निजी स्तर पर भरकर पेयजल वितरण करने वाली फर्मों के सैंपल लेकर पानी के नमूनों की जांच करवाई जाए. जांच रिपोर्ट कार्यालय में प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए गए हैं. अजय सिंह राठौड़ ने कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद पीएचईडी विभाग की बजाय जिला प्रशासन की ओर से ऐसे फर्मो पर पर कार्रवाई की जाएगी. यदि व्यक्ति गुणवत्तापूर्ण पानी नहीं पीता है, तो वह कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाता है. उससे हैजा, टाइफाइड और अन्य इन्फेक्शन, डायरिया, बुखार आदि रोग हो जाते हैं.
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हालांकि आरओ प्लांट पर नियंत्रण नहीं होने की बात कहकर पीएचईडी ने इस मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया था, लेकिन जिला प्रशासन के निर्देश के बाद पीएचईडी ने आरओ प्लांट के पानी की जांच का यह आदेश जारी किया है. अतिरिक्त जिला कलेक्टर अशोक कुमार ने कहा कि किसी भी तरह का पानी यदि जनता तक पहुंचता है, तो उसके जांच की जिम्मेदारी पीएचईडी विभाग की ही होती है. जब ईटीवी भारत ने जिला प्रशासन को इस मामले से अवगत कराया तो अतिरिक्त जिला कलेक्टर अशोक कुमार ने कहा था कि आने वाली समीक्षा बैठक में इस मसले पर बात की जाएगी और समीक्षा बैठक के दौरान अतिरिक्त जिला कलेक्टर पीएचईडी के अधिकारियों को ऐसे आरओ प्लांट पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. हालांकि जिला प्रशासन ने पीएचईडी विभाग को जांच के आदेश दे दिए हैं. विभाग कितने आरओ प्लांट के पानी की जांच करता है, यह समीक्षा बैठक में ही पता चल पाएगा.
बीसलपुर के पानी की शुद्धता का मापदंड
- टीडीएस (टोटल डिसोल्वड सॉलि़ड)- 250 से 275 पीपीएम
- फ्लोराइड-1.1 से 1.5 पीपीएम
- नाइट्रेट 45 से 100 पीपीएम