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POCSO का अपराध तो बाल अपचारी की अपील की सुनवाई का क्षेत्राधिकार पॉक्सो कोर्ट को ही - राजस्थान न्यूज

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बाल अपचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कही कि, रोपी बाल अपचारियों की किशोर न्याय बोर्ड के आदेश के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार पॉक्सो कोर्ट के पास ही है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि, सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के मामलों की सुनवाई पॉस्को कोर्ट में ही करने को कहा था.

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अपील सुनने का अधिकार पॉक्सो कोर्ट को
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Published : Jul 3, 2020, 12:30 AM IST

Updated : Jul 3, 2020, 9:07 AM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने तय किया है कि, पॉस्को अधिनियम के आरोपी बाल अपचारियों की किशोर न्याय बोर्ड के आदेश के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार पॉक्सो कोर्ट को ही है. न्यायाधीश अशोक बोर्ड ने यह आदेश एक बाल अपचारी की याचिका का निपटारा करते हुए दिए.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीपक चौहान ने बताया कि, याचिकाकर्ता के खिलाफ गत वर्ष चित्रकूट थाने में पॉस्को अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ था. किशोर न्याय बोर्ड ने 26 मई को उसे संरक्षकों के सुपुर्द करने से इंकार कर दिया. इस पर बोर्ड के आदेश की अपील बाल न्यायालय में की गई, लेकिन बाल न्यायालय ने यह कहते हुए अपील लौटा दी कि, मामला पॉस्को अधिनियम का है और सरकार के गत 18 मई की सूचना के आधार पर बाल न्यायालय को ऐसी अपील सुनने का अधिकार नहीं है. इस पर याचिकाकर्ता ने पॉक्सो कोर्ट में अपील दायर की, लेकिन पॉक्सो कोर्ट ने भी इसी अधिसूचना का हवाला देते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया. इस पर याचिकाकर्ता ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

ये पढ़ें: स्थगित किए गए पानी के बिलों का ऐसे करना होगा भुगतान, विभाग ने जारी किए आदेश

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के मामलों की सुनवाई पॉस्को कोर्ट में ही करने को कहा था. इसकी पालना में सरकार ने यह अधिसूचना जारी की है. इस पर हाईकोर्ट ने अधिसूचना को स्पष्ट करते हुए कहा कि, पॉस्को एक्ट के अपराध को बाल न्यायालय नहीं सुन सकते. वहीं अदालत ने आदेश की कॉपी सभी पॉस्को कोर्ट में भेजने के आदेश दिए हैं.

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने तय किया है कि, पॉस्को अधिनियम के आरोपी बाल अपचारियों की किशोर न्याय बोर्ड के आदेश के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार पॉक्सो कोर्ट को ही है. न्यायाधीश अशोक बोर्ड ने यह आदेश एक बाल अपचारी की याचिका का निपटारा करते हुए दिए.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीपक चौहान ने बताया कि, याचिकाकर्ता के खिलाफ गत वर्ष चित्रकूट थाने में पॉस्को अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ था. किशोर न्याय बोर्ड ने 26 मई को उसे संरक्षकों के सुपुर्द करने से इंकार कर दिया. इस पर बोर्ड के आदेश की अपील बाल न्यायालय में की गई, लेकिन बाल न्यायालय ने यह कहते हुए अपील लौटा दी कि, मामला पॉस्को अधिनियम का है और सरकार के गत 18 मई की सूचना के आधार पर बाल न्यायालय को ऐसी अपील सुनने का अधिकार नहीं है. इस पर याचिकाकर्ता ने पॉक्सो कोर्ट में अपील दायर की, लेकिन पॉक्सो कोर्ट ने भी इसी अधिसूचना का हवाला देते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया. इस पर याचिकाकर्ता ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

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सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के मामलों की सुनवाई पॉस्को कोर्ट में ही करने को कहा था. इसकी पालना में सरकार ने यह अधिसूचना जारी की है. इस पर हाईकोर्ट ने अधिसूचना को स्पष्ट करते हुए कहा कि, पॉस्को एक्ट के अपराध को बाल न्यायालय नहीं सुन सकते. वहीं अदालत ने आदेश की कॉपी सभी पॉस्को कोर्ट में भेजने के आदेश दिए हैं.

Last Updated : Jul 3, 2020, 9:07 AM IST
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