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एसएमएस अस्पताल में 'पैनिक बटन' प्रोजेक्ट की कछुआ चाल, 1 साल बाद भी नही हुआ पूरा

एसएमएस अस्पताल में चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों के साथ मारपीट की घटनाओं को रोकने के लिए पैनिक बटन लगाने का प्रोजेक्ट एक साल पहले शुरू हुआ था. लेकिन अभी तक इसे इस्तेमाल में नहीं लाया जा सका है. जबकि आए दिन मारपीट के बढ़ते मामले मरीजों के लिए भी परेशानी का सबब बन गए हैं.

SMS hospital news
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Published : Jan 6, 2021, 9:21 AM IST

जयपुर. सवाई मानसिंह अस्पताल में आए दिन स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट के मामले सामने आते हैं लेकिन अभी भी इस तरह की घटनाओं को रोकने में अस्पताल प्रशासन नाकाम रहा है. हाल ही में एक नर्सिंग कर्मी के साथ ट्रॉमा सेंटर में बुरी तरह मारपीट भी की गई. इन सभी घटनाओं को रोकने के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से परिसर में पैनिक बटन लगाए गए हैं लेकिन 1 साल बीत जाने के बाद, अभी तक इन्हें शुरू नहीं किया गया है.

कछुआ चाल में पैनिक बटन प्रोजेक्ट

दरअसल, अस्पताल में प्रक्रियाधीन पैनिक बटन का प्रोजेक्ट करीब 1 साल पहले शुरू किया गया था. यह पैनिक बटन पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से लगाए जा रहे हैं. हालांकि अस्पताल परिसर में सभी जगह पैनिक बटन लगा दिए गए हैं लेकिन अभी तक इन्हें शुरू ही नहीं किया जा सका है.

पढ़ेंः नर्सिंग कर्मी से मारपीट मामला: रघु शर्मा ने आरोपियों के खिलाफ FIR कराने के दिए निर्देश

आपातकालीन परिस्थिति के लिए लगाए गए इन पैनिक बटन को अभी भी पीडब्ल्यूडी विभाग ने अस्पताल प्रशासन को सुपुर्द नहीं किया है. अस्पताल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार के परिसर में करीब 80 से 100 पैनिक बटन लगाए गए हैं. जिसका बजट करीब 15 लाख रुपये बताया जा रहा है लेकिन खुद अस्पताल प्रशासन को अभी तक नहीं पता कि आखिर किस कारण यह प्रोजेक्ट अस्पताल प्रशासन को हैंड ओवर नहीं दिया गया है.

पढ़ेंः Bird Flu : प्रदेश में अभी तक 625 पक्षी मरे, 29 में एवियन इन्फ्लूएंजा की पुष्टि, CM ने दिए सतर्कता बरतने के निर्देश

कैसे करता है काम

दरअसल अस्पताल के सभी वार्ड के अंदर यह पैनिक बटन लगाए गए हैं ताकि किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में जब पैनिक बटन दबाया जाए तो अस्पताल में मौजूद गार्ड उसी स्थान पर पहुंच जाएं जहां से यह बटन दबाया गया है. इससे काफी हद तक अस्पताल में होने वाली मारपीट की घटनाओं को रोका जा सकता है.

जयपुर. सवाई मानसिंह अस्पताल में आए दिन स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट के मामले सामने आते हैं लेकिन अभी भी इस तरह की घटनाओं को रोकने में अस्पताल प्रशासन नाकाम रहा है. हाल ही में एक नर्सिंग कर्मी के साथ ट्रॉमा सेंटर में बुरी तरह मारपीट भी की गई. इन सभी घटनाओं को रोकने के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से परिसर में पैनिक बटन लगाए गए हैं लेकिन 1 साल बीत जाने के बाद, अभी तक इन्हें शुरू नहीं किया गया है.

कछुआ चाल में पैनिक बटन प्रोजेक्ट

दरअसल, अस्पताल में प्रक्रियाधीन पैनिक बटन का प्रोजेक्ट करीब 1 साल पहले शुरू किया गया था. यह पैनिक बटन पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से लगाए जा रहे हैं. हालांकि अस्पताल परिसर में सभी जगह पैनिक बटन लगा दिए गए हैं लेकिन अभी तक इन्हें शुरू ही नहीं किया जा सका है.

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आपातकालीन परिस्थिति के लिए लगाए गए इन पैनिक बटन को अभी भी पीडब्ल्यूडी विभाग ने अस्पताल प्रशासन को सुपुर्द नहीं किया है. अस्पताल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार के परिसर में करीब 80 से 100 पैनिक बटन लगाए गए हैं. जिसका बजट करीब 15 लाख रुपये बताया जा रहा है लेकिन खुद अस्पताल प्रशासन को अभी तक नहीं पता कि आखिर किस कारण यह प्रोजेक्ट अस्पताल प्रशासन को हैंड ओवर नहीं दिया गया है.

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कैसे करता है काम

दरअसल अस्पताल के सभी वार्ड के अंदर यह पैनिक बटन लगाए गए हैं ताकि किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में जब पैनिक बटन दबाया जाए तो अस्पताल में मौजूद गार्ड उसी स्थान पर पहुंच जाएं जहां से यह बटन दबाया गया है. इससे काफी हद तक अस्पताल में होने वाली मारपीट की घटनाओं को रोका जा सकता है.

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