जयपुर. प्रदेश में उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए राज्य सरकार कानून लाने जा रही है. इस नए कानून के तहत उपभोक्ता अब कहीं भी अपनी शिकायत दे सकता है.
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश चन्द मीना ने कहा कि प्रदेश का कोई भी नागरिक जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से उपभोक्ता है, उसके अधिकारों के संरक्षण के लिए नवीन उपाय करने की जरूरत है. उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए नवीन अधिनियम शीघ्र ही लागू होगा. उपभोक्ताओं का शोषण किसी भी स्तर पर नहीं हो उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास किए जाए.
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खाद्यमंत्री रमेश मीना ने कहा कि प्रदेश में उपभोक्ताओं को सही वस्तु उचित दाम पर मिले, इसके लिए विशेष तौर पर प्रयास किए जाएं. प्रदेश में खाद्य सामग्री में शुद्धता एवं मिलावटी की जांच के लिए अभियान शीघ्र प्रारंभ किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादों घी, दूध, पनीर, मावा एवं मसालों की जांच के लिए पुनः चल प्रयोगशालाओं को प्रारंभ किया जाएगा. पेट्रोल पंप संचालकों द्वारा मिलावट किये जाने पर प्रभावी रोक लगाने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए है.
उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम के गोदामों पर गेहूं के उठाव के समय गुणवत्ता की जांच शत प्रतिशत होनी चाहिए जिससे उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण गेहूं वितरित किया जा सके. भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा सोने की शुद्धता की जांच के लिए विभाग के साथ मिलकर अभियान चलाया जाएगा.
मीना ने कहा कि नए कानून के अनुसार एक नई सेन्ट्रल कन्ज्युमर प्रोटेक्शन आर्थोरिटी होगी जो अब तक अस्तित्व में ही नहीं थी. अब तक केवल जिला राज्य और राष्ट्रीय स्तर के ही उपभोक्ता न्यायालय ही अस्तित्व में थे. उन्होंने कहा यह शक्तिशाली आर्थोरिटी होगी, जिसके पास पूरी विंग होगी. जिसका अध्यक्ष एक डीजी होगा. इस आर्थोरिटी को जांच एवं जब्त करने के पूर्ण अधिकार होंगे.
कहीं भी दर्ज कराई जा सकती है शिकायत...
खाद्य मंत्री ने बताया कि नए अधिनियम में उपभोक्ता कहीं से भी शिकायत दर्ज करवा सकता है, जबकि अब तक उपभोक्ता केवल विक्रेता के क्षेत्र में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. उन्होंने बताया नए कानून में ई-कॉमर्स को भी क्षेत्राधिकार में लिया जाएगा. प्रोडेक्ट बनाने वाले से लेकर बेचने वाले एवं डिलीवरी करने वाले कम्पनियां तक नवीन कानून के दायरे में आ जाएंगी.
भ्रामक विज्ञापनों पर होगी कार्यवाही...
मीना ने बताया कि नवीन अधिनियम में भ्रामक विज्ञापनों पर भी कार्यवाही किए जाने का प्रावधान किया गया है. नए कानून में न्यायालयों का क्षेत्राधिकार बढ़ा दिया गया है. अब जिला अदालत एक करोड़ रुपए, राज्य स्तर पर एक से दस करोड़ रुपए एवं राष्ट्रीय स्तर पर दस करोड़ रुपए से अधिक के प्रकरणों की सुनवाई की जा सकेंगी.