नई दिल्ली: भारत के सीमा सुरक्षा बल (BSF) और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के बीच 55वां डायरेक्टर जनरल लेवल बॉर्डर को-ऑर्डिनेशन कॉन्फ्रेंस गुरुवार को दिल्ली में संपन्न हुआ. हालांकि, सीमा की जीरो लाइन से 150 गज के भीतर बाड़ लगाने, हथियारों और नशीले पदार्थों की बेरोकटोक तस्करी, उग्रवादियों की आवाजाही जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर समाधान जस के तस बना रहा, यानी की इस समस्या का सही से समाधान नहीं निकल पाया है.
वैसे देखा जाए तो सीमा सुरक्षा बल (BSF) और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के महानिदेशकों ने 55वें सीमा समन्वय सम्मेलन के नतीजों पर संतोष जताया. बैठक में बीजीबी के महानिदेशक मेजर जनरल मोहम्मद अशरफज्जमां सिद्दीकी ने कहा कि, अंतरराष्ट्रीय सीमा से 150 गज के भीतर कुछ भी निर्माण करने से पहले बातचीत होनी चाहिए. ऐसे निर्माण को सही तौर से उचित ठहराया जाना चाहिए. यहां जीरो लाइन से 150 गज के भीतर कुछ भी निर्माण करने के लिए आपसी परामर्श बेहद जरूरी है.
हालांकि, बीएसएफ ने मालदा जिले के सबदलपुर गांव में सीमा स्तंभ के 150 किलोमीटर के भीतर एक पंक्ति की बाड़ के निर्माण पर बीजीबी के विरोध का मुद्दा उठाया, लेकिन सिद्दीकी के बयान में स्पष्ट किया गया कि बीजीबी भारत के ऐसे निर्माण के कदम का बिल्कुल भी समर्थन नहीं करेगा.
दरअसल, जब से बीजीबी ने 150 किलोमीटर के भीतर ऐसी 'सिंगल रॉ फेंसिंग' के निर्माण का विरोध किया है, तब से बाड़ लगाने का काम शुरू नहीं किया गया है. सिद्दीकी ने आगे कहा कि, बांग्लादेश की तरफ से 150 गज के भीतर स्थायी निर्माण और बीजीबी द्वारा समर्थित होना सही नहीं है. अगर दूसरी तरफ से कोई आपत्ति नहीं है तो निर्माण हो सकता है.
वहीं, बीएसएफ महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी ने भी कहा कि सीमा पर बाड़ लगाने में आपत्ति हमेशा चर्चा का विषय होती है. चौधरी ने कहा कि, भारत बांग्लादेश सीमा एक गतिशील सीमा है. यहां विभिन्न प्रकार के मुद्दे आते रहते हैं. हालांकि, भारत में स्थानीय अधिकारी हमेशा ऐसे मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करते हैं. इस दौरान दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
उन्होंने जुलाई 2025 के महीने में उपयुक्त समय पर बांग्लादेश के ढाका में अगला डीजी स्तर का सम्मेलन आयोजित करने पर भी सहमति व्यक्त की. हालांकि, रिकॉर्ड बताते हैं कि बीएसएफ और बीजीबी के बीच इस तरह की उच्च स्तरीय बातचीत और उसके बाद राजनयिक स्तर की वार्ता के बावजूद सीमा पर हथियारों और ड्रग्स की तस्करी, हत्या जैसी गतिविधियां बेरोकटोक जारी हैं या बढ़ गई है.
55वीं सीमा समन्वय वार्ता में लिए गए निर्णय
चार दिवसीय सम्मेलन के बाद जारी एक बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की चिंताओं की सराहना की और सभी स्तरों पर निरंतर, रचनात्मक और सकारात्मक भागीदारी के माध्यम से इन मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए प्रतिबद्धता जताई. बयान में कहा गया, "वे सम्मेलन के निर्णयों को जमीनी स्तर पर सही भावना से लागू करने के लिए सहमत हुए."
बांग्लादेश स्थित सीमा पार अपराधियों, बदमाशों द्वारा बीएसएफ कर्मियों पर हमले और हमले की घटनाओं पर, दोनों पक्षों ने समन्वित गश्त बढ़ाकर विशेष रूप से रात के देर से सुबह तक संवेदनशील क्षेत्रों में और सीमा पर रहने वाले लोगों को आईबी की पवित्रता के बारे में शिक्षित करके ऐसी घटनाओं को न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए संयुक्त प्रयास करने पर सहमति जताई.
मानव अधिकारों को बनाए रखने और सीमा पर हिंसा को रोकने के लिए तालमेलपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता को दोहराते हुए, दोनों पक्षों ने संयुक्त गश्त, सतर्कता बढ़ाने, जन जागरूकता कार्यक्रम को तेज करने, उचित सामाजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रम शुरू करने और वास्तविक समय की जानकारी साझा करने के माध्यम से अत्यधिक तालमेल के साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई ताकि दोनों पक्षों की किसी भी तरह की जान जाने के बिना प्रभावी सीमा प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके.
सीमा पार अपराध, मानव तस्करी और अवैध सीमा पार करने पर अंकुश लगाने में समन्वित सीमा प्रबंधन योजना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए दोनों पक्षों ने तस्करों की वास्तविक समय की जानकारी और जांच रिपोर्ट को आगे बढ़ाने और साझा करने पर सहमति जताई. संयुक्त बयान में कहा गया, "दोनों पक्षों ने इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतने और भारत-बांग्लादेश सीमा को अपराध मुक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया.
दोनों पक्षों ने मानव तस्करी के पीड़ितों की मदद करने और देश के कानून के अनुसार उनके बचाव और सबसे तेज पुनर्वास की सुविधा देने पर भी सहमति जताई." पूर्व बीएसएफ डीजी ने की बात ईटीवी भारत से बात करते हुए बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने कहा कि इस तरह की उच्च स्तरीय वार्ता हमेशा फायदेमंद होती है. हालांकि, यह इस तरह की वार्ता प्रक्रिया में भाग लेने वाले अधिकारियों की मंशा और दोनों देशों के नेतृत्व पर निर्भर करता है. सिंह ने कहा, "यह एक तथ्य है कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियां अभी भी जारी हैं. अगर शीर्ष नेतृत्व की ओर से कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति और दिशा-निर्देश नहीं होगा, तो इस तरह के अपराध बेरोकटोक जारी रहेंगे."
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