जयपुर. सदन में क्षेत्रीय जनजाति विकास और सामाजिक कल्याण योजनाओं की अनुदान मांगों पर बोलते हुए विधायक राजकुमार रोत ने कहा कि कोर्ट में आदिवासी क्षेत्रों के जितने भी परिवाद गए हैं, उनमें से किसी भी मामले में तलाक नहीं हुआ है. 1955 की धारा 2 आदिवासी समाज पर लागू नहीं होती है, इससे यह साबित होता है कि आदिवासी समाज किसी वर्ण और धर्म व्यवस्था में नहीं आता है. राजकुमार रोत ने कहा कि आदिवासी समाज कौन से धर्म में आता है, इसका अभी तक कोई निश्चित नहीं हुआ है.
विधायक राजकुमार रोत ने कहा कि अनुसूचित जनजाति के लिए टीएडी फंड बना हुआ और उसमे केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पैसा आता है, लेकिन फंड का पैसा कहां कहां खर्च होता है, इसकी कोई प्रॉपर तरीके से मॉनिटरिंग नहीं होती. राजकुमार रोत ने कहा कि टीएडी का पैसा ऐसी जगह खर्च हो रहा है, जहां उसका कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने टीएडी का पैसा जिलेवार अलग-अलग असमान रूप से आवंटित करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इसी कारण आदिवासी समाज का विकास नहीं हो पा रहा. राजकुमार रोत ने कहा कि आदिवासी इलाकों की जमीन कोई नहीं खरीद सकता, लेकिन आज भी धोखाधड़ी करके आदिवासी इलाकों की जमीन सड़क के किनारे खरीदी जा रही है.