जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 869 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी के मामले में मिराज प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक विनय कांत आमेटा की जमानत याचिका को खारिज (Miraj director bail plea rejected) कर दिया है. जस्टिस एन.एस ढड्ढा ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि मामला आर्थिक अपराध का है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरा है.
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता (Miraj director Vinay Kant bail plea ) ने प्रोटेस्ट के तौर पर 60 करोड़ रुपए जमा करा दिए थे. ऐसे में जब उसने कर चोरी ही नहीं की तो फिर 60 करोड़ रुपए प्रोटेस्ट के तौर पर क्यों जमा कराए?. गौरतलब है कि पिछले दिनों अदालत ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
आरोपी ने जमानत अर्जी में कहा था कि विभाग ने फैक्ट्री में उत्पाद के खाली पडे़ रैपर के आधार पर जीएसटी की गणना कर 869 करोड़ रुपए की कर चोरी बताई. जबकि कर की गणना उत्पाद के बिक्री होने के बाद होनी चाहिए थी. वह कंपनी में वेतन भोगी कर्मचारी है और कर चोरी से उसे कोई फायदा नहीं होने वाला था.
इसलिए उसे जमानत दी जाए. इसके विरोध में डीजीजीआई के अधिवक्ता किंशुक जैन ने कहा कि विभाग ने आरोपी को बड़ी कर चोरी करते पकड़ा है. मौजूद साक्ष्यों से भी साबित है कि उसने करोड़ों रुपए की जीएसटी चोरी की है. इसलिए आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं कर सकते. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.
अदालत ने विभाग की दलीलों से सहमत होकर आरोपी की जमानत अर्जी खारिज (Miraj director bail plea rejected) कर दी. दरअसल कर चोरी के मामले में डीजीजीआई ने 24 अक्टूबर को आरोपी आमेटा को गिरफ्तार किया था और तब से वह जेल में ही है.