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अनुभवी ब्यूरोक्रेसी का संकट! राजस्थान से ब्यूरोक्रेसी का मोह भंग, कई IAS दिल्ली जाने की राह पर

एक के बाद एक आईएएस अफसरों के राजस्थान से दिल्ली जाने के फैसले से प्रदेश में अनुभवी ब्यूरोक्रेसी का संकट फिर आने लगा (Shortage of experienced IAS in Rajasthan) है. बताया जाता है कि सीएम गहलोत ब्यूरोक्रेसी का भरोसा जीतने में असफल रहे हैं. दस सीनियर IAS को नजरअंदाज कर निरंजन आर्य को मुख्य सचिव बनाना भी इसकी एक वजह बताई जाती है.

Several IAS want to be posted in Delhi,
अनुभवी ब्यूरोक्रेसी का संकट
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Published : Mar 17, 2022, 10:00 PM IST

जयपुर. राजस्थान पहले ही ब्यूरोक्रेसी की कमी से जूझ रहा है. इस बीच आधा दर्जन आईएएस दिल्ली जाने की तैयारी में (Several IAS want to be posted in Delhi) है. एक के बाद एक आईएएस अफसरों के दिल्ली जाने के फैसले से प्रदेश में अनुभवी ब्यूरोक्रेसी का संकट फिर आने लगा है और सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर क्यों वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रदेश में काम नहीं करना चाहते?

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही सुशासन और वित्तीय प्रबंधन को लेकर खुद अपनी पीठ थपथपा रहे हों, लेकिन जनघोषणाओं को धरातल पर उतारने वाली ब्यूरोक्रेसी ज्यादा खुश नहीं है. प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में गहलोत की प्रबंधन की पोल इसलिए भी खुल कर दिख रही है कि एक के बाद एक अनुभवी और सीनियर ब्यूरोक्रेट्स दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर जाने की इच्छा जता रहे हैं. तीन साल में एक दर्जन के करीब IAS का दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर जाना यह बताता है कि अपने तीसरे कार्यकाल के तीसरे साल में भी सीएम गहलोत ब्यूरोक्रेसी का विश्वास जीतने में असफल रहे हैं.

पढ़ें: गहलोत सरकार ने किया ब्यूरोक्रेसी में बड़ा बदलाव, 54 आरपीएस के तबादले...2 अधिकारियों को किया निलंबित

आधा दर्जन जाने की तैयारी में: आलम यह है कि पिछले तीन साल में करीब एक दर्जन आईएएस दिल्ली प्रतिनियुक्ति या गृह राज्य में जा चुके हैं और 6 आईएएस दिल्ली जाने के लिए प्रयास में लगे हैं. सबसे पहले बात करते हैं आईएएस अजिताभ शर्मा की. मुख्यमंत्री ने तीसरी बार सीएम बनने के बाद अजिताभ शर्मा को सीएमओ में पोस्टिंग दी, लेकिन प्रमोशन के बाद अजिताभ शर्मा सीएमओ से बाहर निकलते ही दिल्ली की राह पर निकल पड़े हैं. उनके साथ राजेश यादव, संदीप वर्मा, श्रेया गुहा का नाम जुड़ गया है. इन्होंने भी दिल्ली जाने की पूरी तैयारी कर ली है. बस अनुमति का इंतजार है. आईएएस राजेश यादव तो रिलीव हो गए हैं, जबकि अजिताभ शर्मा को केंद्र में नई पोस्टिंग का इंतजार है. इसके साथ अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत और निर्वाचन विभाग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता और कृष्ण कुणाल भी दिल्ली जाने का लम्बे समय से मन बनाए हुए हैं.

पढ़ें: विधायक ने करौली एसपी पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप...Social Media पर एक्टिव हुई ब्यूरोक्रेसी...एसपी के समर्थन में आए धौलपुर डीएम

17 आईएएस पहले से दिल्ली: केंद्र में प्रतिनियुक्ति में जाने वाले अफसरों में देखें, तो 21 आईएएस अफसर दिल्ली या होम स्टेट में पोस्टड हैं. इनमें नीलकमल दरबारी, वी श्रीनिवास, सुभीर सिंह, रोहित कुमार सिंह, संजय मल्होत्रा, रजत कुमार मिश्रा, तन्मय कुमार, आलोक, नरेश पाल गंगवार, रोली सिंह, राजीव सिंह ठाकुर, राजेश कुमार यादव, रोहित कुमार, देबासिष परुस्ती, सिद्धार्थ महाजन, अम्बरीश कुमार, बिष्णु चरण, टीना सोनी, अभिमन्यु कुमार, अतहर आमीर खान प्रतिनियुक्ति पर लगे हुए हैं.

पांच आईएएस होम या अन्य स्टेट में : ऑल इंडिया सर्विसेज के तीन अधिकारी अपने होम स्टेट में हैं. इनमें अम्बरीश कुमार तमिलनाडु, अतहर आमीर खान कश्मीर और आनंदी मसूरी में तैनात है.

पढ़ें: RAS Transfer List : बोर्ड निगमों की नियुक्ति के साथ आरएएस अधिकारियों में फेरबदल की तैयारी, जल्द जारी होगी जम्बो सूची

आठ आईएएस नॉन फील्ड : राजस्थान में आठ आईएएस अफसर ऐसे हैं जो या तो एपीओ हैं या छुट्टी पर चल रहे हैं. इनमें रविकुमार स्वरूप और अर्पिता गुप्ता एपीओ चल रहे हैं. इसके साथ पलकोंडा रमेश, दिनेश कुमार, इंद्रजीत सिंह, रोहित गुप्ता और विक्रम जिंदल अवकाश पर हैं. जबकि इन्द्र सिंह राव अंडर सस्पेंशन हैं.

विश्वास में नहीं ले सके ब्यूरोक्रेसी को : ब्यूरोक्रेसी का राजस्थान से मोहभंग होने का सबसे बड़ा कारण यही सामने आ रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल में ब्यूरोक्रेसी का विश्वास नहीं जीत पाए. इसके साथ ही पिछले दिनों निरंजन आर्य को मुख्य सचिव बनाने के लिये करीब दस सीनियर आईएएस को नजर अंदाज किया गया. इसके बाद एक ग्रुप की आईएएस लॉबी में लगातार नाराजगी बनी हुई है. यही वजह है कि एक के बाद एक सीनियर आईएएस अफसर दिल्ली जाने की लाइन में लगे हुए हैं. जानकारों की मानें तो प्रमुख शासन सचिव कुलदीप रांका भी अपने साथी अफसरों का साथ लेकर नहीं चल पा रहे है.

जयपुर. राजस्थान पहले ही ब्यूरोक्रेसी की कमी से जूझ रहा है. इस बीच आधा दर्जन आईएएस दिल्ली जाने की तैयारी में (Several IAS want to be posted in Delhi) है. एक के बाद एक आईएएस अफसरों के दिल्ली जाने के फैसले से प्रदेश में अनुभवी ब्यूरोक्रेसी का संकट फिर आने लगा है और सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर क्यों वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रदेश में काम नहीं करना चाहते?

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही सुशासन और वित्तीय प्रबंधन को लेकर खुद अपनी पीठ थपथपा रहे हों, लेकिन जनघोषणाओं को धरातल पर उतारने वाली ब्यूरोक्रेसी ज्यादा खुश नहीं है. प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में गहलोत की प्रबंधन की पोल इसलिए भी खुल कर दिख रही है कि एक के बाद एक अनुभवी और सीनियर ब्यूरोक्रेट्स दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर जाने की इच्छा जता रहे हैं. तीन साल में एक दर्जन के करीब IAS का दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर जाना यह बताता है कि अपने तीसरे कार्यकाल के तीसरे साल में भी सीएम गहलोत ब्यूरोक्रेसी का विश्वास जीतने में असफल रहे हैं.

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आधा दर्जन जाने की तैयारी में: आलम यह है कि पिछले तीन साल में करीब एक दर्जन आईएएस दिल्ली प्रतिनियुक्ति या गृह राज्य में जा चुके हैं और 6 आईएएस दिल्ली जाने के लिए प्रयास में लगे हैं. सबसे पहले बात करते हैं आईएएस अजिताभ शर्मा की. मुख्यमंत्री ने तीसरी बार सीएम बनने के बाद अजिताभ शर्मा को सीएमओ में पोस्टिंग दी, लेकिन प्रमोशन के बाद अजिताभ शर्मा सीएमओ से बाहर निकलते ही दिल्ली की राह पर निकल पड़े हैं. उनके साथ राजेश यादव, संदीप वर्मा, श्रेया गुहा का नाम जुड़ गया है. इन्होंने भी दिल्ली जाने की पूरी तैयारी कर ली है. बस अनुमति का इंतजार है. आईएएस राजेश यादव तो रिलीव हो गए हैं, जबकि अजिताभ शर्मा को केंद्र में नई पोस्टिंग का इंतजार है. इसके साथ अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत और निर्वाचन विभाग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता और कृष्ण कुणाल भी दिल्ली जाने का लम्बे समय से मन बनाए हुए हैं.

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17 आईएएस पहले से दिल्ली: केंद्र में प्रतिनियुक्ति में जाने वाले अफसरों में देखें, तो 21 आईएएस अफसर दिल्ली या होम स्टेट में पोस्टड हैं. इनमें नीलकमल दरबारी, वी श्रीनिवास, सुभीर सिंह, रोहित कुमार सिंह, संजय मल्होत्रा, रजत कुमार मिश्रा, तन्मय कुमार, आलोक, नरेश पाल गंगवार, रोली सिंह, राजीव सिंह ठाकुर, राजेश कुमार यादव, रोहित कुमार, देबासिष परुस्ती, सिद्धार्थ महाजन, अम्बरीश कुमार, बिष्णु चरण, टीना सोनी, अभिमन्यु कुमार, अतहर आमीर खान प्रतिनियुक्ति पर लगे हुए हैं.

पांच आईएएस होम या अन्य स्टेट में : ऑल इंडिया सर्विसेज के तीन अधिकारी अपने होम स्टेट में हैं. इनमें अम्बरीश कुमार तमिलनाडु, अतहर आमीर खान कश्मीर और आनंदी मसूरी में तैनात है.

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आठ आईएएस नॉन फील्ड : राजस्थान में आठ आईएएस अफसर ऐसे हैं जो या तो एपीओ हैं या छुट्टी पर चल रहे हैं. इनमें रविकुमार स्वरूप और अर्पिता गुप्ता एपीओ चल रहे हैं. इसके साथ पलकोंडा रमेश, दिनेश कुमार, इंद्रजीत सिंह, रोहित गुप्ता और विक्रम जिंदल अवकाश पर हैं. जबकि इन्द्र सिंह राव अंडर सस्पेंशन हैं.

विश्वास में नहीं ले सके ब्यूरोक्रेसी को : ब्यूरोक्रेसी का राजस्थान से मोहभंग होने का सबसे बड़ा कारण यही सामने आ रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल में ब्यूरोक्रेसी का विश्वास नहीं जीत पाए. इसके साथ ही पिछले दिनों निरंजन आर्य को मुख्य सचिव बनाने के लिये करीब दस सीनियर आईएएस को नजर अंदाज किया गया. इसके बाद एक ग्रुप की आईएएस लॉबी में लगातार नाराजगी बनी हुई है. यही वजह है कि एक के बाद एक सीनियर आईएएस अफसर दिल्ली जाने की लाइन में लगे हुए हैं. जानकारों की मानें तो प्रमुख शासन सचिव कुलदीप रांका भी अपने साथी अफसरों का साथ लेकर नहीं चल पा रहे है.

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