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न्यायालय में जेडीए भूमि के लंबित प्रकरणों को जल्द से जल्द निपटाने के लिये जेडीसी सख्त

जयपुर न्यायालय में लंबित मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए जेडीए प्रशासन संजीदा हो गया है. लंबित मामलों को लेकर शनिवार को जेडीसी टी रविकांत की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई. जिसमें लम्बे समय से पेंड़िग चल रहे सभी मामलों का जल्द ही निस्तारण हो इसके लिए निर्देश दिए गए. साथ ही गैर जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारियों को चार्जशीट देने के भी निर्देश दिए.

जयपुर विकास प्राधिकर, jaipur news
न्यायालय में लंबित मामलों को लेकर जेडीसी सख्त
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Published : Feb 8, 2020, 8:29 PM IST

जयपुर. न्यायालय में लंबित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए जेडीए प्रशासन संजीदा हुआ है. इसे लेकर शनिवार को जेडीसी टी रविकांत की अध्यक्षता में बैठक हुई. जिसमें सभी जोन उपायुक्तों को त्वरित रूप से कोर्ट केस का निस्तारण करने के निर्देश दिए. साथ ही धीमी कार्यप्रणाली और गैर जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों को चार्जशीट देने के भी निर्देश दिए.

जेडीए में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण, अवैध निर्माण, बिल्डिंग सील, जमीनों के टाइटल और रेवेन्यू से जुड़े करीब 8 हजार 900 मामले पेंडिंग चल रहे हैं. इनमें से एक हजार से ज्यादा अतिक्रमण के मामलों में तो जेडीए की ओर से कोर्ट में जवाब ही पेश नहीं किए गए. ये हाल तो तब है जब जेडीए में 200 से ज्यादा वकील है. जिन पर करीब 5 करोड़ रुपए सालाना खर्च किया जा रहा है. इसको लेकर अब जेडीए आयुक्त टी रविकांत सख्त हुए हैं.

न्यायालय में लंबित मामलों को लेकर जेडीसी सख्त

जेडीसी ने शनिवार को न्यायालय में लंबित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए बैठक बुलाई और सभी जोन उपायुक्तों को त्वरित रूप से कोर्ट के मामलों का निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही धीमी कार्यप्रणाली और गैर जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी को चार्जशीट देने के निर्देश भी दिए गए हैं. उन्होंने प्रभारी अधिकारियों को 15 दिन में एडवोकेट से व्यक्तिगत रूप से मिलकर स्टे हटवाने और पेंडेंसी कम करने के निर्देश भी दिए.

पढ़ें- जयपुरः विराटनगर में दिव्यांग शिविर का आयोजन, 91 नि:शक्तजन लाभान्वित

जेडीसी ने भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान करने, जोन में उपलब्ध स्वामित्व की भूमि का लेखा-जोखा तैयार करने, जोन में चल रहे प्रोजेक्ट्स की पूरी जानकारी रखने, ऑनलाइन प्राप्त प्रकरणों को प्राथमिकता से निपटाने, समय-समय पर जोन क्षेत्र का भ्रमण करने के भी निर्देश दिए हैं.

जयपुर. न्यायालय में लंबित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए जेडीए प्रशासन संजीदा हुआ है. इसे लेकर शनिवार को जेडीसी टी रविकांत की अध्यक्षता में बैठक हुई. जिसमें सभी जोन उपायुक्तों को त्वरित रूप से कोर्ट केस का निस्तारण करने के निर्देश दिए. साथ ही धीमी कार्यप्रणाली और गैर जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों को चार्जशीट देने के भी निर्देश दिए.

जेडीए में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण, अवैध निर्माण, बिल्डिंग सील, जमीनों के टाइटल और रेवेन्यू से जुड़े करीब 8 हजार 900 मामले पेंडिंग चल रहे हैं. इनमें से एक हजार से ज्यादा अतिक्रमण के मामलों में तो जेडीए की ओर से कोर्ट में जवाब ही पेश नहीं किए गए. ये हाल तो तब है जब जेडीए में 200 से ज्यादा वकील है. जिन पर करीब 5 करोड़ रुपए सालाना खर्च किया जा रहा है. इसको लेकर अब जेडीए आयुक्त टी रविकांत सख्त हुए हैं.

न्यायालय में लंबित मामलों को लेकर जेडीसी सख्त

जेडीसी ने शनिवार को न्यायालय में लंबित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए बैठक बुलाई और सभी जोन उपायुक्तों को त्वरित रूप से कोर्ट के मामलों का निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही धीमी कार्यप्रणाली और गैर जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी को चार्जशीट देने के निर्देश भी दिए गए हैं. उन्होंने प्रभारी अधिकारियों को 15 दिन में एडवोकेट से व्यक्तिगत रूप से मिलकर स्टे हटवाने और पेंडेंसी कम करने के निर्देश भी दिए.

पढ़ें- जयपुरः विराटनगर में दिव्यांग शिविर का आयोजन, 91 नि:शक्तजन लाभान्वित

जेडीसी ने भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान करने, जोन में उपलब्ध स्वामित्व की भूमि का लेखा-जोखा तैयार करने, जोन में चल रहे प्रोजेक्ट्स की पूरी जानकारी रखने, ऑनलाइन प्राप्त प्रकरणों को प्राथमिकता से निपटाने, समय-समय पर जोन क्षेत्र का भ्रमण करने के भी निर्देश दिए हैं.

Intro:जयपुर - न्यायालय में लंबित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए जेडीए प्रशासन संजीदा हुआ है। इसे लेकर आज जेडीसी टी रविकांत की अध्यक्षता में बैठक हुई। जिसमें सभी जोन उपायुक्तों त्वरित रूप से कोर्ट केस का निस्तारण करने के निर्देश दिए। साथ ही धीमी कार्यप्रणाली और गैर जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों को चार्जशीट देने के भी निर्देश दिए।


Body:जेडीए में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण, अवैध निर्माण, बिल्डिंग सील, जमीनों के टाइटल और रेवेन्यू से जुड़े करीब 8900 मामले पेंडिंग चल रहे हैं। इनमें से एक हज़ार से ज्यादा अतिक्रमण के मामलों में तो जेडीए की ओर से कोर्ट में जवाब ही पेश नहीं किए गए। ये हाल तो तब है जब जेडीए में 200 से ज्यादा वकील है। जिन पर करीब 5 करोड़ रुपए सालाना खर्च किया जा रहा है। इसी को लेकर अब जेडीए आयुक्त टी रविकांत सख्त हुए हैं। जेडीसी ने आज न्यायालय में लंबित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए बैठक बुलाई। और सभी जोन उपायुक्तों को त्वरित रूप से कोर्ट कैसेज का निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही धीमी कार्यप्रणाली और गैर जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी को चार्जशीट देने के निर्देश भी दिए गए हैं। उन्होंने प्रभारी अधिकारियों को 15 दिन में एडवोकेट से व्यक्तिगत रूप से मिलकर स्टे हटवाने और पेंडेंसी कम करने के निर्देश भी दिए।


Conclusion:जेडीसी ने भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान करने, जोन में उपलब्ध स्वामित्व की भूमि का लेखा-जोखा तैयार करने, जोन में चल रहे प्रोजेक्ट्स की पूरी जानकारी रखने, ऑनलाइन प्राप्त प्रकरणों को प्राथमिकता से निपटाने, समय-समय पर जोन क्षेत्र का भ्रमण करने के भी निर्देश दिए हैं।
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