जयपुर. राजधानी के जयपुरिया अस्पताल ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. अस्पताल में शुक्रवार को पहला कॉक्लियर इंप्लांट्स किया गया. सरकारी अस्पतालों की श्रेणी में एसएमएस मेडिकल कॉलेज के बाद जयपुरिया कॉक्लियर इंप्लांट्स करने वाला दूसरा अस्पताल बन गया है. यहां 1 साल 5 महीने के मासूम का कॉक्लियर इंप्लांट्स किया गया.
दरअसल, सीकर निवासी भागीरथ शर्मा के बच्चे तन्मय को पैदा होने के साथ ही सुनाई नहीं देने की शिकायत थी. इस संबंध में जब भागीरथ शर्मा को पता चला, उस वक्त तन्मय 4 महीने का था. इसके बाद उन्होंने कई डॉक्टर को दिखाया और आखिर में जांच के बाद कॉक्लियर इंप्लांट ही एकमात्र रास्ता था. इसे लेकर भागीरथ ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र से होने के चलते उन्हें बीमारी का पता देरी से चला. हालांकि इंटरनेट पर जानकारी इकट्ठी कर वो कॉक्लियर इंप्लांट के नोडल ऑफिसर तक पहुंचे.
वहीं जयपुरिया अस्पताल में इस बच्चे का कॉक्लियर इंप्लांट किया गया. इसे लेकर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि एसएमएस मेडिकल कॉलेज के बाद जयपुरिया अस्पताल पहला सरकारी अस्पताल है, जहां कॉक्लियर इंप्लांट की सुविधा है. अभी तक 20 बच्चों की लिस्ट आ चुकी है. जिनके भी जल्द इंप्लांट किए जाएंगे.
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उन्होंने बताया कि कॉक्लियर इंप्लांट की लागत ज्यादा आती है. इसके लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 4 लाख 42 हजार 967 की आर्थिक सहायता दी जाती है. वहीं अस्पताल की अधीक्षक डॉ. रेखा सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर अस्पताल को इस काबिल समझा, और अस्पताल की टीम ने ये साबित भी कर दिखाया. बहरहाल, जयपुरिया अस्पताल में कॉक्लियर इंप्लांट शुरू होने से एसएमएस अस्पताल का भार भी कम होगा और आम जनता को भी ज्यादा सुविधा मिल पाएगी.