जयपुर. जयपुर की विरासत परकोटा क्षेत्र कोरोना काल में भी प्रभावी साबित हुआ है. यहां के दरवाजे प्रशासन के लिए कंट्रोल पॉइंट बने. यूनेस्को के साथ हुई वेबीनार में जयपुर नगर निगम प्रशासन ने यही प्रेजेंटेशन दिया. वहीं अब हेरिटेज साइट को बनाए रखने के लिए जरूरत पड़ने पर गोदाम और कंजस्टेड बाजारों को शिफ्ट करने का प्लान भी बताया.
बीते साल 6 जुलाई को जयपुर के परकोटा क्षेत्र को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल किया. परकोटे को लिविंग हेरिटेज बताते हुए यूनेस्को के सामने प्रेजेंटेशन दी गई थी. ऐसे में कोरोना काल में शहर का ये परकोटा किस तरह से कारगर साबित हुआ, इसे लेकर बुधवार को यूनेस्को के साथ वेबीनार हुई. जिसमें यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हेरिटेज सिटी में समय-समय पर जिन शहरों को शामिल किया गया है, उनके मेयर और प्रतिनिधियों ने भाग लिया. वेबीनार में कोरोना के दौर में हेरिटेज साइट पर पड़ने वाले दीर्घकालीन और अल्पकालीन प्रभाव पर चर्चा की गई. साथ ही इस दौरान प्रशासन की ओर से किस तरह के फैसले लिए गए, इसकी जानकारी मांगी गई.
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वेबीनार में जयपुर का प्रतिनिधित्व करते हुए शामिल हुए निगम एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग ने बताया कि कोरोना के दौरान 78 साल बाद वॉल सिटी का गेट बंद किया गया. वॉल सिटी की 9 किलोमीटर की दीवार और शहरी क्षेत्र ही यूनेस्को में शामिल होने की सबसे बड़ी वजह थी, उसे साबित किया गया. इसके अलावा शहर में प्रवेश की जो 7 दरवाजे हैं वो कंट्रोल प्वाइंट के रूप में काम आए. वहां हर वाहन को सैनिटाइज और व्यक्तियों के हाथों को सैनिटाइज करने की व्यवस्था की गई. इस तरह साबित किया गया कि वास्तव में हमारा परकोटा लिविंग हेरिटेज है और आज भी उसका प्रभाव है.
वहीं वेबीनार के दौरान यूनेस्को के अधिकारियों ने कोरोना को देखते हुए वर्ल्ड हेरिटेज साइट को बनाए रखने के लिए प्लान भी मांगा. इस पर निगम प्रशासन की ओर से कोरोना की महामारी आगे बरकरार रहने की स्थिति में शहरी क्षेत्र से गोदाम और कंजस्टेड बाजारों को शिफ्ट करने की कार्रवाई करने का प्लान तैयार करने की बात रखी गई है.