जयपुर: भांकरोटा क्षेत्र में हुए दर्दनाक अग्निकांड में मृतकों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. बीते 48 घंटों में 6 मरीजों ने एसएमएस अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. गुरुवार को 60 फीसदी झुलस चुके लालाराम ने दम तोड़ दिया. भीलवाड़ा निवासी 35 वर्षीय बंसीलाल की भी इलाज के दौरान मौत हो गई. इस हादसे में अभी तक कुल 19 लोगों ने दम तोड़ा और 14 मरीजों का इलाज अभी भी जारी है. जबकि तीन मरीज गंभीर रूप से झुलसे हुए हैं, जिन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है.
इस हादसे में 24 दिसंबर को उत्तर प्रदेश निवासी नरेश बाबू, जबकि हरियाणा निवासी युसुफ ने दम तोड़ दिया था. वहीं 25 दिसंबर सुबह करीब 4 बजे राजस्थान के प्रतापगढ़ की निवासी विजिता मीणा और सुबह करीब साढ़े 9 बजे विजेंद्र निवासी भुरीबड़ाज पावटा और लालाराम ने दम तोड़ दिया था. इसके बाद आज घायल बंशीलाल निवासी भीलवाड़ा की भी मौत हो गई.
60 फीसदी से अधिक झुलसे: घायलों का इलाज कर रहे सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर आरके जैन का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में जिन मरीजों की लगातार मौत हो रही है. उसमें से अधिकतर मरीज 60 फीसदी से अधिक झुलस गए थे. जिससे डॉक्टर उनकी जान बचाने में असफल रहे. इस हादसे में झुलसे कुल 14 मरीज अब भी अस्पताल में भर्ती हैं. जिनमें से कुछ मरीज जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं.
विजेंद्र और लालाराम का हुआ था स्किन ट्रांसप्लांट: वहीं बीते दिनों दो मरीजों का स्कीन ट्रांसप्लांट भी किया गया था. इस हादसे में घायल हुए मरीज विजेंद्र और लालाराम का स्किन ट्रांसप्लांट किया गया था. लेकिन विजेंद्र और लालाराम ने दम तोड़ दिया. ऐसे में डॉक्टर जैन का कहना है कि जैसे-जैसे मरीजों की स्थिति में सुधार होगा, वैसे ही मरीजों का स्किन ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया जाएगा.
एडवांस ट्रीटमेंट: आग से झुलसे मरीजों को इंफेक्शन से बचाने के लिए कॉलेजन शीट का उपयोग किया जा रहा है और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए पेंटाग्लोबिन इंजेक्शन भी मरीजों को लगाए जा रहे हैं. यह एडवांस ट्रीटमेंट है. एक पेंटाग्लोबिन इंजेक्शन की कीमत तकरीबन 10 हजार रुपए है. यह इन्जेक्शन मरीज के वजन के अनुसार लगाया जाता है. इसके अलावा एडवांस ड्रेसिंग के लिए मेफिलेक्स का उपयोग किया जा रहा है. इसमें नरम स्पंजी ग्रे फोम पैड होता है, जिसके अंदर चांदी होती है. फोम ड्रेसिंग घाव को ढाल देती है और चांदी बैक्टीरिया को मारने में मदद करती है.
संक्रमण फैलने से होती है मौत: डॉ जैन का कहना है कि कई बार हादसों के दौरान मरीज का शरीर 40 से 50 फीसदी तक झुलस जाता है. ऐसे में मरीज के शरीर से प्रोटीन लॉस और इलेक्ट्रोलाइट फ्लूड की कमी होने लगती है. इस लॉस के बाद धीरे-धीरे मरीज के शरीर में संक्रमण फैलना शुरू होता है. इस संक्रमण के कारण अधिकतर मरीजों की जान चली जाती है.