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Special: खतरनाक सांपों को रेस्क्यू करने में माहिर वनकर्मी अंजू चौहान, वन विभाग कर चुका है सम्मानित

खतरनाक सांपों को देखकर बड़े-बड़ों की हालत खराब हो जाती है लेकिन जयपुर वन विभाग में तैनात महिला वन कर्मी के लिए सांपों को पकड़ना बच्चों के खेल के समान है. वनकर्मी अंजू चौहान अब तक दो हजार से अधिक सांपों को रेस्क्यू कर चुकी हैं. उनकी सेवा के लिए वन विभाग उन्हें सम्मानित भी कर चुका है.

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Published : Oct 7, 2020, 11:00 PM IST

Women forest workers rescue snakes
सांपों को रेस्क्यू करती है महिला वनकर्मी

जयपुर. आज की महिला चुनौतियों का सामना करने से कभी पीछे नहीं हटती है. कई ऐसे खतरनाक काम भी वे बड़ी आसानी से कर लेती हैं जिन्हें करने में पुरुषों के भी हाथ-पांव फूल जाते हैं. आज हम बात कर रहे हैं ऐसी महिला वनकर्मी की जिनके लिए खतरनाक सांपों को पकड़ना बाएं हाथ के खेल जैसा है. जी हां वन विभाग में तैनात अंजू चौहान सांपों का रेस्कयू करने में माहिर हैं.

सांपों को रेस्क्यू करती है यह महिला वनकर्मी

हजारों खतरनाक और जहरीले सांपों को पकड़कर वह जंगलों में छोड़ चुकी हैं. वनकर्मी की नौकरी के साथ वह सांपों को बचाने का भी काम कर रही हैं. लेकिन पिछले 5 वर्षों से अंजू अपनी जान खतरे में डालकर लोगों के साथ-साथ सांपों की भी सुरक्षा कर रहीं हैं.

Take full care of children at home as well
बच्चों का भी घर पर रखती हैं पूरा ख्याल

जहरीले सांपों का रेस्क्यू करने वाली यह महिला राजस्थान के सिरोही जिले के पिंडवाड़ा तहसील की रहने वाली हैं. इनका नाम अंजू चौहान है जो कि वन विभाग में वन रक्षक के पद पर कार्यरत हैं और इसी दौरान वह ड्यूटी के बाद समय निकालकर सामाजिक दायित्व भी निभा रही हैं. अंजू चौहान पिछले 5 सालों से आबादी वाले क्षेत्रों से जहरीले सांपों को पकड़कर जंगल में छोड़ने का काम भी कर रही हैं. वनकर्मी अंजू चौहान का कहना है कि प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए सांपों का भी रहना बहुत जरूरी है.

Rescue two thousand snakes
दो हजार सांपों को कर चुकी हैं रेस्क्यू

यह भी पढ़ें: Special: वाटर होल पद्धति से गणना में कम हुए राष्ट्रीय पक्षी मोर, अब गांव-गांव जाकर गिनती करेगा वन विभाग

इसलिए अंजू चौहान अपनी जान जोखिम में डालकर जहरीले व खतरनाक सांपों को बचाने का काम कर रही है. सिरोही जिले में पिंडवाडा तहसील के साथ ही गांव के आबादी और खेतों में सांपों का रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ने का काम कर रही है. सिरोही जिले में वह करीब सभी प्रजातियों के सांपों का रेस्क्यू कर चुकी हैं. बताता हैं कि घर में सांप निकल आया करते थे तो मां कहती थीं कि इनको नहीं मारना चाहिए. जीव दया के प्रति मम्मी से प्ररेणा मिली. वर्ष 2016 में वन रक्षक के पद पर भर्ती हुई तो सबसे ज्यादा प्रभावित सांपों ने ही किया.

सांपों की तस्करी, मारना और परिवहन करने पर सजा का प्रावधान है-

  • अजगर: शेड्यूल फर्स्ट में आते हैं, इनको मारना, छेड़छाड़ करना और परिवहन करना अपराध है. इसके लिए 6 साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.
  • नाग कोबरा: शेड्यूल सेकंड में आते हैं और इनको मारना, छेड़छाड़ करना और परिवहन करना अपराध है. इसके लिए 6 साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.
  • इसके अतिरिक्त जितने सांप पाए जाते हैं शेड्यूल थर्ड में आते हैं. इसमें 3 साल की सजा, 25 हजार रुपए जुर्माना या दोनो का प्रावधान है.
    वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 बना हुआ है जिसमें वन्यजीवों से छेडखानी, परिवहन करने पर और तस्करी, शिकार करने पर सजा का प्रावधान है.

यह भी पढ़ें: Special: चूल्हा-चौका ही नहीं खाकी पहनकर जंगलों की रक्षा भी करती है नारी शक्ति

अंजू चौहान ने बताया कि पिछले 5 सालों से करीब 2 हजार से अधिक जहरीले सांपों का रेस्क्यू कर चुकी हैं. इन सांपों का रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा भी है. अभी भी वे सांपों का रेस्क्यू करने का काम कर रही हैं. अंजू चौहान का मानना है कि वन्यजीव जंतुओं की रक्षा करना हमारा दायित्व बनता है. अंजू का एक बच्चा थैलेसिमिया से पीड़ित है जिसकी देखरेख के साथ वनकर्मी की ड्यूटी और सामाजिक दायित्व भी निभाने का काम कर रही है.

अंजू चौहान के पति पुलिस कांस्टेबल हैं. पति ने भी सांप रेस्क्यू करने में अंजू का उत्साह ही बढ़ाया है. रात में भी कहीं सांप के रेस्क्यू करने का कॉल आता है तो तुरंत वह सांप रेस्क्यू के लिए चली जाती हैं. रात में कहीं भी जाने के लिए सबसे पहले अंजू ने चौपहिया वाहन चलाना सीखा ताकि कहीं पर भी रेस्क्यू के लिए जा सकें. अंजू का मानना है कि सांप को पकड़ने के लिए अकेले कभी नहीं जाए क्योंकि सांप आपकों डस भी सकता है. इसके लिए तीन या चार लोगों की टीम बनाकर ही सांप का रेस्क्यू करें. खुद सुरक्षित रहेंगे तो सांपों को भी सुरक्षित रख सकेंगे.

सिरोही में मुख्य 4 प्रजातियों के जहरीले सांप पाए जाते हैं

  • रसल वाइपर
  • साहस्कलेंड वाइपर
  • करैत
  • कोबरा

ये चारों सांप भारत में सबसे ज्यादा जहरीले माने जाते हैं. ये चारों सांप राजस्थान सहित सिरोही जिले में भी पाए जाते हैं. राजस्थान की पहली महिला वनकर्मी अंजू चौहान जिसने इन चारों जहरीले सांपों का रेस्क्यू किया है.

अंजू ने बताया कि सांप खुद पहले किसी को नहीं काटता है, जब कोई उनको छेड़ता है तो वह अपने बचाव के लिए गुस्से में हमला करते हैं. जिसपर व्यक्ति सांप को मारने में लग जाता है. वन अधिनियम के अनुसार सांप को मारने पर सजा का प्रावधान है. उन्होंने बताया कि यदि देखा जाए तो सबसे ज्यादा महिला ही वन्यजीवों से डरती हैं तो उनकी पूजा पूजा और लम्बी उम्र की दुआ भी महिलाएं ही करती हैं.

अंजू चौहान का कहना है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक धार्मिक प्रवृत्ति की होती हैं. क्योंकि नागपंचमी पर वे बड़ी श्रद्धा के साथ नाग की पूजा करती हैं. अब तक की घटनाओं में पुरुषों की तुलना में महिलाएं जानवरों की रक्षा अधिक करती हैं. वन विभाग की ओर से उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया है. अंजू चौहान को रेस्क्यू, गश्त और विपरीत परिस्थितियों में अपनी सेवाएं देने के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है.

जयपुर. आज की महिला चुनौतियों का सामना करने से कभी पीछे नहीं हटती है. कई ऐसे खतरनाक काम भी वे बड़ी आसानी से कर लेती हैं जिन्हें करने में पुरुषों के भी हाथ-पांव फूल जाते हैं. आज हम बात कर रहे हैं ऐसी महिला वनकर्मी की जिनके लिए खतरनाक सांपों को पकड़ना बाएं हाथ के खेल जैसा है. जी हां वन विभाग में तैनात अंजू चौहान सांपों का रेस्कयू करने में माहिर हैं.

सांपों को रेस्क्यू करती है यह महिला वनकर्मी

हजारों खतरनाक और जहरीले सांपों को पकड़कर वह जंगलों में छोड़ चुकी हैं. वनकर्मी की नौकरी के साथ वह सांपों को बचाने का भी काम कर रही हैं. लेकिन पिछले 5 वर्षों से अंजू अपनी जान खतरे में डालकर लोगों के साथ-साथ सांपों की भी सुरक्षा कर रहीं हैं.

Take full care of children at home as well
बच्चों का भी घर पर रखती हैं पूरा ख्याल

जहरीले सांपों का रेस्क्यू करने वाली यह महिला राजस्थान के सिरोही जिले के पिंडवाड़ा तहसील की रहने वाली हैं. इनका नाम अंजू चौहान है जो कि वन विभाग में वन रक्षक के पद पर कार्यरत हैं और इसी दौरान वह ड्यूटी के बाद समय निकालकर सामाजिक दायित्व भी निभा रही हैं. अंजू चौहान पिछले 5 सालों से आबादी वाले क्षेत्रों से जहरीले सांपों को पकड़कर जंगल में छोड़ने का काम भी कर रही हैं. वनकर्मी अंजू चौहान का कहना है कि प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए सांपों का भी रहना बहुत जरूरी है.

Rescue two thousand snakes
दो हजार सांपों को कर चुकी हैं रेस्क्यू

यह भी पढ़ें: Special: वाटर होल पद्धति से गणना में कम हुए राष्ट्रीय पक्षी मोर, अब गांव-गांव जाकर गिनती करेगा वन विभाग

इसलिए अंजू चौहान अपनी जान जोखिम में डालकर जहरीले व खतरनाक सांपों को बचाने का काम कर रही है. सिरोही जिले में पिंडवाडा तहसील के साथ ही गांव के आबादी और खेतों में सांपों का रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ने का काम कर रही है. सिरोही जिले में वह करीब सभी प्रजातियों के सांपों का रेस्क्यू कर चुकी हैं. बताता हैं कि घर में सांप निकल आया करते थे तो मां कहती थीं कि इनको नहीं मारना चाहिए. जीव दया के प्रति मम्मी से प्ररेणा मिली. वर्ष 2016 में वन रक्षक के पद पर भर्ती हुई तो सबसे ज्यादा प्रभावित सांपों ने ही किया.

सांपों की तस्करी, मारना और परिवहन करने पर सजा का प्रावधान है-

  • अजगर: शेड्यूल फर्स्ट में आते हैं, इनको मारना, छेड़छाड़ करना और परिवहन करना अपराध है. इसके लिए 6 साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.
  • नाग कोबरा: शेड्यूल सेकंड में आते हैं और इनको मारना, छेड़छाड़ करना और परिवहन करना अपराध है. इसके लिए 6 साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.
  • इसके अतिरिक्त जितने सांप पाए जाते हैं शेड्यूल थर्ड में आते हैं. इसमें 3 साल की सजा, 25 हजार रुपए जुर्माना या दोनो का प्रावधान है.
    वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 बना हुआ है जिसमें वन्यजीवों से छेडखानी, परिवहन करने पर और तस्करी, शिकार करने पर सजा का प्रावधान है.

यह भी पढ़ें: Special: चूल्हा-चौका ही नहीं खाकी पहनकर जंगलों की रक्षा भी करती है नारी शक्ति

अंजू चौहान ने बताया कि पिछले 5 सालों से करीब 2 हजार से अधिक जहरीले सांपों का रेस्क्यू कर चुकी हैं. इन सांपों का रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा भी है. अभी भी वे सांपों का रेस्क्यू करने का काम कर रही हैं. अंजू चौहान का मानना है कि वन्यजीव जंतुओं की रक्षा करना हमारा दायित्व बनता है. अंजू का एक बच्चा थैलेसिमिया से पीड़ित है जिसकी देखरेख के साथ वनकर्मी की ड्यूटी और सामाजिक दायित्व भी निभाने का काम कर रही है.

अंजू चौहान के पति पुलिस कांस्टेबल हैं. पति ने भी सांप रेस्क्यू करने में अंजू का उत्साह ही बढ़ाया है. रात में भी कहीं सांप के रेस्क्यू करने का कॉल आता है तो तुरंत वह सांप रेस्क्यू के लिए चली जाती हैं. रात में कहीं भी जाने के लिए सबसे पहले अंजू ने चौपहिया वाहन चलाना सीखा ताकि कहीं पर भी रेस्क्यू के लिए जा सकें. अंजू का मानना है कि सांप को पकड़ने के लिए अकेले कभी नहीं जाए क्योंकि सांप आपकों डस भी सकता है. इसके लिए तीन या चार लोगों की टीम बनाकर ही सांप का रेस्क्यू करें. खुद सुरक्षित रहेंगे तो सांपों को भी सुरक्षित रख सकेंगे.

सिरोही में मुख्य 4 प्रजातियों के जहरीले सांप पाए जाते हैं

  • रसल वाइपर
  • साहस्कलेंड वाइपर
  • करैत
  • कोबरा

ये चारों सांप भारत में सबसे ज्यादा जहरीले माने जाते हैं. ये चारों सांप राजस्थान सहित सिरोही जिले में भी पाए जाते हैं. राजस्थान की पहली महिला वनकर्मी अंजू चौहान जिसने इन चारों जहरीले सांपों का रेस्क्यू किया है.

अंजू ने बताया कि सांप खुद पहले किसी को नहीं काटता है, जब कोई उनको छेड़ता है तो वह अपने बचाव के लिए गुस्से में हमला करते हैं. जिसपर व्यक्ति सांप को मारने में लग जाता है. वन अधिनियम के अनुसार सांप को मारने पर सजा का प्रावधान है. उन्होंने बताया कि यदि देखा जाए तो सबसे ज्यादा महिला ही वन्यजीवों से डरती हैं तो उनकी पूजा पूजा और लम्बी उम्र की दुआ भी महिलाएं ही करती हैं.

अंजू चौहान का कहना है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक धार्मिक प्रवृत्ति की होती हैं. क्योंकि नागपंचमी पर वे बड़ी श्रद्धा के साथ नाग की पूजा करती हैं. अब तक की घटनाओं में पुरुषों की तुलना में महिलाएं जानवरों की रक्षा अधिक करती हैं. वन विभाग की ओर से उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया है. अंजू चौहान को रेस्क्यू, गश्त और विपरीत परिस्थितियों में अपनी सेवाएं देने के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है.

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