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गांधी-सावरकर विवाद में ओम थानवी की एंट्री, लिखा- गांधीजी की ही ओट देकर सावरकर को इज्जत दिलवाने का कुत्सित प्रयास हो रहा

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Published : Oct 18, 2021, 11:08 AM IST

राजनीतिक गलियारों में बीते दिनों से चल रहे गांधी-सावरकर विवाद में अब हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी की एंट्री हो गई है. आज ओम थानवी ने ट्वीट कर इस पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा है.

Om Thanvi, Gandhi Savarkar controversy
ओम थानवी का ट्वीट

जयपुर. राजनीतिक गलियारों में बीते दिनों से चल रहे गांधी-सावरकर विवाद में अब हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी की एंट्री हो गई है. सोमवार को ओम थानवी ने एक के बाद एक 9 ट्वीट कर इस पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा है.

Om Thanvi, Gandhi Savarkar controversy
ओम थानवी का ट्वीट-1

उन्होंने लिखा है कि अब गांधीजी की ही ओट देकर सावरकर को इज्जत दिलवाने का कुत्सित प्रयास हो रहा है. उन्होंने लिखा कि गांधी करुणामय थे, सदाशय थे. वे महान आत्मा इसीलिए कहलाए कि उन्होंने आततायियों को भी इज्जत बख्शी. उनको भी, जो अलग रास्ते पर चले. लंदन में 1909 में सावरकर ने गांधीजी से उनके विचारों पर तकरार की थी. वर्षों बाद जब सावरकर कालकोठरी से अंग्रेजों के सामने गिड़गिड़ा रहे थे, गांधीजी ने अंग्रेज-राज द्वारा घोषित दया-घोषणा का लाभ सावरकर को भी मिले, ऐसी अपील की. यह उनकी दरियादिली थी, जिसे सावरकर को गांधीजी के आशीर्वाद सरीखा बताया जा रहा है.

Om Thanvi, Gandhi Savarkar controversy
ओम थानवी का ट्वीट-2

पढ़ें- सावरकर के पोते रंजीत बोले- मुझे नहीं लगता कि गांधी राष्ट्रपिता हैं

रक्षामंत्री ने तो सावरकर के माफीनामे के पीछे भी गांधी को खड़ा कर दिया. यह जाने बगैर कि गांधीजी ने लिखकर सावरकर को स्वातंत्र्य-वीर नहीं, स्वातंत्र्य-विरोधी ठहराया था. सही है कि गांधीजी ने अपने साप्ताहिक 'यंग इंडिया' के 26 मई, 2019 के अंक में सावरकर की रिहाई की सिफारिश की. मगर साफ-साफ यह कहते हुए कि 'दोनों सावरकर भाइयों ने अपने राजनीतिक विचारों को व्यक्त कर दिया है और दोनों ने कहा है कि वे किसी भी क्रांतिकारी विचार का समर्थन नहीं करते हैं और यह भी कि यदि उन्हें छोड़ दिया जाता है तो वे सुधार कानून के तहत काम करेंगे. दोनों साफ कहते हैं कि वे अंग्रेजों के राज से स्वतंत्रता नहीं चाहते. बल्कि, इससे उलट, वे अनुभव करते हैं कि भारत का भविष्य अंग्रेजों के सहयोग से बेहतर संवारा जा सकता है ...".

Om Thanvi, Gandhi Savarkar controversy
ओम थानवी का ट्वीट-3

गांधीजी के इस कथन को संघ-विचारक और नेता छिपा जाते हैं. वे यह भी नहीं बताते कि रिहाई के बाद सावरकर ने क्या कभी अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेड़ी. गांधीजी को गलत साबित करने की चेष्टा की? सचाई यह है कि सावरकर गांधीजी की हत्या के षड्यंत्र में शरीक पाए गए थे. हत्याकांड की जांच के लिए भारत सरकार की ओर से गठित आयोग ने अपने अंतिम निष्कर्ष में 'सावरकर और उनकी मंडली (ग्रुप)' को गांधीजी की हत्या के षड्यंत्र का गुनहगार ठहराया. नए तथ्यों के रोशनी में पहले की जांच जिसके फलस्वरूप गोडसे को फांसी हुई थी, को आगे बढ़ाते हुए भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जेएल कपूर को उस षड्यंत्र की जांच का जिम्मा सौंपा था.

Om Thanvi, Gandhi Savarkar controversy
ओम थानवी का ट्वीट-4

कपूर कमीशन ने गवाहों और दस्तावेजों की लंबी पड़ताल के बाद यह निष्कर्ष व्यक्त किया कि सभी तथ्यों का संज्ञान एक ही बात साबित करता है कि (गांधीजी की) हत्या का षड्यंत्र सावरकर और उनके समूह ने रचा. ओम थानवी ने आगे लिखा है कि पता नहीं अब किस मुंह से उन्हीं सावरकर को गांधीजी की ही ओट देकर इज्जत दिलवाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है. यह सिलसिला नया नहीं है. 2014 से इसकी गति बढ़ी. मगर अब तो संविधान की शपथ लेकर आए मंत्रियों तक को इस दुष्प्रचार में झोंका जा रहा है.

जयपुर. राजनीतिक गलियारों में बीते दिनों से चल रहे गांधी-सावरकर विवाद में अब हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी की एंट्री हो गई है. सोमवार को ओम थानवी ने एक के बाद एक 9 ट्वीट कर इस पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा है.

Om Thanvi, Gandhi Savarkar controversy
ओम थानवी का ट्वीट-1

उन्होंने लिखा है कि अब गांधीजी की ही ओट देकर सावरकर को इज्जत दिलवाने का कुत्सित प्रयास हो रहा है. उन्होंने लिखा कि गांधी करुणामय थे, सदाशय थे. वे महान आत्मा इसीलिए कहलाए कि उन्होंने आततायियों को भी इज्जत बख्शी. उनको भी, जो अलग रास्ते पर चले. लंदन में 1909 में सावरकर ने गांधीजी से उनके विचारों पर तकरार की थी. वर्षों बाद जब सावरकर कालकोठरी से अंग्रेजों के सामने गिड़गिड़ा रहे थे, गांधीजी ने अंग्रेज-राज द्वारा घोषित दया-घोषणा का लाभ सावरकर को भी मिले, ऐसी अपील की. यह उनकी दरियादिली थी, जिसे सावरकर को गांधीजी के आशीर्वाद सरीखा बताया जा रहा है.

Om Thanvi, Gandhi Savarkar controversy
ओम थानवी का ट्वीट-2

पढ़ें- सावरकर के पोते रंजीत बोले- मुझे नहीं लगता कि गांधी राष्ट्रपिता हैं

रक्षामंत्री ने तो सावरकर के माफीनामे के पीछे भी गांधी को खड़ा कर दिया. यह जाने बगैर कि गांधीजी ने लिखकर सावरकर को स्वातंत्र्य-वीर नहीं, स्वातंत्र्य-विरोधी ठहराया था. सही है कि गांधीजी ने अपने साप्ताहिक 'यंग इंडिया' के 26 मई, 2019 के अंक में सावरकर की रिहाई की सिफारिश की. मगर साफ-साफ यह कहते हुए कि 'दोनों सावरकर भाइयों ने अपने राजनीतिक विचारों को व्यक्त कर दिया है और दोनों ने कहा है कि वे किसी भी क्रांतिकारी विचार का समर्थन नहीं करते हैं और यह भी कि यदि उन्हें छोड़ दिया जाता है तो वे सुधार कानून के तहत काम करेंगे. दोनों साफ कहते हैं कि वे अंग्रेजों के राज से स्वतंत्रता नहीं चाहते. बल्कि, इससे उलट, वे अनुभव करते हैं कि भारत का भविष्य अंग्रेजों के सहयोग से बेहतर संवारा जा सकता है ...".

Om Thanvi, Gandhi Savarkar controversy
ओम थानवी का ट्वीट-3

गांधीजी के इस कथन को संघ-विचारक और नेता छिपा जाते हैं. वे यह भी नहीं बताते कि रिहाई के बाद सावरकर ने क्या कभी अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेड़ी. गांधीजी को गलत साबित करने की चेष्टा की? सचाई यह है कि सावरकर गांधीजी की हत्या के षड्यंत्र में शरीक पाए गए थे. हत्याकांड की जांच के लिए भारत सरकार की ओर से गठित आयोग ने अपने अंतिम निष्कर्ष में 'सावरकर और उनकी मंडली (ग्रुप)' को गांधीजी की हत्या के षड्यंत्र का गुनहगार ठहराया. नए तथ्यों के रोशनी में पहले की जांच जिसके फलस्वरूप गोडसे को फांसी हुई थी, को आगे बढ़ाते हुए भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जेएल कपूर को उस षड्यंत्र की जांच का जिम्मा सौंपा था.

Om Thanvi, Gandhi Savarkar controversy
ओम थानवी का ट्वीट-4

कपूर कमीशन ने गवाहों और दस्तावेजों की लंबी पड़ताल के बाद यह निष्कर्ष व्यक्त किया कि सभी तथ्यों का संज्ञान एक ही बात साबित करता है कि (गांधीजी की) हत्या का षड्यंत्र सावरकर और उनके समूह ने रचा. ओम थानवी ने आगे लिखा है कि पता नहीं अब किस मुंह से उन्हीं सावरकर को गांधीजी की ही ओट देकर इज्जत दिलवाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है. यह सिलसिला नया नहीं है. 2014 से इसकी गति बढ़ी. मगर अब तो संविधान की शपथ लेकर आए मंत्रियों तक को इस दुष्प्रचार में झोंका जा रहा है.

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