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हाई कोर्ट ने दिए सांभर झील से मृत पक्षियों के शव को तत्काल निकालने के निर्देश

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि वह सांभर झील के गहरे पानी में पड़े मृत पक्षियों के शवों का पता लगाने के लिए हाई डेंसिटी ड्रॉन कैमरों का इस्तेमाल करे. इसके साथ ही इन्फलेक्टेड ट्यूब का इस्तेमाल कर इन्हें पानी से निकाला जाए.

Sambhar Lake News, पक्षियों की मौत
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Published : Nov 22, 2019, 10:28 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि वह सांभर झील के गहरे पानी में पड़े मृत पक्षियों के शवों का पता लगाने के लिए हाई डेंसिटी ड्रॉन कैमरों का इस्तेमाल करे. इसके साथ ही इन्फलेक्टेड ट्यूब का इस्तेमाल कर इन्हें पानी से निकाला जाए. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहंति और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने सरकार और सांभर साल्ट को 27 नवंबर तक न्याय मित्र की रिपोर्ट पर जवाब देने और कार्य योजना रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. सुनवाई के दौरान न्यायमित्र ने कहा कि अब तक करीब 20 हजार पक्षियों की मौत हो चुकी है और मामले में सरकार की लापरवाही रही है.

साथ ही कहा कि स्थानीय निवासियों ने प्रशासन को पक्षियों के मौत के मामले में काफी पहले ही सूचना दे दी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. झील में अभी भी बडी संख्या में मृत पक्षी पड़े हैं और इन्हें फौरन निकालना जरुरी है. यदि इन्हें फौरन नहीं निकाला गया तो अन्य प्रवासी पक्षियों को संक्रमण हो जाएगा.

पढ़ें- पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल सहित अन्य आरोपियों के विरुद्ध जमानती वारंट जारी

झील के दलदली होने के कारण कोई व्यक्ति ज्यादा अंदर तक नहीं जा सकता. इसलिए हाई डेंसिटी के ड्रोन कैमरों से मृत पक्षियों का पता लगाकर इनफ्लेक्टेड ट्यूब का इस्तेमाल कर इन्हें फौरन निकाला जाए. सांभर झील का एरिया ना वन विभाग के पास है और ना पशुपालन विभाग के पास, इसलिए दोनों एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं और दोनों विभाग में कोई सामंजस्य नहीं है.

सांभर साल्ट ने कई निजी निर्माताओं को लीज दे रखी है और यह निजी निर्माता नमक बनाने के बाद जहरीला कचरा झील में डाल रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल एक रेस्क्यू सेंटर है और वो भी करीब 15 किलोमीटर दूर है. रेस्क्यू सेंटर के इंतजाम बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं हैं.

पढ़ें-राजस्थान हाई कोर्ट ने जोधपुर के गांव बेरासर में अस्पताल बनाने के दिए आदेश

सरकार के पास झील के गहरे पानी में जाने के कोई इंतजाम नहीं हैं और सरकारी एजेंसी मृत पक्षियों को निकालने के लिए पानी कम होने का इंतजार कर रही हैं. बीमार और बचाए गए पक्षियों को फौरन रेस्कयू सेंटर ले जाने से पहले घंटो तक एक ओपन बॉक्स में रखा जा रहा है. झील के पास कोई टैंपरेरी सेस्क्यू सेंटर नहीं है और काम करने वालों की बेहद कमी है.

न्यायमित्र ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को सुझाव दिए हैं कि सांभर झील को फॉरेस्ट एरिया या वाइल्ड लाईफ सेंचूरी घोषित किया जाए. इसके अलावा निजी स्तर पर नमक निर्माण का काम रोका जाए. वहीं झील व इसके आस-पास गैर-कानूनी गतिविधियों को बंद करने के लिए सांभर डवलपमेंट व संरक्षण ऑथोरिटी बने और वैटलैंड कंजर्वेशन रुल्स-2017 की पालना हो. झील के चारों ओर दो किलोमीटर के एरिया को बफर जोन घोषित करने का सुझाव भी दिया है.

वहीं सरकार की ओर से कहा गया है कि झील में करीब 83 किस्म के पक्षी आते हैं. राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ एनिमल साइंस की जांच रिपोर्ट के अनुसार पक्षी एविएन बोटुलिज्म के कारण मर रहे हैं. जयपुर जिले में पडऩे वाले झील के एरिया में 8825 और नागौर में 9649 कुल 18 हजार 474 मृत पक्षियों का निपटारा किया है. साथ ही कुल 788 पक्षियों को रेस्क्यू किया गया है.

20 वैटरनरी डॉक्टर और 74 लाइव स्टॉक असिस्टेंट चार आपातकालीन मोबाइल वैटरनेरी क्लिनिक चला रहे हैं. इसके साथ ही मृत पक्षियों के निपटारे में सैकड़ों कर्मचारी लगे हुए हैं और सरकार के उठाए गए कदमों के कारण मृत पक्षियों की संख्या में कमी आई है. सरकार को अन्य कई एजेंसियों की जांच रिपेार्ट का इंतजार है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि वह सांभर झील के गहरे पानी में पड़े मृत पक्षियों के शवों का पता लगाने के लिए हाई डेंसिटी ड्रॉन कैमरों का इस्तेमाल करे. इसके साथ ही इन्फलेक्टेड ट्यूब का इस्तेमाल कर इन्हें पानी से निकाला जाए. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहंति और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने सरकार और सांभर साल्ट को 27 नवंबर तक न्याय मित्र की रिपोर्ट पर जवाब देने और कार्य योजना रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. सुनवाई के दौरान न्यायमित्र ने कहा कि अब तक करीब 20 हजार पक्षियों की मौत हो चुकी है और मामले में सरकार की लापरवाही रही है.

साथ ही कहा कि स्थानीय निवासियों ने प्रशासन को पक्षियों के मौत के मामले में काफी पहले ही सूचना दे दी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. झील में अभी भी बडी संख्या में मृत पक्षी पड़े हैं और इन्हें फौरन निकालना जरुरी है. यदि इन्हें फौरन नहीं निकाला गया तो अन्य प्रवासी पक्षियों को संक्रमण हो जाएगा.

पढ़ें- पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल सहित अन्य आरोपियों के विरुद्ध जमानती वारंट जारी

झील के दलदली होने के कारण कोई व्यक्ति ज्यादा अंदर तक नहीं जा सकता. इसलिए हाई डेंसिटी के ड्रोन कैमरों से मृत पक्षियों का पता लगाकर इनफ्लेक्टेड ट्यूब का इस्तेमाल कर इन्हें फौरन निकाला जाए. सांभर झील का एरिया ना वन विभाग के पास है और ना पशुपालन विभाग के पास, इसलिए दोनों एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं और दोनों विभाग में कोई सामंजस्य नहीं है.

सांभर साल्ट ने कई निजी निर्माताओं को लीज दे रखी है और यह निजी निर्माता नमक बनाने के बाद जहरीला कचरा झील में डाल रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल एक रेस्क्यू सेंटर है और वो भी करीब 15 किलोमीटर दूर है. रेस्क्यू सेंटर के इंतजाम बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं हैं.

पढ़ें-राजस्थान हाई कोर्ट ने जोधपुर के गांव बेरासर में अस्पताल बनाने के दिए आदेश

सरकार के पास झील के गहरे पानी में जाने के कोई इंतजाम नहीं हैं और सरकारी एजेंसी मृत पक्षियों को निकालने के लिए पानी कम होने का इंतजार कर रही हैं. बीमार और बचाए गए पक्षियों को फौरन रेस्कयू सेंटर ले जाने से पहले घंटो तक एक ओपन बॉक्स में रखा जा रहा है. झील के पास कोई टैंपरेरी सेस्क्यू सेंटर नहीं है और काम करने वालों की बेहद कमी है.

न्यायमित्र ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को सुझाव दिए हैं कि सांभर झील को फॉरेस्ट एरिया या वाइल्ड लाईफ सेंचूरी घोषित किया जाए. इसके अलावा निजी स्तर पर नमक निर्माण का काम रोका जाए. वहीं झील व इसके आस-पास गैर-कानूनी गतिविधियों को बंद करने के लिए सांभर डवलपमेंट व संरक्षण ऑथोरिटी बने और वैटलैंड कंजर्वेशन रुल्स-2017 की पालना हो. झील के चारों ओर दो किलोमीटर के एरिया को बफर जोन घोषित करने का सुझाव भी दिया है.

वहीं सरकार की ओर से कहा गया है कि झील में करीब 83 किस्म के पक्षी आते हैं. राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ एनिमल साइंस की जांच रिपोर्ट के अनुसार पक्षी एविएन बोटुलिज्म के कारण मर रहे हैं. जयपुर जिले में पडऩे वाले झील के एरिया में 8825 और नागौर में 9649 कुल 18 हजार 474 मृत पक्षियों का निपटारा किया है. साथ ही कुल 788 पक्षियों को रेस्क्यू किया गया है.

20 वैटरनरी डॉक्टर और 74 लाइव स्टॉक असिस्टेंट चार आपातकालीन मोबाइल वैटरनेरी क्लिनिक चला रहे हैं. इसके साथ ही मृत पक्षियों के निपटारे में सैकड़ों कर्मचारी लगे हुए हैं और सरकार के उठाए गए कदमों के कारण मृत पक्षियों की संख्या में कमी आई है. सरकार को अन्य कई एजेंसियों की जांच रिपेार्ट का इंतजार है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि वह सांभर झील के  गहरे पानी में पड़े मृत पक्षियों के शवों का पता लगाने के लिए हाई डेंसिटी ड्रॉन कैमरों का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही इन्फलेक्टेड ट्यूब का इस्तेमाल कर इन्हें पानी से निकाला जाए। मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहंति और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने सरकार और सांभर साल्ट को 27 नवंबर तक न्याय मित्र की रिपोर्ट पर जवाब देने और कार्य योजना रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।Body:सुनवाई के दौरान न्यायमित्र ने कहा कि अब तक करीब 20 हजार पक्षियों की मौत हो चुकी है और मामले में सरकार की लापरवाही रही है। स्थानीय निवासियों ने पहले ही प्रशासन को पक्षियों के मौत के मामले में काफी पहले ही सूचना दे दी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। झील में अभी भी बडी संख्या में मृत पक्षी पडे हैं और इन्हें फौरन निकालना जरुरी है। यदि इन्हें फौरन नहीं निकाला गया तो अन्य प्रवासी पक्षियों को संक्रमण हो जाएगा।
झील के दलदली होने के कारण कोई व्यक्ति ज्यादा अंदर तक नहीं जा सकता। इसलिए हाई डेंसिटी के ड्रोन कैमरों से मृत पक्षियों का पता लगाकर इनफ्लेक्टेड ट्यूब का इस्तेमाल कर इन्हें फौरन निकाला जाए। सांभर झील का एरिया ना वन विभाग के पास है और ना पशुपालन विभाग के पास इसलिए दोनों एक दूसरे पर जिम्मेदारी ड़ाल रहे हैं और दोनों विभाग में कोई सामंजस्य नहीं है। सांभर साल्ट ने कई निजी निर्माताओं को लीज दे रखी है और यह निजी निर्माता नमक बनाने के बाद जहरीला कचरा झील में डाल रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि केवल एक रेस्क्यू सेंटर है और वो भी करीब 15 किलोमीटर दूर है और रेस्क्यू सेंटर के इंतजाम बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं हैं। सरकार के पास झील के गहरे पानी में जाने के कोई इंतजाम नहीं हैं और सरकारी एजेंसी मृत पक्षियों को निकालने के लिए पानी कम होने का इंतजार कर रही हैं। बीमार और बचाए गए पक्षियों को फौरन रेस्कयू सेंटर ले जाने से पहले घंटो तक एक ओपन बॉक्स में रखा जा रहा है। झील के पास कोई टैंपरेरी सेस्क्यू सेंटर नहीं है और काम करने वालों की बेहद कमी है।
न्याय मित्र ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को सुझाव दिए है कि सांभर झील को फॉरेस्ट एरिया या वाइल्ड लाईफ सेंचूरी घोषित किया जाए।  इसके अलावा निजी स्तर पर नमक निर्माण का काम रोका जाए। वहीं झील व इसके आस-पास गैर-कानूनी गतिविधियों को बंद करने के लिए सांभर डवलपमेंट व संरक्षण ऑथोरिटी बने और वैटलैंड कंजर्वेशन रुल्स-2017 की पालना हो। झील के चारों ओर दो किलोमीटर के एरिया को बफर जोन घोषित करने का सुझाव भी दिया है।
दूसरी ओर सरकार की ओर से कहा गया कि झील में करीब 83 किस्म के पक्षी आते हैं। राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ एनिमल साइंस की जांच रिपोर्ट के अनुसार पक्षी एविएन बोटुलिज्म के कारण मर रहे हैं। जयपुर जिले में पडऩे वाले झील के एरिया में 8825 और नागौर में 9649 कुल 18 हजार 474 मृत पक्षियों का निपटारा किया है और कुल 788 पक्षियों को रेस्क्यू किया है। 20 वैटरनरी डॉक्टर और 74 लाइव स्टॉक असिस्टेंट चार आपातकालीन मोबाइल वैटरनेरी क्लिनिक चला रहे हैं। इसके साथ ही मृत पक्षियों के निपटारे में सैकडों कर्मचारी लगे हुए हैं और सरकार के उठाए गए कदमों के कारण मृत पक्षियों की संख्या में कमी आई है। सरकार को अन्य कई एजेंसियों की जांच रिपेार्ट का इंतजार है।
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