कोयंबटूर: तमिलनाडु वन विभाग की तरफ से एक नाटकीय घटनाक्रम में जंगली हाथियों को भगाने के लिए कुमकी (प्रशिक्षित हाथी) 'चिन्नाथंबी' को अन्नामलाई टाइगर रिजर्व से कोयंबटूर जिले की थडागाम घाटी में लाया गया है. चूंकि यह हाथी उपद्रवी प्रवृति का था, इस वजह से साल 2019 में उसे किसी दूसरे जगह शिफ्ट किया गया था.
वन विभाग ने जब से इस हाथी को अन्नामलाई टाइगर रिजर्व से कोयंबटूर जिले के पश्चिमी घाट के साथ थडागाम, अनाइकट्टी और मंगराई की घाटियों में लाया है, वह चर्चा का विषय बन गया है. अब 35 साल का चिन्नाथंबी पूरी तरह से ट्रेंड होकर लौटा है. अब वह लोगों की रक्षा करने के लिए वापस आ गया है. चिन्नाथंबी को मानव बस्तियों में घुसपैठ करने वाले जंगली हाथियों को भगाने के लिए मसीहा के रूप में देखा जा रहा है.
अब कुमकी कहलाने वाले चिन्नाथंबी दो अन्य हाथियों पेरियाथंबी और विनयगन के साथ भोजन की तलाश में वन क्षेत्र से सटे कृषि भूमि में घूमते थे. चिन्नाथम्बी को दूसरी जगह भेजे जाने से काफी पहले, 2007 में, दूसरे हाथी पेरियाथम्बी को सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व के थेंगुमराहाडा वन क्षेत्र में छोड़ा गया था. वन विभाग ने 2018 में तीसरे हाथी 'विनायगन' को पकड़ा और उसे मुदुमलाई टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया.
हालांकि, चिन्नाथम्बी के खिलाफ किसानों का विरोध जारी रहा. उनका आरोप था चिन्नाथंबी कृषि फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. पर्यावरणविद् और कोयंबटूर वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट के सचिव ने ईटीवी भारत को बताया कि वे 15 सालों से अधिक समय से हाथियों चिन्नाथम्बी, विनयगन और पेरियाथम्बी पर नजर रख रहे हैं.
ये भी पढ़ें: केरल में जंगली हाथियों का आतंक, 72 घंटे में एक महिला सहित चार लोगों को कुचलकर मार डाला