जयपुर. टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन को लेकर पूरे देश में चर्चा हुई. इसी दौरान राजस्थान के खेल जगत में सवाल उठा कि राजस्थान से राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा खिलाड़ी देश का नाम रोशन करने के लिए आगे नहीं आया. ऐसे में एक उम्मीद की लौ केंद्र सरकार की लेखाकार शाखा से रिटायर हो चुके कर्मचारी हरजिंदर सिंह ने जिंदा रखी हुई है. हरजिंदर एक दौर में राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी खेलकर अपने हुनर का जलवा दिखा चुके हैं.
हरजिंदर ने एक दौर में राजस्थान की जूनियर और सीनियर टीम का नेतृत्व किया था. आज राजस्थान में हॉकी जैसे खेल को हाशिये पर देखने के बाद वे काफी दुखी हैं. इसी कारण से अब वे कच्ची बस्ती के युवाओं में इस खेल का हुनर तराशने में जुटे हुए हैं. खास बात यह है कि हरजिंदर इसके लिए कोई शुल्क इन बच्चों से नहीं लेते हैं और मुफ्त में कोचिंग देकर उन्हें प्रेरित करने का प्रयास कर रहे हैं.
जयपुर की झालाना कच्ची बस्ती के इन युवाओं के घरों में दो वक्त चूल्हा भले ही नहीं जलता हो पर इनके दिल में अब ये उम्मीद परवान चढ़ रही है कि ये लोग आने वाले वक्त में देश के लिए खेलकर राजस्थान का नाम रोशन करेंगे. कोच हरजिंदर ने इसी कोशिश के बीच करीब 11 खिलाड़ियों को नेशनल टूर्नामेंट्स की भागीदारी तक करवा दी है. हरजिंदर सिंह से कोचिंग लेने वाले बच्चों में महिला और पुरुष खिलाड़ी शामिल हैं. फिलहाल, राजस्थान यूनिवर्सिटी के हॉकी मैदान पर हरजिंदर सिंह इसी बस्ती के 30 से ज्यादा लड़कों और करीब 10 लड़कियों को हॉकी खेल की बारीकियां सिखा रहे हैं. इन बच्चों को भी हरजिन्दर सिंह के रूप में द्रोणाचार्य रूपी गुरु मिला है, जिसके दम पर इनके करियर को एक राह मिल गई है. हॉकी सीखने वाले इन बच्चों में किशोर अवस्था से लेकर नौजवान युवा भी शामिल हैं.
हरजिंदर के मुताबिक प्रदेश में सिर्फ जयपुर और अजमेर में इंटरनेशनल हॉकी खेले जाने के लिये जरूरी टर्फ वाले मैदान हैं. ऐसे में अगर सभी जगह टर्फ की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए तो देश की मिट्टी में इतना जज्बा है कि वो एक बार फिर से इंटरनेशनल हॉकी में अपना पुराना दौर लौटा सकती है. फिर हर टीम और मुकाबले में भारत का सानी कोई और नहीं होगा.