जयपुर. राजस्थान जयपुर विकास प्राधिकरण अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए सबसे पहले लैंड बैंक को अतिक्रमण मुक्त कर जियो टैगिंग करने की कवायद में जुट गया (Geotagging of JDA lands) है. जेडीसी ने सभी जोन उपायुक्तों को जेडीए भूमि के खसरों की सुपरइम्पोजिंग करने के निर्देश दिए हैं.
साथ ही दक्षिणी रिंग रोड में उपलब्ध 154 हैक्टेयर भूमि की सुनियोजित प्लानिंग/कार्ययोजना तैयार करने के संबंधित जोन उपायुक्तों को निर्देश दिए. जेडीसी ने कोर्ट में जेडीए स्वामित्व की बेशकीमती जमीन के लंबित प्रकरणों की प्रभावी पैरवी किए जाने के लिए विधि शाखा और जोन उपायुक्तों को निर्देश दिए. वहीं, अतिक्रमण की रोकथाम के लिए संबंधित उपायुक्त और प्रवर्तन शाखा को भूमि से अतिक्रमण हटाने और जोन को कब्जा संभलवाये जाने के बाद भूमि की सुनियोजित प्लानिंग/कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं.
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जयपुर विकास प्राधिकरण रीजन में 247 गांवों को शामिल किया गया है. जिसमें अब 87 हजार 442 खसरों को और सम्मिलित किया गया है. वर्तमान में लैंड बैंक में 89 हजार 442 खसरे हैं, जिनका रकबा लगभग 58 हजार हैक्टेयर है. वर्तमान में जेडीए में भूमि का रिकॉर्ड आईटी सैल की ओर से निर्मित लैंड बैंक सॉफ्टवेयर में किया जा रहा है. इसमें तहसील/गांव का नाम, खसरा नम्बर, रकबा, भूमि की किस्म को सम्मिलित करते हुए रिकॉर्ड तैयार किया गया है. इनमें मास्टर प्लान 2011/2025 के अनुसार भू-उपयोग दर्ज किया जा रहा है. खास बात ये है कि जेडीए के प्रत्येक खसरे के साथ जिओ लोकेशन टेग की गई है. जिस पर एक सिंगल क्लिक गूगल मैप पर भूमि की लोकेशन दर्शित करता है, जिसकी सहायता से खसरों की आसानी से पहचान की जा सकती है.
भू-प्रबन्ध विभाग से जिओ रेफरेंस शेप फाईल्स और कोर्डिनेट प्राप्त कर आयोजना और आईटी प्रकोष्ठ को उपलब्ध करवाई गई है. जिसे गूगल शीट पर सुपरइम्पोज कर खसरा बाउण्ड्री को अधिकतम एक्यूरेसी के साथ कार्यालय में बैठे-बैठे कम्प्यूटर पर देखा जा सकता है. जेडीसी ने निर्देश दिये कि जिओ लोकेशन टेग को सभी जोन उपायुक्तों और निदेशकों के लिए अनुमति दी जाएं, जिससे समय की बचत के साथ-साथ त्वरित रूप से कार्रवाई की जा सके. वहीं सिस्टम एनालिस्ट को सिस्टम तैयार कर 15 दिवस में जोन उपायुक्तों को उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए.
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वहीं जेडीए की ओर से आधार जमाबन्दी, नामान्तकरण और मन्दिर माफी रजिस्टर की प्रमाणित प्रतियां प्राप्त की गई है. जिन्हें स्केन करवाकर जोन कार्यालय में भिजवाये जाने का कार्य प्रगति पर है. मिलान करने पर चिह्नित किया गया कि कुछ खसरों का नाम हस्तान्तरण जेडीए के पक्ष में नहीं हुआ है. इस संबंध में कार्यवाही की जा रही है. जेडीसी ने जोन उपायुक्तों को निर्देश दिये कि मंदिर माफी भूमि की वर्तमान प्रगति रिपोर्ट तैयार कर 15 दिवस में प्रस्तुत करें.
वहीं विभिन्न जोन की ओर से उपलब्ध करवाये गये 90ए/90बी के आदेश की स्केन कॉपी को सॉफ्टवेयर पर अपलोड किया गया. प्रकोष्ठ की ओर से पहले जमीन चिह्नित कर भिजवाये गए प्रस्तावों पर योजनाएं सृजित की जा चुकी हैं. जबकि वर्तमान में भी कई प्रस्ताव जोन कार्यालयों में प्रक्रियाधीन है. जेडीसी ने निर्देश दिये कि जेडीए स्वामित्व की जमीन की प्लानिंग दो कैटेगिरी बनाकर की जाये. ताकि उपलब्ध जमीन की बेहतर कार्ययोजना तैयार की जा सके. इसके लिए पहली कैटेगिरी में वो खसरें जिन पर पहले से ही योजनाएं सृजित की जा चुकी है और दूसरी कैटेगिरी में वो खसरे जिनकी जमीन खाली है. इसके साथ ही उपलब्ध जमीन की पूरी जानकारी भी ऑनलाइन किये जाने के निर्देश दिये. जिसमें जमीन के लैण्ड यूज के साथ-साथ एप्रोच सड़कों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध हो. जिससे आमजन भी जेडीए वेबसाईट के माध्यम से देख सकेंगे.
जेडीसी ने सभी जोन उपायुक्तों को जेडीए भूमि के खसरों की सुपरइम्पोजिंग करने के निर्देश दिये. जिसमें प्रत्येक जोन लगभग 5 हजार खसरों की सुपरइम्पोजिंग करेगा. इसके साथ ही उन्होंने जोन उपायुक्त को 15 दिवस में जोन में उपलब्ध भूमि की सुनियोजित प्लानिंग करते हुए योजना सृजन और भूखण्ड नीलामी के प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करें. जेडीसी ने उपायुक्तगण और प्रवर्तन अधिकारियों को निर्देश दिये कि न्यू लैण्ड बैंक सॉफ्वेयर पर नामित अधिकारियों की रिपोर्ट को प्राथमिकता से देखे और उन पर त्वरित कार्रवाई कराए. योजना सृजन के लिए लैण्ड बैंक की ओर से भिजवाये गये प्रस्तावों को भी प्राथमिकता देते हुए प्रस्ताव बनाकर प्रस्तुत करें. बैठक में दक्षिणी रिंग रोड में उपलब्ध 154 हैक्टेयर भूमि की सुनियोजित प्लानिंग/कार्ययोजना तैयार करने के संबंधित जोन उपायुक्तों को निर्देश दिये. जेडीसी ने कोर्ट में जेडीए स्वामित्व की बेशकीमती जमीन के लंबित प्रकरणों की प्रभावी पैरवी किये जाने के लिए विधि शाखा और जोन उपायुक्तों को निर्देश दिये.
जयपुर विकास आयुक्त ने जेडीए स्वामित्व की जमीन पर अतिक्रमण हटाने के बाद कुछ दिनों में अतिक्रमियों की ओर से दोबारा अतिक्रमण कर लिया जाता है. अतिक्रमण की रोकथाम के लिए संबंधित उपायुक्त और प्रवर्तन शाखा भूमि से अतिक्रमण हटाने और जोन को कब्जा संभलवाये जाने के बाद भूमि की सुनियोजित प्लानिंग/कार्ययोजना तैयार करें. जिससे भूमि पर अतिक्रमण की पुनरावृत्ति ना हो. उन्होंने निर्देश दिये कि अतिक्रमण के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले संसाधनों को प्रवर्तन शाखा जब्त भी करें. जेडीसी रवि जैन ने निर्देश दिये कि लैण्ड बैंक शाखा के अधिकारियों की ओर से जेडीए/सरकारी भूमि के चिह्नीकरण के समय ही संबंधित जमीन की विस्तृत जानकारी जुटाकर ही लैण्ड बैंक में दर्ज करें. ताकि जेडीए के लैण्ड बैंक में वास्तविक रिकॉर्ड का अपडेट हो पाये और जोन की ओर से सुनियोजित प्लानिंग संभव हो.