जयपुर. कोरोना वायरस की जंग लड़ रहे पुलिसकर्मियों की नफरी कम पड़ने पर पुलिस को अब उसके दोस्त याद आ गए हैं. यही कारण है कि अब पुलिस ने अपने साथ कोरोना से जंग लड़ने के लिए अपने दोस्तों को भी याद कर लिया है.
पिछले वर्ष 2019 में पुलिस मित्र योजना के तहत पुलिस थानों में बनाए गए, पुलिस मित्रों की अब पुलिस को जरूरत पड़ने लगी है. जिसके बाद पुलिस ने अब अपने दोस्तों को पहली बार याद कर उन्हें कोरोना वायरस से जंग लड़ने की जिम्मेदारी संभालने के लिए कॉल करना शुरू कर दिया है.
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कई थाने तो ऐसे हैं, जहां पर पुलिस मित्रों को जिम्मेदारी तक दे दी गई है. प्रदेश में पिछले साल थानों में पुलिस मित्र बनाने की योजना शुरू की गई थी. इसमें आमजन से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे. राजस्थान पुलिस को मित्र बनने के लिए 25 हजार से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था. आवेदन मिलने के बाद राजस्थान पुलिस ने कई 15,000 से ज्यादा पुलिस मित्रों को प्रदेश के अलग-अलग थानों में दोस्त बना लिया था.
प्रदेश में कानून व्यवस्था मजबूत करने और पुलिस प्रणाली की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए और समाज से जुड़ाव बनाने के उद्देश्य से इस पुलिस मित्र योजना की शुरुआत की गई थी. जिससे कि थाना स्तर पर रहने वाले लोग स्थानीय थाना पुलिस को सेवाएं दे सके. लेकिन जयपुर के आधा दर्जन थानों को छोड़ दें. तो बाकी थानों की पुलिस अपने इन दोस्तों को मित्र बनाकर भूल गई थी.
जयपुर के आधा दर्जन थानों में तो यह पुलिस मित्र सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. लेकिन जयपुर के अन्य थानों की बात की जाए, तो इन पुलिस मित्रों को जबसे योजना से जोड़ा गया. तब से लेकर अब तक याद ही नहीं किया गया था. लेकिन अब जब कोरोना की जंग लड़ने में पुलिस की नफरी कम पड़ने लग गई और पुलिस को अपनी सहायता करने के लिए लोगों की जरूरत पड़ने लगी तो, पुलिस ने इन पुलिस मित्रों को कॉल करके याद कर लिया है.
अपने मित्रों को याद करने वाले कई थाने तो ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार अपने पुलिस मित्रों को याद किया है. अब पुलिस इस संक्रमण काल में अपने दोस्तों का सहयोग लेगी. जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में 1500 से भी ज्यादा लोग पुलिस मित्र बने हैं.
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जयपुर के वेस्ट, नार्थ, साउथ और ईस्ट जिले की बात करें तो करीब तीन हजार से ज्यादा पुलिस मित्र बनने के लिए थानों में ऑनलाइन आवेदन किए गए थे. हालांकि कई थानों ने आवेदन पत्र की जांच करने के बाद कभी भी अपने मित्रों के साथ एक भी बैठक नहीं की. लेकिन अब क्राइम कंट्रोल और शांति के लिए पुलिस को मित्र की आवश्यकता है.
पुलिस अब इन मित्रों को कॉलोनी की निगरानी का जिम्मा देने की तैयारी कर रही है. इनका सहयोग लेकर पुलिस ऐसे लोगों की जानकारी जुटाएगी जो बार-बार लॉक डाउन का उल्लंघन कर रहे हैं. साथ ही सोशल मीडिया पर भी नजर रखने के लिए इन मित्रों की सेवा ली जाएगी.
इसके साथ ही बंद के दौरान कालोनियों में निगरानी करने का जिम्मा भी दिया जाएगा. वहीं इलाके में अगर किसी के पास राशन या फिर किसी अन्य तरह की परेशानी है, तो वह जिम्मेदारी भी पुलिस मित्र को दी जाएगी.
पुलिस मित्र को थाना स्तर पर सूचना देनी होगी. साथ ही पुलिस के साथ मिलकर ट्रैफिक मैनेजमेंट से लेकर अन्य तरह के कार्यों में इन मित्रों को लगाया जाएगा. जिससे कि पुलिस जो 8 घंटे की ड्यूटी करने के बाद सामाजिक जिम्मेदारी भी निभा रही है. उस जिम्मेदारी का निर्वहन करने में उसे अपने दोस्त की सहायता मिल सकेगी.
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गौरतलब है कि इन दिनों पुलिस करीब 16 घंटे की ड्यूटी कर रही है. पहले पुलिस की ड्यूटी और फिर समाज के सेवा के कार्य पुलिस कर रही है. ऐसे में पुलिस कर्मियों को इन मित्रों से सहयोग मिल सकेगा. जिससे कि क्राइम पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा. वहीं इलाके की जिम्मेदारी पुलिस मित्रों को दी जाएगी. वहां पर पुलिस मित्रों को अवैध रूप से घूम रहे लोगों पर निगरानी रख थाना को सूचना देनी होगी.