जयपुर. पश्चिम बंगाल में साइबर ठगों ने जयपुर के रहने वाले कैब चालक पिता-पुत्र के नाम से अलग-अलग बैंक में आधा दर्जन ऑनलाइन अकाउंट खोले और उनमें करोड़ों रुपए का ट्रांजैक्शन किया. पश्चिम बंगाल पुलिस ने जब कैब चालक पिता-पुत्र को इस संबंध में नोटिस भेजा गया तब जाकर उन्हें इस बात का पता चला. ऐसे में सायबर ठगों से सावधान रहने की जरूरत है.
साइबर ठग फर्जी बैंक अकाउंट खोलने के लिए नरेगा मजदूर और कच्ची बस्ती में रहने वाले लोगों को सॉफ्ट टारगेट बना रहे हैं. साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि कई निजी बैंक और सरकारी बैंक ने आधार वेरीफिकेशन कर 2 मिनट में ऑनलाइन बैंक खाता खोलने की सुविधा दी है. जिसका साइबर ठग फायदा उठा रहे हैं. इस प्रकार का बैंक खाता खोलने के लिए केवल व्यक्ति का आधार नंबर चाहिए होता है और फिर उस व्यक्ति के मोबाइल पर आए ओटीपी या फिर थंब इंप्रेशन के जरिए उसको वेरीफाई किया जाता है. इसके बाद 2 लाख रुपए तक की लिमिट का ऑनलाइन बैंक अकाउंट शुरू हो जाता है. इसके साथ ही संबंधित बैंक वर्चुअल डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी एक्टिवेट कर देता है.
इस तरह से बनाया जाता है लोगों को ठगी का शिकार
1. विभिन्न स्कीम का झांसा देकर
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर ठग फर्जी बैंक अकाउंट खोलने के लिए अलग-अलग शहरों में कच्ची बस्ती और ऐसे क्षेत्र को चुनते हैं जहां पर कम पढ़े लिखे लोग रहते हैं. वहां पर जाकर साइबर ठग विभिन्न सरकारी स्कीम या अन्य स्कीम का झांसा देकर लोगों को अपने झांसे में लेते हैं और फिर उनके आधार कार्ड की जानकारी लेकर और उनका थंब इंप्रेशन लेकर फर्जी बैंक अकाउंट खोल लेते हैं. राजधानी जयपुर में भी इसी तरह से एक गैंग एक्टिव हुआ था जिसने कच्ची बस्ती में 10 रुपए में सरकार की स्कीम के तहत एलईडी बल्ब देने का झांसा देकर लोगों से उनके आधार कार्ड की जानकारी मांगी. उसके बाद लोगों के थंब इंप्रेशन लेकर बड़ी संख्या में फर्जी बैंक अकाउंट खोले गए.
2. फर्जी बैंक अकाउंट खोलने के बाद दूसरे साइबर ठगों को बेचे जाते हैं अकाउंट
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि लोगों को झांसे में लेकर उनके नाम से फर्जी बैंक अकाउंट खोलने के बाद साइबर ठग बैंक अकाउंट को अन्य साइबर ठगों को ऊंचे दामों पर बेच देते हैं. जिसके बाद साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देने के बाद ठगी गई राशि का ट्रांजैक्शन फर्जी बैंक खातों में किया जाता है. ठगी गई राशि को वर्चुअल डेबिट या क्रेडिट कार्ड से एक खाते से अन्य खातों में ट्रांसफर कर लिया जाता है या फिर बिटकॉइन में कन्वर्ट कर लिया जाता है. ठगी की वारदात होने के बाद जब पुलिस जांच करती है तो उस व्यक्ति तक पहुंचती है जिसके नाम से फर्जी बैंक खाता खोला गया है. जिसे ठगी के प्रकरण के बारे में जरा भी जानकारी नहीं होती.
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बचाव में करें ये उपाय
1. आधार एप्लीकेशन मोबाइल में डाउनलोड कर बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन को रखें ऑफ
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि ठगों के झांसे में आने से बचने के लिए लोगों को अपने मोबाइल में आधार एप्लीकेशन डाउनलोड करनी चाहिए. इसके साथ ही एप्लीकेशन में जाकर आधार के बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन को हमेशा ऑफ रखना चाहिए. ऐसे में यदि साइबर ठग धारक को झांसे में लेकर उसका आधार वेरिफिकेशन करने के लिए थंब इंप्रेशन लें तो वह सक्सेसफुल नहीं होगा.
2. स्कीम के झांसे में आकर न दें आधार से संबंधित जानकारी
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि ठगों के झांसे में आने से बचने के लिए धारक को सतर्क और सजग रहना चाहिए। किसी भी सरकारी स्कीम के तहत यदि लोगों को एलईडी बल्ब या अन्य सामान दिया जाता है तो उसकी एवज में कभी भी लोगों से उनके आधार की जानकारी और थंब इंप्रेशन की मांग नहीं की जाती है. व्यक्ति ऐसी किसी भी स्कीम के झांसे में आने से बचें और खासकर एक लाल रंग की डिवाइस जिसके जरिए थंब इंप्रेशन लिया जाता है उस पर अपने अंगूठे और अंगुलियों को स्कैन करने से बचें.