जयपुर. पिछले काफी समय से कोविड-19 के प्रभाव के चलते रियल एस्टेट कारोबार पूरी तरह से मंदी के दौर से गुजर रहा है. इस सेक्टर को गति प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य स्तरीय कर परामर्श दात्री की समिति की बैठक में क्रेडाई राजस्थान ने मुख्यमंत्री को बजट के लिए कई सुझाव देते हुए रियल स्टेट से जुड़े टैक्सों में राहत देने की मांग की है.
क्रेडाई राजस्थान के चेयरमैन गोपाल गुप्ता ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021- 22 के बजट को लेकर मुख्यमंत्री को कई सुझाव दिए गए हैं. इसमें मुख्य तौर पर बहुमंजिला परिसरों में निर्मित इकाइयों के विक्रय पत्रों के पंजीयन पर 4% मुद्रांक शुल्क लिए जाने बाबत, अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी के अंतर्गत निर्मित आवासों पर देय मुद्रांक शुल्क पूर्व की तरह किए जाने, पंजीयन पंजीयन शुल्क की अधिकतम सीमा 2 लाख रुपए निर्धारित करने, विक्रय अनुबंध के पंजीयन पर देय पंजीयन शुल्क का समायोजन कर 3 वर्ष की बजाय 5 वर्ष करने, होटलों को बाहर लाइसेंस प्रदान करने, स्टोन की वैधता न्यूनतम 1 वर्ष करने, व्यवसायिक परिसरों की डीएलसी दरों के निर्धारण बाबत, किराए नामे- लीज डीड पर स्टांप शुल्क संपत्ति की मार्केट वैल्यू के बजाए किराए की राशि पर वसूल करने के संबंध में, डीएलसी दरों के निर्धारण को पारदर्शी बनाने की मांग की गई है.
क्रेडाई राजस्थान ने रियल एस्टेट व्यवसाय में व्याप्त मंदी को देखते हुए कई तरह की रियायत देने की भी मांग करते हुए कहा है कि सरकार अगर बजट में यह रियायत में प्रदान करती है तो रियल स्टेट कारोबार जो कि लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करने के साथ ही सरकार के खजाने में आर्थिक मदद करता है. राहत देने से में इस सेक्टर को काफी राहत मिल सकेगी.
वहीं फोर्टी के कार्यकारी अध्यक्ष अरुण अग्रवाल ने कहा कि एंट्री टैक्स व एंटरटेनमेंट टैक्स को एमनेस्टी स्कीम में शामिल किया जाए. महाराष्ट की तर्ज पर ई वे बिल की लिमिट बढ़ाकर 1 लाख की जाए, पार्टनरशिप उद्योग में जो स्टाम्प ड्यूटी 1 बार लगाई जाती है, वह हर बार पार्टनरशिप बदलने पर अलग अलग बार नहीं लगाई जाए. उद्योगों का बढ़ाया हुआ फिक्स बिजली चार्ज घटाया जाए, पहले जैसा ही फिक्स चार्ज रखा जाए, कर परामर्शदात्री समिति की बैठक में कर सलाहकार सीएल यादव ने मांग की.
साथ ही फंड रोटेशन करने, ई कॉमर्स खरीद पर मिलने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट की समीक्षा करने, सीमेंट उद्योग में ट्रेड व नॉन ट्रेड की विसंगतियां दूर करने, मार्बल व्यवसाय में अंडर बिलिंग सहित कर मूल्य निर्धारण की विसंगतियां दूर करने, पेट्रोल पंप डीलर के वैट रजिस्ट्रेशन जीएसटी में माइग्रेट करके किए जाएं समाप्त, वेट सिलेक्टिव एसेसमेंट सिस्टम में ऑल टैक्स व पेनल्टी डिमांड की गई लागू जिसे दूर करने की मांग, वाणिज्य कर विभाग द्वारा कैंप लगाकर समस्या निदान किया जाए.
ये रियायतें मांगी....
- वरिष्ठ नागरिकों एवं विकलांग व्यक्तियों के पक्ष में निष्पादित संपत्ति पर प्रचलित मुद्रांक शुल्क से 1% शुल्क कम लिया जाए
- आवासीय योजना विकसित करने के लिए क्रय की गई कृषि भूमि पर मुद्रांक शुल्क सामान्य दर का 50% निर्धारित किया जाए
- अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए आवासीय उपयोग हेतु रूपांतरित भूमि खरीदने पर कृषि भूमि की दर पर डीएलसी दर निर्धारित की जाए
- कृषि भूमि की खरीद करने पर भूमि की सामान्य दर का 50% दर मानकर मुद्रांक शुल्क की गणना की जाए
- डेवलपर एग्रीमेंट के साथ भू स्वामी द्वारा डेवलपर को दी जाने वाली पावर ऑफ अटॉर्नी पर मुद्रांक शुल्क अधिकतम 5000 किया जाना उचित होगा
- कॉर्नर के भूखंडों पर 10% अतिरिक्त मुद्रांक शुल्क का प्रावधान है जबकि ऐसे भूखंडों पर निर्मित इकाइयों को इसका कोई लाभ नहीं मिलता है अतः कॉर्नर के भूखंडों पर बहुमंजिला परिसरों का निर्माण करने पर भूखंड पर सामान्य दर पर मूल्यांकन किया जाना उचित होगा
- संपत्ति के मूल्यांकन से संबंधित पुराने लंबित प्रकरणों में एवं ऑडिट ऑब्जेक्शन के अंतर्गत अतिरिक्त स्थान बूटी की मांग पर ब्याज एवं शासकीय में छूट प्रदान की जाए
- बहुमंजिला भवनों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए 1000 वर्ग मीटर एवं अधिक क्षेत्रफल के भूखंडों के पंजीयन पर प्रचलित मुद्रांक शुल्क में न्यूनतम 10% की छूट प्रदान की जाए