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केंद्र सरकार हर राज्य की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थिति को देखकर तय करे योजना के मापदंड: सीएम गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक (CM Gehlot on Jal Jeevan Mission) में कहा कि जल जीवन मिशन की सफलता के लिए पेयजल स्त्रोतों की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए. साथ ही सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार को राज्य की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थिति को देखकर योजना के मापदंड तय करने चाहिए.

Jal Jeevan Mission in Rajasthan
Jal Jeevan Mission in Rajasthan
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Published : Sep 8, 2022, 10:59 PM IST

जयपुर. सीएम गहलोत गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक (CM Gehlot on Jal Jeevan Mission) की. इस दौरान उन्होंने जल जीवन मिशन, हर घर तक नल से जल, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना सहित अन्य विषयों पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने ईआरसीपी के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को हर राज्य की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए योजना के मापदंड तय करने चाहिए.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जल जीवन मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए (Jal Jeevan Mission review meeting) जल स्त्रोतों की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि उपलब्ध जल स्त्रोतों का उचित सर्वेक्षण कर ही जल जीवन मिशन के तहत परियोजनाएं बनाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य के 13 जिलों में मिशन की सफलता के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ई.आर.सी.पी.) अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे जिलों में पानी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी. केन्द्र सरकार को जल्द से जल्द ई.आर.सी.पी. को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देना चाहिए ताकि इसका निर्माण जल्द पूरा हो और प्रदेश की जनता लाभान्वित हो सके.

केंद्र की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत हो: उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को राज्यों की भौगोलिक (CM Gehlot on ERCP) परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए योजना के मापदंड तैयार करने चाहिए. उन्होंने कहा कि राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थिति और छितराई बसावट को देखते हुए हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता है. अन्य राज्यों की तुलना में यहां पर प्रति नल कनेक्शन लागत बहुत अधिक है. उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए मिशन में केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़ाकर 90 प्रतिशत की जानी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन में वर्ष 2019 से अब तक राज्य सरकार की ओर से 3,950 करोड़ रुपये व्यय कर 16.79 लाख परिवारों को लाभान्वित किया जा चुका है.

पढे़ं. Jal Jeevan Mission Scheme : जल जीवन मिशन योजना में राजस्थान का प्रदर्शन खराब, लेकिन डीडवाना प्रदेश में अव्वल

उन्होंने कहा कि मिशन के अन्तर्गत राज्य में अब तक 20,245 गांवों की (Jal Jeevan Mission in Rajasthan) कुल 7,022 योजनाओं के लिए 19,084 करोड़ रुपये के कार्यादेश जारी हो चुके हैं. उन्होंने केन्द्र सरकार से अपील की कि जल जीवन मिशन की अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक किया जाए. विभिन्न कारणों से लागत में आई बढ़ोतरी को भी परियोजना के व्यय में शामिल किया जाए. जलदाय मंत्री महेश जोशी ने कहा कि योजना के सफल क्रियान्वयन में बाधा बन रहे सभी कारणों को केन्द्र सरकार के सामने उठाया जाएगा तथा समयबद्ध तरीके से इनका समाधान किया जाएगा.

ये रहे मौजूद : बैठक में मुख्य सचिव उषा शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव जलदाय विभाग सुबोध अग्रवाल, प्रमुख शासन सचिव जल संसाधन आनन्द कुमार, सचिव पंचायतीराज विभाग नवीन जैन एवं जल जीवन मिशन (राज.) के प्रबंध निदेशक अविचल चतुर्वेदी सहित विभाग के अन्य उच्च अधिकारी उपस्थित थे.

लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश: जल जीवन मिशन की आईईसी गतिविधियों के लिए जिला स्तर पर नियोजित सहयोगी संस्थाएं (आईएसए) अपने कार्य में लगातार उदासीनता बरत रही है. अतिरिक्त मुख्य सचिव जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने इसे गंभीरता से लेते हुए इन संस्थाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. डॉ. अग्रवाल ने चितौड़गढ़, भीलवाड़ा, बूंदी, राजसमंद, सीकर, चूरू एवं झुन्झुनूं जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखकर वहां कार्यरत सहयोगी संस्थाओं की सभी गतिविधियों की समीक्षा करने और लापरवाही बरतने वाली संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है.

जयपुर. सीएम गहलोत गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक (CM Gehlot on Jal Jeevan Mission) की. इस दौरान उन्होंने जल जीवन मिशन, हर घर तक नल से जल, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना सहित अन्य विषयों पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने ईआरसीपी के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को हर राज्य की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए योजना के मापदंड तय करने चाहिए.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जल जीवन मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए (Jal Jeevan Mission review meeting) जल स्त्रोतों की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि उपलब्ध जल स्त्रोतों का उचित सर्वेक्षण कर ही जल जीवन मिशन के तहत परियोजनाएं बनाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य के 13 जिलों में मिशन की सफलता के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ई.आर.सी.पी.) अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे जिलों में पानी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी. केन्द्र सरकार को जल्द से जल्द ई.आर.सी.पी. को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देना चाहिए ताकि इसका निर्माण जल्द पूरा हो और प्रदेश की जनता लाभान्वित हो सके.

केंद्र की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत हो: उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को राज्यों की भौगोलिक (CM Gehlot on ERCP) परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए योजना के मापदंड तैयार करने चाहिए. उन्होंने कहा कि राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थिति और छितराई बसावट को देखते हुए हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता है. अन्य राज्यों की तुलना में यहां पर प्रति नल कनेक्शन लागत बहुत अधिक है. उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए मिशन में केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़ाकर 90 प्रतिशत की जानी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन में वर्ष 2019 से अब तक राज्य सरकार की ओर से 3,950 करोड़ रुपये व्यय कर 16.79 लाख परिवारों को लाभान्वित किया जा चुका है.

पढे़ं. Jal Jeevan Mission Scheme : जल जीवन मिशन योजना में राजस्थान का प्रदर्शन खराब, लेकिन डीडवाना प्रदेश में अव्वल

उन्होंने कहा कि मिशन के अन्तर्गत राज्य में अब तक 20,245 गांवों की (Jal Jeevan Mission in Rajasthan) कुल 7,022 योजनाओं के लिए 19,084 करोड़ रुपये के कार्यादेश जारी हो चुके हैं. उन्होंने केन्द्र सरकार से अपील की कि जल जीवन मिशन की अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक किया जाए. विभिन्न कारणों से लागत में आई बढ़ोतरी को भी परियोजना के व्यय में शामिल किया जाए. जलदाय मंत्री महेश जोशी ने कहा कि योजना के सफल क्रियान्वयन में बाधा बन रहे सभी कारणों को केन्द्र सरकार के सामने उठाया जाएगा तथा समयबद्ध तरीके से इनका समाधान किया जाएगा.

ये रहे मौजूद : बैठक में मुख्य सचिव उषा शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव जलदाय विभाग सुबोध अग्रवाल, प्रमुख शासन सचिव जल संसाधन आनन्द कुमार, सचिव पंचायतीराज विभाग नवीन जैन एवं जल जीवन मिशन (राज.) के प्रबंध निदेशक अविचल चतुर्वेदी सहित विभाग के अन्य उच्च अधिकारी उपस्थित थे.

लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश: जल जीवन मिशन की आईईसी गतिविधियों के लिए जिला स्तर पर नियोजित सहयोगी संस्थाएं (आईएसए) अपने कार्य में लगातार उदासीनता बरत रही है. अतिरिक्त मुख्य सचिव जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने इसे गंभीरता से लेते हुए इन संस्थाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. डॉ. अग्रवाल ने चितौड़गढ़, भीलवाड़ा, बूंदी, राजसमंद, सीकर, चूरू एवं झुन्झुनूं जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखकर वहां कार्यरत सहयोगी संस्थाओं की सभी गतिविधियों की समीक्षा करने और लापरवाही बरतने वाली संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है.

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